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मन बंजारा

नित नए बदलावों का आलिंगन करने वाली आज की स्त्री को सोलो ट्रैवलिंग काफी रास आ रही है। इसके जरिये वह खुद को तलाश रही है। जिंदगी के सवालों के जवाब पाने की जद्दोजहद कर रही है। इससे न सिर्फ उसका आत्मविश्वास बढ़ा है, बल्कि पर्सनल स्पेस ढूंढने का बहाना

By Edited By: Published: Thu, 02 Apr 2015 03:21 PM (IST)Updated: Thu, 02 Apr 2015 03:21 PM (IST)
मन बंजारा

नित नए बदलावों का आलिंगन करने वाली आज की स्त्री को सोलो ट्रैवलिंग काफी रास आ रही है। इसके जरिये वह खुद को तलाश रही है। जिंदगी के सवालों के जवाब पाने की जद्दोजहद कर रही है। इससे न सिर्फ उसका आत्मविश्वास बढा है, बल्कि पर्सनल स्पेस ढूंढने का बहाना भी मिला है। सखी ने अकेले यात्रा करने वाली स्त्रियों के अनुभवों को सहेजा।

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वह आज की स्त्री है। हर चीज की तरह ट्रैवलिंग के मायने भी उसके लिए बदल चुके हैं। अब उसकी यात्रा का मकसद महज फेसबुक पर पोस्ट करने के लिए पर्यटन स्थलों पर जाकर तसवीरें ख्ंिाचवाना नहीं, बल्कि अनुभवों की ओढऩी में नएपन के सितारे टांकना भी है। अब वह ट्रैवल करने के लिए पति के ऑफिस की छुट्टियों की मोहताज नहीं हैं। रोजमर्रा जिंदगी से बोरियत होने पर वह अकेले ही मनमाफिक डेस्टिनेशन के लिए निकल पडती है। अब वह अकेले यात्रा करने से घबराती नहीं है, बल्कि उसका पूरा लुत्फ उठाती है। आइए इस चलन पर नजर डालते हैं।

ज्ञानार्जन का जरिया

घुमक्कडी हमेशा से ही ज्ञानार्जन का जरिया रही है। जब लेखन अस्तित्व में नहीं आया था, तब लोग यात्रा के जरिये ही नई चीजों के बारे में जानते थे। संस्कृति के विकास के साथ भारत में सामाजिक परिस्थितियां बदलीं। स्त्रियों का अकेले यात्रा करना कम होता गया और उनकी दुनिया चारदीवारी तक सीमित हो गई। इस तरह वे ज्ञान के एक बडे स्रोत से कट गईं। हिचकिचाहट की प्रवृत्ति ने उनके मन में इतनी गहरी पैठ बनाई कि वे यात्रा के लिए पुरुषों पर निर्भर हो गईं। लेकिन समय के साथ परिस्थितियों में फिर बदलाव आया है। अब स्त्रियों ने फिर से यायावर बनने की ठानी है और घुमक्कडी को अपनाया है।

बढता है आत्मविश्वास

जो स्त्रियां अकेले यात्रा करने की हिम्मत दिखाती हैं, उनका आत्मविश्वास कई गुना बढ जाता है। इस बारे में वाओ (ङ्खशद्वद्ग- श- ङ्खड्ड-स्रद्गह्म्द्यह्वह्यह्ल) क्लब की फाउंडर सुमित्रा सेनापति कहती हैं,

'अकेले यात्रा करने से स्त्रियों के अंदर का डर दूर होता है क्योंकि उन्हें यात्रा के दौरान हर वक्त अलर्ट और कॉन्फिडेंट रहना होता है। साथ ही ट्रैवलिंग से जुडे सभी काम खुद करने होते हैं। इससे उनका खुद पर भरोसा बढता है।

खुद से मुलाकात

आज की स्त्री जिम्मेदारियों से घिरी हुई है। वह मां, पत्नी, बहू और एंप्लॉई है। हमेशा खुद से पहले अपने परिवार के सदस्यों के बारे में सोचती है। घर और ऑफिस की जिम्मेदारियों के बीच उसे भी पर्सनल स्पेस की दरकार होती है। अकेले ट्रैवल करने पर उसकी खुद से मुलाकात होती है। इस दौरान वह रूटीन से हटकर कपडे पहनती है, नए जायके चखती हैं, नए लोगों से मिलती हैं। कई बार उसे अपने छुपे हुए रुझान पता लगते हैं। जिंदगी की समस्याओं के समाधान भी मिलते हैं।

नएपन की तलाश

लंबे समय तक एक जगह रहने से व्यक्ति की मानसिकता भी संकुचित हो जाती है। यात्रा करना दुनिया को नए नजरिये से देखने की अदा सिखाता है। स्त्रियों में भी यह अदा सीखने की ललक जागी है। सिर्फ मनोरंजन के लिए फैमिली ट्रिप पर जाना मन की गिरह खोलने में उतना कारगर नहीं है। बात तो तब है जब आप खुद रास्ते ढूंढें, भटकें, गिरें, संभलें। लखनऊ की तरन्नुम कहती हैं, 'साल 2011 में मुझे लखनऊ से और मेरी एक सहेली को दिल्ली से ऋषिकेश आना था, लेकिन किसी कारणवश उसका आना कैंसिल हो गया। ऐसे में मैंने अपना ट्रिप पोस्टपोन करने की जगह उसे अकेले ही एंजॉय किया। वहां जाकर राफ्टिंग की, नए दोस्त बनाए और खूब घूमी। एक नवविवाहित जोडे से मेरी गहरी दोस्ती हो गई। आज भी सोशल साइट्स के जरिये मैं उनसे जुडी हुई हूं।

प्लानिंग की आजादी

अकेले ट्रिप पर जाने का फायदा यह होता है कि आप अपनी प्राथमिकताओं के हिसाब से अपना ट्रिप प्लान कर सकती हैं। मैनेजमेंट शिक्षिका इशिता बताती हैं, 'मैं कई सालों से अकेले यात्रा कर रही हूं। पहले जब ऐसा नहीं होता था तब मैं कई चीजें मिस कर रही थी। पति और बच्चों को ऐतिहासिक स्थल पसंद हैं और मुझे एडवेंचर डेस्टिनेशंस। मुझे हमेशा मन मारकर परिवार के मूड के हिसाब से एडजस्ट करना पडता था। लेकिन अब ऐसा नहीं होता।

सिखाते हैं बुरे अनुभव

यात्रा के दौरान कभी-कभी बुरे अनुभव भी होते हैं, लेकिन आज की स्त्रियां इनके लिए भी तैयार हैं क्योंकि ये भी उन्हें जिंदगी से जुडी अहम सीख देते हैं। तरन्नुम बताती हैं, 'यात्रा के दौरान कई बार मुझे खराब खाना भी खाना पडता है। कभी ट्रेन लेट होने पर घंटों इतजार करना पडता है। अराजक तत्वों का सामना भी करना पडता है, लेकिन इससे मुझे सीख मिलती है कि जिंदगी में सब कुछ अच्छा नहीं हो सकता। बुरे अनुभव जिंदगी का हिस्सा हैं। एक बार मैं कोटद्वार गई थी जहां मुझे मोबाइल फोन को चार्ज करने के लिए हर रोज पहाड से 7-8 किलोमीटर नीचे उतरना पडता था। इन कठिनाइयों ने मुझे और मजबूत बनाया। मेरा हौसला बढाया। इसलिए इनसे मुझे कोई शिकायत नहीं है।

गांव-कस्बों में भी बढी जागरूकता

भारत के बडे शहरों में रह रही स्त्रियों में तो अकेले यात्रा करने का चलन बढा ही है, गांव-कस्बों की स्त्रियों में भी अकेले सफर करने की हिम्मत जाग रही है। जालौन जिले में रहने वाली अर्चना सिंह बताती हैं, 'मैं कभी घूमने के लिए तो अकेले नहीं गई लेकिन अपने जरूरी कामों के लिए अकेले ही यात्रा करना पसंद करती हूं। खुद लाइन में लगकर अपना टिकट खरीदना, खाने का सामान खरीदना, ट्रेन में अपनी सीट तलाशना मुझे अच्छा लगता है। एक समय था जब मैं इन कामों के लिए अपने भाई पर निर्भर रहती थी पर अब ऐसा नहीं है। मुझमें यह परिवर्तन पिछले साल आया था। असल में मैं बीएड एंट्रेंस की परीक्षा देने कानपुर गई थी। वहां मैंने खुद ही कॉलेज ढूंढा, जरूरी डॉक्यूमेंट्स बनवाए और अर्जेंट फोटो खिंचवाए। नौकरीपेशा लडकियों के लिए तो यह सामान्य बात है पर मैंने इसके लिए पहली बार हिम्मत जुटाई। जब बिना किसी की मदद लिए मैंने अपने सारे काम कुशलता के साथ कर लिए तो मुझे खुद पर गर्व हुआ। अब तो मेरे अंदर की झिझक एकदम खत्म हो गई है। पिछले माह मैं कोलकाता की यात्रा पर भी अकेले गई थी।

सुरक्षा है जरूरी

अकेले ट्रैवल करने वाली स्त्रियों के लिए यात्रा के दौरान अपनी सुरक्षा से जुडे पहलुओं का भी ध्यान रखना बेहद जरूरी है। गृहिणी शोभा बताती हैं, 'मैं जब भी कोई ट्रिप प्लान करती हूं तो सबसे पहले वहां के लोकल पुलिस स्टेशन और महिला हेल्पलाइन नंबर आदि जुटाती हूं। एक बार यात्रा के दौरान जिस होटल में मैं ठहरी थी, वहां रात में कुछ अराजक तत्व घुस आए थे और रात में मेरे रूम का दरवाजा खटखटाने लगे। ऐसे में मैंने तुरंत पुलिस को फोन किया जिसके बाद हालात काबू में आ गए थे। ये इमरजेंसी नंबर्स मेरे पास रहते हैं तो मेरे मन में सुरक्षा की भावना रहती है।'

ध्यान रहे

- होटल और उसकी लोकेशन से कभी समझौता न करें। हमेशा शहर के केंद्र में स्थित होटल को प्राथमिकता दें। किसी सुनसान क्षेत्र में स्थित होटल में न रहें।

- रात को अकेले बाहर निकलने से बचें। - अजनबियों के साथ व्यक्तिगत जानकारियां न साझा करें।

- अपने पैसे और कीमती सामान एक ही स्थान पर न रखें।

- विदेशी टूर पर जा रही हैं तो अपने पास पासपोर्ट की ओरिजिनल कॉपी के अलावा फोटोकॉपी भी रखें। हमेशा पासपोर्ट लेकर होटल से बाहर निकलें।

ज्योति द्विवेदी


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