स्वाद की जुगलबंदी
कहते हैं जब जुगलबंदी होती है तो उसका असर दमदार होता है। यानी एक से भले दो। उदाहरण के लिए जिस तरह दुनिया की सबसे मजबूत जोड़ी बैटमैन और रॉबिन की है, उसी तरह खाने की कुछ चीजें ऐसी हैं जिनका एक साथ सेवन किया जाए तो वे अधिक फायदेमंद साबित हो सकती हैं। कैसे़, जानें इस लेख के जरिये।
फूड के सही कॉम्बिनेशन से ताउम्र सेहतमंद रहा जा सकता है। सेहत के लिहाज से पावर फूड बहुत अहम है। पावर फूड ऐसे खाद्य पदार्थों को कहते हैं जिनमें पर्याप्त मात्रा में विभिन्न प्रकार के पोषक तत्व (फाइबर, मैग्नीशियम व मिनरल्स आदि) होते हैं। यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाने में सहायक होते हैं। साथ ही यह हृदय संबंधी रोगों और कैंसर के खतरों को कम करने में अहम भूमिका अदा करते हैं। अगर आप अपनी डाइट में पावर फूड को जोडना चाहते हैं तो खानपान की गलत आदतों को छोडना पडेगा। भोजन में सभी पोषक तत्वों की जरूरत होती है और इस जरूरत को आप तभी पूरा कर सकते हैं जब उन्हें उचित खाद्य पदार्थ के साथ मिलाकर खाएं। उदाहरण के लिए किसी भी सिट्रस फल को अगर दूध के बजाय दही के साथ लिया जाए तो वह अधिक फायदेमंद होता है। दरअसल दही में खमीर होता है, जिसमें अच्छे बैक्टीरिया विकसित हो चुके होते हैं। लेकिन दूध में जब किसी सिट्रस फल को डाला जाता है तो वह खट्टेपन के कारण दही में बदलता है, लेकिन तुरंत पी लेने से उसमें खमीर नहीं बन पाता। यानी अच्छे बैक्टीरिया विकसित नहीं हो पाते। दूध के साथ सिट्रस फल का कॉम्बो बनाने से एसिडिटी की समस्या हो सकती है, क्योंकि यह बॉडी में टॉक्सिन पैदा कर देता है। आप अपने आहार में अधिक से अधिक पोषक तत्व शामिल करने और पावर फूड का लाभ उठाने के लिए क्या करें बता रही हैं फोर्टिस हॉस्पिटल की क्लिनिकल न्यूट्रिशनिस्ट डॉ. शिप्रा सकलानी।
टमाटर + एवोकैडो
टमाटर में लाइकोपीन पर्याप्त मात्रा में होता है। यह एक पिग्मेंट युक्त एंटीऑक्सीडेंट है, जिसे कैरोटेनॉइड कहते हैं। यह कैंसर और कार्डियोवैस्कुलर रोगों के खतरों को कम करता है। वसा कैरोटेनॉइड को शरीर में जज्ब होने में मदद करता है। इसीलिए टमाटर संग एवोकैडो का मेल बहुत अच्छा माना जाता है। ओहायो स्टेट यूनिवर्सिटी में हुए एक शोध के मुताबिक एवोकैडो और टमाटर को एक साथ खाया जाए तो यह सेहत के लिए अधिक लाभदायक होता। दरअसल एवोकैडो में पाए जाने वाले हेल्दी फैट्स लाइकोपीन को सात गुना तेजी से शरीर में अवशोषित करने में मदद करते हैं। इसलिए सैलेड में टमाटर के साथ एवोकैडो को जरूर शामिल करें।
नमक + काली मिर्च
नमक संग काली मिर्च का मेल बरसों पुराना है। यह फ्रेंच क्विजीन में 17वीं शताब्दी में ईजाद हुआ था। क्योंकि माना जाता है कि काली मिर्च एक ऐसा मसाला है, जो किसी भी फूड के प्राकृतिक स्वाद को नष्ट नहीं करता। खाने में थोडा नमक व काली मिर्च डालने से उसका स्वाद बढ जाता है। नमक में आयोडीन होता और काली मिर्च में ऐसे एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो ब्लड प्रेशर को संतुलित व रक्त को पतला रखता है, लेकिन नमक के अत्यधिक सेवन से बचना चाहिए।
ओटमील + ऑरेंज जूस
अमेरिका में हुए एक शोध से पता चला है कि एक बोल ओटमील संग ऑरेंज जूस लेने से आर्टरीज की सफाई होती है व हार्ट अटैक से बचाव होता है। इसे ब्रेकफस्ट में लिया जाए तो अधिक लाभ होता है। इन दोनों फूड्स में मौजूद कंपाउंड जिसे फिनॉल्स कहते हैं, एलडीएल कोलेस्ट्रॉल को मजबूत बनाता है।
मछली + वाइन
एक कहावत है मछली के स्वाद का पूरा लुत्फ उठाना चाहते हैं तो उसे एक बार पानी, मक्खन और फिर वाइन में डुबोना चाहिए। यानी पानी में पकाना (पोच, मक्खन के साथ टॉस करना और फ्लेवर लाने के लिए वाइन का इस्तेमाल करना चाहिए। शोध में यह पाया गया है कि ट्राउट, सालमन और सार्डिनेस ाए तो इनमें पाया जाने वाला ओमेगा 3 फैटी एसिड शरीर में बेहतर रूप से शोषित होगा। ऐसा माना जाता है कि वाइन में पाया जाने वाला रिस्वेरेट्रॉल बॉडी में ओमेगा 3 फैटी एसिड को एब्जॉर्ब करने में मदद करता है। लेकिन एल्कोहॉल के जरूरत से अधिक प्रयोग से ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बढ जाता है, इसलिए इसे सीमित मात्रा में लें। मछली के साथ वाइन का मेल इस प्रकार कर सकते हैं- फिश फीले इन लेमन सॉस सर्व्ड विद वाइन/अवन बेक्ड फिश इन व्हाइट वाइन।
मछली+लहसुन
सीफूड पसंद करने वालों को शायद ही मालूम हो कि मछली पोषक तत्वों का भंडार है। इसमें पर्याप्त मात्रा में जिंक, आयरन, कॉपर, आयोडीन और सेलेनियम जैसे मिनरल्स होते हैं। इन मिनरल्स का कॉम्बो जलन दूर करता है और कोलेस्ट्रॉल कम करने वाले फिश ऑयल्स जैसे इपीए और डीएचए को अधिक प्रभावी बनाता है। लहसुन के साथ मछली बनाने पर कुल कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम होता है।
पीनट बटर + स्ट्रॉबेरी
स्ट्रॉबेरी विटमिन सी का अच्छा स्नोत है। वहीं पीनट बटर विटमिन ई का स्नोत है। विटमिन ई रेटीना के बीचोंबीच पडने वाले दाग (जो अंधेपन का कारण होता है) से बचाने में मदद करता है। अगर विटमिन ई के साथ विटमिन सी लिया जाए तो वह विटमिन ई को सपोर्ट करता है। इस तरह से ये दोनों मिलकर दोगुना प्रभाव डालते हैं।
सैंडविच या टोस्ट में पीनट बटर के साथ कुछ टुकडे स्ट्रॉबेरी या स्ट्रॉबेरी स्मूदी लिया जाए तो आंखों की सेहत के लिए फायदेमंद होगा।
ग्रीन टी + लेमन जूस
चाय में फ्लेवोनॉइड्स पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं। यह एंटीऑक्सीडेंट्स का भंडार है। ग्रीन टी कैटिचिंस नामक ग्रुप का एक बडा स्नोत है, जो विटमिन सी और ई से भी अधिक शक्तिशाली होता है। लेकिन यह तभी फायदेमंद होता है जब इसे सिट्रस जूस (नीबू) के साथ लिया जाए।
आइस्ड ग्रीन टी विद मिंट एंड लेमन जूस या चिल्ड ग्रीन लेमन टी बेस्ट कॉम्बो हैं।
दही + केला
दही-केला से बेहतर कोई मेल ही नहीं। दही-केला टाइप 2 डायबिटीज वालों के लिए अच्छा होता है। दही में पर्याप्त प्रोटीन होता है, जो मसल मास को बरकरार रखता है। केले में पर्याप्त कार्ब, आयरन व फाइबर होता है जो दोबारा एनर्जी से भर देता है। केला मांसपेशियों के तनाव को कम करने में भी मदद करता है।
सालमन + तिल
धूप के अलावा बहुत कम चीजें हैं जिसमें विटमिन डी और कैल्शियम एक साथ हो। सालमन विटमिन डी का अच्छा स्नोत है। वहीं तिल में कैल्शियम पर्याप्त मात्रा में होता है। अगर इन दोनों को साथ लिया जाए तो विटमिन डी की दैनिक जरूरत को पूरा किया जा सकता है। कैल्शियम विटमिन डी के साथ बॉडी में समाता है। एक शोध से पता चला है कि 85 ग्राम सालमन विटमिन डी की दैनिक जरूरत को पूरा करने के लिए पर्याप्त है। तिल में पाए जाने वाले पोषक तत्व कैल्शियम, मैग्नीशियम और जिंक हड्डियों की सेहत के लिए बहुत उपयोगी होते हैं। इन दोनों का कॉम्बिनेशन आप इस तरह कर सकते हैं- फिश टिक्का विद सेसमे पेस्ट/ सालमन कुक्ड इन सेसमे सीड ग्रेवी।
बादाम + दही
गुड फैट् स लाइकोपीन को बॉडी में अवशोषित करने में मदद करते हैं। लेकिन अन्य ऐसे जरूरी विटमिंस भी हैं, जो फैट के साथ लिए जाएं तो अधिक प्रभावी होते हैं। विटमिन ए, डी और ई फैट में घुल जाने वाले विटमिंस हैं। गाजर, ब्रॉक्ली और मटर इन विटमिंस के अच्छे स्नोत हैं और इनका सेवन हेल्दी फैट जैसे ऑलिव ऑयल के साथ करना चाहिए। दही में विटमिन डी व बादाम में हेल्दी फैट होता है। अगर बादाम को दही के साथ लिया जाए तो वह अधिक उपयोगी साबित होगा। विटमिन ई का पर्याप्त लाभ उठाने के लिए इसे ऐसे फैट युक्त पदार्थों के साथ लें जो आसानी से बॉडी में घुल जाए। इसके लिए शकरकंद या स्पिनच सैलेड टॉप्ड विद ऑलिव ऑयल ट्राई कर सकते हैं।
इनसे बचें
1. खाने के साथ या बाद में फल
अकसर लोग खाने के साथ या बाद में फल खाने की भूल कर बैठते हैं। दरअसल फल सीधे पेट में जाते हैं और आंतें उसे पचाने के काम में लग जाती हैं। जब आप फल को किसी फूड के साथ लेते हैं तो उसे पचने में समय लगता है। कुछ फूड जैसे मीट, अनाज, यहां तक कि लो-वॉटर फ्रूट्स (केला, मेवे और एवोकैडो) जल्दी नहीं पचते और पेट में अधिक देर तक रहने से यह फर्मेंट हो जाते हैं। इनमें शर्करा होती है, जो आंतों को उसे बॉडी में सर्कुलेट करने के काम में लगा देती है। इस तरह पाचन प्रक्रिया धीमी पड जाती है।
नतीजतन एसिडिटी और पेट भरा-भरा महसूस होता है। बजाय इसके अगर खाना खाने के 30-60 मिनट बाद कोई फल खाया जाए तो उसका पूरा लाभ उठाया जा सकता है। खाली पेट या खाना खाने से पहले अगर फल खाया जाए तो वह डाइजेस्टिव ट्रैक्ट को दुरुस्त करता है। फल के रस से शरीर में पानी का संतुलन बनाता है। फल में मौजूद एंजाइम्स पाचन की प्रक्रिया को सक्रिय करने में मदद करते हैं। इसीलिए मेनकोर्स से पहले स्टार्टर लेना समझदारी होती है। भोजन के साथ फल लेने के बजाय एक घंटे पहले या बाद में लेने से अधिक लाभ मिलता है।
2. एनिमल प्रोटीन संग स्टार्च
मीट के साथ आलू, चिकेन के साथ पास्ता या फिर टर्की सैंडविच ये गलत कॉम्बिनेशन हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि एनिमल प्रोटीन के साथ कार्बोहाइड्रेट जैसे मीट के साथ ब्रेड या आलू लेने से दो अलग तरह के डाइजेस्टिव जूस मिलते हैं, जो एक-दूसरे के प्रभाव को खत्म कर देते हैं। प्रोटीन सड जाएगा और कार्बोहाइड्रेट खमीर में तब्दील हो जाएगा। ऐसे में गैस और बादी की समस्या पैदा हो जाएगी। एक ही समय में पेट में प्रोटीन और कार्ब एंजाइम्स एक साथ जाने से पूरा सिस्टम बिगड जाता है। हालांकि कुछ लोग पारंपरिक रूप से ऐसा ही भोजन करते हैं, क्योंकि उनका डाइजेस्टिव सिस्टम इस तरह के कॉम्बो से परिचित होता है, इसलिए हो सकता है उन्हें तुरंत इसका विपरीत प्रभाव न पता चले लेकिन कुछ समय बाद उन्हें भी असहजता महसूस हो सकती है। दाल-चावल, बींस-चावल या मीट आलू ये ऐसे कॉम्बिनेशन हैं जो हर किसी सूट नहीं कर सकते। बजाय इसके प्रोटीन के साथ नॉन स्टार्ची सब्जियां लेना उचित रहता है। अगर आप एनिमल प्रोटीन और स्टार्च ले रहे हैं तो उसके साथ हरी पत्तेदार सब्जियां जरूर खाएं ताकि इस मेल का पाचन प्रणाली पर विपरीत प्रभाव न पडे।
3. फैट के साथ गलत चयन
ऑलिव्स के साथ ब्रेड, टूना के साथ मेयोनीज या वेजटेबल ऑयल में बनाया हुआ मीट सही मेल नहीं हैं। जब हम कोई वसा युक्त चीज खाते हैं तो लिवर और गॉल ब्लैडर से निकलने वाले सॉल्ट का ब्रेकडाउन होता है। वहीं अगर फैट दूसरे पाचन रसायनों के साथ मिक्स होता है तो इससे शरीर को कठिनाई हो सकती है। उदाहरण के लिए प्रोटीन के साथ वसा अधिक मात्रा में लेने से पाचन की प्रक्रिया धीमी हो जाती है। अगर प्रोटीन युक्त भोजन के साथ सही तेल और वसा का इस्तेमाल किया जाए तो लिवर दुरुस्त रहता है। कम मात्रा में तेल का प्रयोग हमेशा सुरक्षित होता है।
सब्जियां, अनाज और प्रोटीन युक्त चीजें बनाने के लिए अगर ऑलिव और कोकोनट ऑयल का इस्तेमाल किया जाए तो वह नुकसान नहीं करता। प्रोटीन युक्त फैट्स जैसे एवोकैडो, सीड्स और नट्स के साथ हमेशा नॉन स्टार्ची सब्जियों का सेवन करने मेटाबॉलिज्म दुरुस्त रहता है।
4. भोजन के साथ पानी
पर्याप्त पानी पीना अच्छी आदत है, लेकिन कुछ लोगों को खाने के दौरान पानी या अन्य पेय पदार्थ लेने की आदत होती है। तथकथित रूप से बिना पानी के खाना गले में फं स जाता है। जब कि खानपान की यह आदत सही नहीं है। खाने के दौरान पानी, जूस या खाने के तुरंत बाद चाय पीने की आदत गलत है। पानी 10 मिनट के भीतर पेट में पहुंच जाता है। जूस 15-30 मिनट में। पेय पदार्थ प्रोटींस, कार्बोहाइड्रेट्स और फैट्स को पचाने वाले एंजाइम्स को पेट में घोल देते हैं। इस तरह मेटाबॉलिक सिस्टम बिगड जाता है। बेहतर होगा कि आपको जितना पानी पीना है खाना खाने से दस मिनट पहले ही पी लें। लेकिन भारी भोजन के साथ किसी भी प्रकार के पेय पदार्थ पीने के लिए कम से कम एक घंटे का अंतर रखें।
5. एक साथ दो प्रोटीन
खाने का स्वाद बढाने या अधिक प्रयोग करने के चक्कर हम अकसर यह ध्यान नहीं देते कि एक ही चीज में दो अलग तरह के प्रोटीन शामिल हैं। उदाहरण के लिए बेकन संग अंडा। इस तरह जब दो प्रोटीन युक्त चीजें एक साथ खाई जाती हैं तो वह पाचन प्रक्रिया को बाधित करके एनर्जी को नष्ट कर देती हैं। आयुर्वेद के अनुसार दो तरह के मीट एक साथ या मीट के साथ मछली खाने से बचना चाहिए यह हमारे मेटाबॉलिज्म सिस्टम पर विपरीत प्रभाव डालते हैं। प्रोटीन युक्त चीजें पचने में समय लेती हैं इसलिए इन्हें दिन में खाया जाए तो ठीक रहता है। बेहतर होगा कि मीट को लास्ट कोर्स रखें। फर्स्ट कोर्स मीट नहीं होना चाहिए। अगर दो प्रोटीन युक्त चीजें एक साथ ले रहे हैं तो उनके साथ ऐसी सब्जियां जरूर लें, जिनमें पानी की मात्रा अधिक होती है। उदाहरण के लिए प्याज, फू लगोभी, ब्रॉक्ली और लेट्यूस में पानी की मात्रा अधिक होती है। इसी तरह गुड के साथ अदरक नहीं इस्तेमाल करनी चाहिए। गुड में पर्याप्त आयरन होता है और अदरक में कैल्शियम। कैल्शियम आयरन को बॉडी में अवशोषित होने से रोकता है।
इला श्रीवास्तव