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कितनी फेयर है फेयरनेस क्रीम

भारतीय समाज में गोरेपन को विशेष महत्व दिया जाता है। सुंदरता को इसी पैमाने से आंका जाता है। यही वजह है कि लड़कियां गोरा दिखने के लिए फेयरनेस क्रीम्स का इस्तेमाल करती हैं। क्या ये क्रीम्स त्वचा के लिए सुरक्षित हैं? क्या हो सकते हैं इनके नुकसान, जानिए सखी से।

By Edited By: Published: Sat, 10 Sep 2016 09:55 AM (IST)Updated: Sat, 10 Sep 2016 09:55 AM (IST)
कितनी फेयर है फेयरनेस क्रीम
युवा पीढी में गोरेपन की चाहत बहुत बढ गई है। लडकियों के गोरे होने को सुंदरता से जोडकर देखा जाता है। यही वजह है कि कई बार सांवली लडकियां फेयरनेस क्रीम्स का इस्तेमाल करने लगती हैं। अगर आप भी ऐसा करती हैं तो सचेत हो जाएं और जानें इन क्रीम्स का लगातार प्रयोग किस तरह त्वचा को नुकसान पहुंचा सकता है। इन क्रीम्स में मरकरी, क्रोमियम, निकेल जैसे हेवी मेटल्स होते हैं, जिनके संपर्क में आने से पिंपल्स या स्ट्रेच माक्र्स हो सकते हैं। इसके अलावा खुजली की शिकायत हो सकती है। क्रीम में मरकरी की मात्रा ज्य़ादा होने से किडनी पर भी इसका बुरा असर देखने को मिलता है। इसके अलावा क्रोमियम से लिवर तक डैमेज हो सकता है। जो जानना है जरूरी फेयरनेस क्रीम में मरकरी के अलावा स्टेरॉयड, हाइड्रोक्विनोन जैसे अन्य खतरनाक केमिकल्स भी मौजूद होते हैं, जिसके कारण त्वचा पतली, कमजोर और ढीली हो जाती है। स्टेरॉयड के प्रभाव से त्वचा पीली पडऩे लगती है। दरअसल, स्टेरॉयड रक्त संचरण की गति को धीमा कर देता है, जिसके कारण हमें चेहरे के गोरे होने का भ्रम होता है। अधिकतर साबुनों में लगभग एक से तीन प्रतिशत मरकरी आयोडाइड होता है, जबकि क्रीम में 1 से 10% तक मरकरी अमोनियम होता है, इसलिए साबुन, क्रीम व अन्य कॉस्मेटिक उत्पादों के इस्तेमाल से पहले मरकरी की मात्रा जांच लेना जरूरी है। इसके लिए पैकेट पर दी गई जानकारी ध्यान से पढें। क्यों होता है ऐसा एंटी रिंकल या फेयरनेस क्रीम्स से त्वचा पर पपडी जमने या त्वचा के उधडऩे, जलन या खुजली और मुंहासे जैसे दुष्प्रभाव होना सामान्य बात है। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी क्रीम्स दवा की श्रेणी में आती हैं, इसलिए इन्हें बाजार में लाने से पहले इन पर व्यापक शोध होना चाहिए। कॉस्मेटिक उत्पाद बनाने वाली कुछ कंपनियां उपभोक्ताओं के दबाव के कारण आई मेकअप प्रोडक्ट्स में मरकरी का इस्तेमाल नहीं करती हैं लेकिन अधिकतर कंपनियां मेकअप उत्पादों की बिक्री बढाने के लिए पारायुक्त कॉस्मेटिक्सका निर्माण करती हैं जिससे त्वचा की रंगत निखर सकती है। साइड इफेक्ट्स फेयरनेस क्रीम्स के लंबे इस्तेमाल से कुछ साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। रैशेज और इचिंग अकसर लोगों को फेयरनेस क्रीम के इस्तेमाल के बाद त्वचा में खुजली शुरू हो जाती है। यह साइड इफेक्ट क्रीम को लगाने के तुरंत बाद ही दिखने लगता है। जब भी ऐसा लगे, चेहरे को ठंडे पानी से धो लें या उस स्थान पर बर्फ लगाएं। इससे त्वचा पर होने वाली खुजली बंद हो जाएगी और उसे किसी भी तरह का नुकसान नहीं होगा। स्किन कैंसर फेयरनेस क्रीम का रोजाना इस्तेमाल स्किन कैंसर का कारण बन सकता है। जिन क्रीम्स में स्किन को फेयर करने के लिए मरकरी या स्टेरॉयड जैसे तत्व शामिल हों, उनका इस्तेमाल कभी न करें। ड्राई स्किन अगर आपकी त्वचा ड्राई है तो फेयरनेस क्रीम का उपयोग करने से वह और ज्य़ादा रूखी लग सकती है। अपनी त्वचा की जरूरत के अनुसार ही क्रीम का चुनाव करें। एक्ने किसी भी क्रीम से त्वचा पर मौजूद पोर्स बंद हो जाते हैं, जिससे पिंपल्स हो सकते हैं। ध्यान रखें कि त्वचा पर ज्य़ादा समय तक पिंपल्स होने से चेहरे पर उनके स्थायी निशान पड सकते हैं। एलर्जी इन क्रीम्स के अधिक इस्तेमाल से त्वचा पर लाल चकत्ते पड सकते हैं। अगर आपको पहले से ही किसी पदार्थ से एलर्जी है तो आप फेयरनेस क्रीम में मिलाए जाने वाली सामग्री की जांच जरूर कर लें। त्वचा में कालापन इन क्रीम्स के दुष्प्रभावों से त्वचा बेहद संवेदनशील हो सकती है और धूप के कारण भी इससे नुकसान पहुंच सकता है। इससे त्वचा पर काले धब्बे पड सकते हैं। किडनी को भी खतरा मेकअप प्रोडक्ट्स में 61% उत्पाद त्वचा को गोरा करने वाले होते हैं। ऐसे साबुनों और क्रीम्स से किडनी को भी नुकसान हो सकता है। साथ ही बैक्टीरियल व फंगल इन्फेक्शंस होने का खतरा बढ जाता है। सावधानी है जरूरी एक्सपर्ट के मुताबिक न केवल स्त्रियों बल्कि पुरुषों में भी गोरा होने की चाहत काफी बढ गई है। इसकी टॉक्सिटी इस बात पर निर्भर करती है कि उसमें मरकरी का इस्तेमाल कितनी मात्रा में किया गया है। आंख, कान, नाक, लंग्स, किडनी और रिप्रोडक्टिव सिस्टम पर इसका दुष्प्रभाव देखने को मिलता है। अगर कोई लगातार इसका इस्तेमाल कर रहा है तो किडनी के साथ-साथ ब्रेन को भी नुकसान हो सकता है। लंबे समय तक ऐसे प्रोडक्ट्स का प्रयोग करने से फोटो टॉक्सिक रिएक्शन होने लगता है, जिससे चेहरे पर खुजली, लालिमा, चकत्ते या कले धब्बे नजर आने लगते हैं। इनसे बचने के लिए अपनी डाइट में पौष्टिक पदार्थों को शामिल करना चाहिए, साथ ही विटमिन-सी युक्त फलों का सेवन करना चाहिए, ताकि त्वचा मुलायम और बेदाग बनी रह सके। रिसर्च कॉर्नर हाल ही में दिल्ली इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्युटिकल साइंसेज एंड रिसर्च के अनुसार 11 मशहूर ब्रैंड्स के मेकअप प्रोडक्ट्स की जांच की गई थी, जिसमें चौंकाने वाले नतीजे सामने आए। भारत में ब्यूटी प्रोडक्ट्स में मरकरी के इस्तेमाल की मनाही है, इसके बावजूद लगभग सभी उत्पादों में भारी मात्रा में मरकरी पाया गया है। भारत में फेयरनेस क्रीम्स का कारोबार करीब 3 हजार करोड रुपये का है। यहां फेयरनेस क्रीम के कारोबार की शुरुआत वर्ष 1975 में हुई थी लेकिन गोरा रंग पाने की चाहत भारतीयों के दिलों में अंग्रेजों के जमाने से ही है। गोरे रंग के लिए फेयरनेस क्रीम्स का इस्तेमाल करने के मामले में भारत दुनिया में नाइजीरिया के बाद दूसरे नंबर पर है। आधे से ज्यादा भारतीय गोरा रंग पाना चाहते हैं जबकि नाइजीरिया में करीब 77% स्त्रियां फेयरनेस क्रीम का इस्तेमाल करती हैं। मरकरी एक तरह का न्यूरोटॉक्सिन है, जो किडनी और लिवर के अलावा गर्भस्थ शिशु को भी नुकसान पहुंचाता है। एक रिसर्च में पाया गया कि शरीर में मरकरी की अधिक मात्रा भविष्य में कैंसर का खतरा पैदा कर सकती है। डब्लूएचओ के मुताबिक क्रीम और साबुनों में पाया जाने वाला मरकरी त्वचा से जुडी बीमारियां देने के साथ-साथ डिप्रेशन, घबराहट और पेरीफेरल न्यूरोपैथी जैसी बीमारियों का कारण बन सकता है। डब्लूएचओ के अनुसार चीन में भी 40% स्त्रियां फेयरनेस क्रीम्स का इस्तेमाल कर रही हैं। साबुनों, क्रीम्स और कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स में पाया जाने वाला मरकरी अकसर पानी में मिल जाता है, जिससे पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है। यानी गोरेपन की चाहत न केवल व्यक्ति के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है बल्कि यह पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचाती है।जाहिर है, अंतिम रूप से दूषित पर्यावरण की मार भी व्यक्ति को ही झेलनी पडती है। गीतांजलि (डॉ. निवेदिता दादू, डर्मेटोलॉजिस्ट, स्किनोलॉजी स्किन व हेयर क्लिनिक से बातचीत पर आधारित)

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