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हमेशा सही नहीं होता फर्स्‍ट इंप्रेशन

अकसर हम पहली ही मुलाकात में दूसरों को अच्छा या बुरा मानना शुरू कर देते हैं पर कई बार ऐसी धारणा पूरी तरह गलत साबित होती है। इसलिए किसी भी व्यक्ति को समझने के लिए खुद को थोड़ा वक्त देना ज़रूरी है।

By Edited By: Published: Wed, 28 Dec 2016 05:06 PM (IST)Updated: Wed, 28 Dec 2016 05:06 PM (IST)
हमेशा सही नहीं होता फर्स्‍ट इंप्रेशन
वह तो पहली ही नजर में बेकार लग रहा था, इसलिए मैंने उसे इंटरव्यू में रिजेक्ट कर दिया, उसकी बहन हमारे घर आई थी, वह मुझे बडी अजीब सी लगी, बहुत कम बोलती है...हमें अपने आसपास लोगों की आपसी बातचीत के ऐसे वाक्यांश अकसर सुनने को मिलते हैं। कई बार हम भी जाने-अनजाने में दूसरों के प्रति अपनी ऐसी ही राय बना लेते हैं। अंग्रेजी की वह कहावत 'फर्स्ट इंप्रेशन इज द लास्ट इंप्रेशन' कुछ हद तक सही है पर यह जरूरी नहीं है कि पहली मुलाकात में ही हम किसी व्यक्ति के बारे में सब कुछ जान लें। थोडा वक्त तो लगेगा हमारे आसपास कई तरह के लोग होते हैं। कुछ लोग काफी खुले स्वभाव के होते हैं और वे पहली मुलाकात में ही दूसरों के साथ बडी सहजता से बातचीत करने लगते हैं। ऐसे लोगों को समझना थोडा आसान होता है पर कुछ लोग बहुत ज्य़ादा शांत और शर्मीले होते हैं। ऐसे इंट्रोवर्ट लोग बहुत कम बोलते हैं। क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ. पुलकित शर्मा कहते हैं, 'जब हम किसी से पहली बार मिलते हैं तो हमें उसके बारे में कुछ ही बातें मालूम होती हैं और अपने पुराने अनुभवों के आधार पर हम उसके बारे में अपनी राय बना लेते हैं, जो कई बार गलत साबित होती है। इसलिए अगर पहली मुलाकात में हमारे मन में किसी व्यक्ति की नकारात्मक छवि बनती है तब भी हमें उसे सच नहीं मान लेना चाहिए, बल्कि थोडा रुक कर धैर्यपूर्वक उस व्यक्ति को समझने की कोशिश करनी चाहिए।' माहौल का असर दक्षिणी दिल्ली की होममेकर अर्पणा शर्मा ने इस संर्दभ में एक बडा ही रोचक अनुभव शेयर किया, 'हमारे पडोस में एक नया परिवार शिफ्ट हुआ था। जब मैं पहली बार उनके घर गई तो मैंने देखा कि वह ऊंची आवाज में बच्चों को डांट रही थीं। तब सबसे पहले मेरे मन में यही खयाल आया कि ये तो बडी झगडालू हैं, इनसे मेल-जोल बढाना ठीक नहीं। बाद में मालूम हुआ कि तब वह अपना सामान व्यवस्थित कर रही थीं। उसी दौरान उनके लॉकर की चाबी खो गई और बच्चे उनसे टीवी चलाने की जिद कर रहे थे। इसी वजह से वह उन्हें डांट रही थीं। सच्चाई जानने के बाद मुझे अपनी सोच पर बहुत अफसोस हुआ और बाद में उनसे मेरी बहुत अच्छी दोस्ती हो गई।' समझना है जरूरी किसी भी इंसान के व्यक्तित्व की कई परतें होती हैं, जो दूसरों के सामने धीरे-धीरे खुलती हैं। इसलिए पहली मुलाकात में ही किसी अजनबी के बारे में सब कुछ जान लेना और उसके बारे में अपनी राय बनाना गलत होता है। बेहतर यही होगा कि किसी भी व्यक्ति से पहली बार मिलने के बाद उसे समझने के लिए खुद को थोडा समय दें। इससे हमारे लिए दूसरों के बारे में संतुलित राय बनाना आसान हो जाएगा। कुछ जरूरी बातें -पहली मुलाकात में किसी अजनबी से ज्य़ादा प्रभावित न हों क्योंकि कुछ अयोग्य लोग दूसरों के सामने अच्छा इंप्रेशन जमाने की कला में माहिर होते हैं। ऐसे लोगों को थोडे समय तक परखने के बाद ही इनके बारे में कोई राय बनानी चाहिए। -अगर बातचीत के दौरान कोई व्यक्ति लगातार सिर्फ अपने बारे में बोल रहा है और आपको बोलने का मौका भी न दे तो ऐसे आत्ममुग्ध लोगों की बातों पर जल्दी भरोसा नहीं करना चाहिए। -शर्मीले लोगों को समझने के लिए आपको खुद ही उनसे बातचीत की शुरुआत करनी चाहिए, ताकि वे आपके साथ सहज महसूस करें, तभी वे आपके साथ खुलकर बातचीत कर पाएंगे। -जब हम तनावग्रस्त होते हैं तो किसी से मिलते वक्त उसमें ज्य़ादा दिलचस्पी नहीं दिखाते। इससे आमतौर पर हमारे मन में उसके प्रति नकारात्मक धारणा पैदा होती है। इसलिए अच्छी मन:स्थिति में हमें उससे दोबारा जरूर मिलना चाहिए। सखी फीचर्स

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