Move to Jagran APP

एफआईआर की कॉपी देनी होगी

कानून में हो रहे संशोधनों और अपने अधिकारों को जानना सभी के लिए जरुरी है। सखी के पाठकों ने भेजे हैं कुछ सवाल, जिनके जवाब दे रही हैं सुप्रीम कोर्ट की सीनियर एडवोकेट कमलेश जैन।

By Edited By: Published: Mon, 10 Apr 2017 04:07 PM (IST)Updated: Mon, 10 Apr 2017 04:07 PM (IST)
एफआईआर की कॉपी देनी होगी

मेरी शादी को 10वर्ष हो चुके हैं। मुझे पता चला है कि पति के किसी अन्य स्त्री से संबंध हैं। मुझे इससे सदमा पहुंचा है। मैंने एक बार आत्महत्या तक करने की सोची। पति ने न तो कभी मुझसे दहेज मांगा, न घरेलू हिंसा की। क्या उन पर 498ए आईपीसी(भारतीय दंड संहिता) के तहत दूसरी औरत से संबंध रखने पर मानसिक प्रताडऩा के लिए मुकदमा चल सकता है? के.आर., चंदौसी हाल में ही सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि आई.पी.सी. की धारा 498ए तभी लागू होगी, जब दहेज के लिए स्त्री पर शारीरिक, मानसिक या भावनात्मक अत्याचार हो। किसी भी अन्य लडाई-झगडे या मारपीट के लिए इस धारा के तहत मामला दर्ज नहीं कराया जा सकता। इसके तहत अवैध संबंध रखना भी अपराध नहीं है। अवैध संबंध साबित होने पर आप सिर्फ तलाक ले सकती हैं। देखें- 2016 (12) स्केल 280(सर्वोच्च न्यायालय-22.11.16)

loksabha election banner

मेरे पति पत्रकार थे। गुंडों ने उनकी हत्या कर दी। मैं तीन छोटे बच्चों के साथ अकेले रहती हूं। मुझे भी गुंडों द्वारा कई बार धमकियां दी गई हैं। क्या हमें सुरक्षा मिल सकती है और मेरे पति का मुकदमा क्या दिल्ली में ट्रांस्फर हो सकता है? जे.आर.टी., गया जी हां ऐसा हो सकता है। आपको सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर करनी होगी। आपकी दोनों प्रार्थनाएं मंजूर हो सकती हैं। हाल ही में ऐसा हुआ भी है। देखें : 2016 (19) स्केल 114आशा रंजन :23.9.16

मेरे पति ने मुझे घर से निकाल दिया और मैं अपने मायके मद्रास में रहती हूं। पति मुंबई में हैं। मैं नौकरी नहीं करती और आय का कोई साधन भी नहीं है। हमारे चार मुकदमे मद्रास में चल रहे हैं। पिछले दिनों तलाक का मामला पति ने मुंबई में ट्रांस्फर करवा लिया। मैं वहां नहीं जा सकती, हालांकि उच्च न्यायालय का कहना है कि आने-जाने का किराया ले लूं लेकिन मेरे लिए वहां जाना कई अन्य वजहों से संभव नहीं है। क्या करूं? जी.ए.एम., चेन्नई इसके लिए आपको सर्वोच्च न्यायालय में जाकर एक ट्रांस्फर पिटिशन फाइल करनी होगी, तभी यह समस्या हल हो सकेगी।

पिछले दिनों कुछ लोगों ने मेरे भाई के साथ मारपीट कर उन्हें गंभीर रूप से घायल कर दिया। मैंने इसकी रिपोर्ट 20दिन पहले की थी लेकिन मुझे अब तक रिपोर्ट या एफआईआरकी कॉपी प्राप्त नहीं हुई है। मुझे यह भी पता नहीं चला कि इस मामले में आगे क्या हो रहा है। कृपया बताएं कि मैं क्या करूं। डी.एच., दिल्ली सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के मुताबिक, एफआईआरऔर आगे की कार्यवाही की जानकारी पुलिस को अपनी वेबसाइटपर 24घंटे में अपलोडकर देनी चाहिए। आप फैसले की एक प्रति थाने में दिखाएं। वहां से एफआईआर की कॉपीभी नि:शुल्क प्रदान की जानी चाहिए और उन्हें केस से जुडी हर जानकारी अपनी वेबसाइटपर डालनी चाहिए। 2016(8) स्केल-611-यूथ बार एसोसिएशन ऑफ इंडिया (7.9.2016)


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.