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खानपान के नए नियम

आज की जीवनशैली में स्वस्थ रहना सबसे बड़ी चुनौती है। आम लोग डाइट की पुरानी भारतीय पद्धति का ही पालन करते आ रहे हैं, जबकि जीवनशैली का ढर्रा पूरी तरह बदल चुका है। लाइफस्टाइल को एक हद तक ही बदला जा सकता है, मगर स्वस्थ रहने के लिए जरूरी है कि फूड हेबिट को बदला जाए। सखी से जानें इसके कुछ टिप्स।

By Edited By: Published: Sat, 02 Aug 2014 11:35 AM (IST)Updated: Sat, 02 Aug 2014 11:35 AM (IST)
खानपान के नए नियम

स्वस्थ खानपान का अर्थ यह नहीं है कि खाने पर खूब खर्च किया जाए और हर लुभाने वाले खाद्य पदार्थ को खरीद लिया जाए। सेहतमंद खाना बहुत सीधा-सादा होता है। इसका अर्थ है, मौसमी फल-सब्जियां और घर में बनाया गया कम घी-तेल वाला ताजा भोजन। पैकेट बंद या प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थ सेहत प्रदान नहीं कर सकते और न ही बेमौसम महंगे फल या सब्जियां खाकर कोई स्वस्थ रह सकता है।

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वजन को घटाने या स्वस्थ रहने का कोई अचूक नुस्खा नहीं है। इसके लिए ऐसी जीवनशैली चुननी होती है, जिसमें व्यक्ति स्वस्थ जीवन के नियमों का पालन करते हुए कंफर्टेबल तरीके से रह सके। थोडी सी समझदारी रखी जाए और योजनाबद्ध रहें तो घर पर पौष्टिक और स्वादिष्ट खाना रोज तैयार किया जा सकता है।

असुविधा भरी डाइट

छरहरा रहना किसे अच्छा नहीं लगता, लेकिन वजन घटाना हमेशा सेहतमंद नहीं होता। हो सकता है कोई नया डाइट प्लान वजन घटा रहा हो, मगर उसका सेहत पर नकारात्मक प्रभाव पड सकता है, क्योंकि शरीर को हर तरह के खाद्य पदार्थो की जरूरत होती है। डाइटिंग के दौरान कुछ खास खाद्य पदार्थ निषिद्ध होते हैं। लोग इतने उतावले होते हैं कि थोडे समय में ज्यादा वजन घटाना चाहते हैं। एक-दो महीने में 5-8 किलो वजन घटा कर उनका मन भले ही खुश हो जाए, लेकिन शरीर अप्रसन्न हो सकता है।

आदत बदलना जरूरी

भारतीय भोजन की अपनी अच्छाइयां-बुराइयां हैं। अच्छाई यह है कि इसमें फाइबर-युक्त दालों की भरमार है और एनिमल प्रोटीन कम है। पारंपरिक भोजन में दाल और सब्जियां महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। आम भारतीय थाली में स्वाद और सेहत के लगभग हर नियम का पालन किया जाता है। यह कंप्लीट थाली है, जिसमें मिक्स वेज, दाल, चपाती, राइस, दही, सैलेड और चटनी के अलावा पापड होता है। लेकिन समस्या भारतीय भोजन को पकाने की विधि में है, जिसमें घी-तेल का प्रयोग ज्यादा होता है। तला-भुना मसालेदार खाना लोगों को पसंद आता है मगर इससे उनकी सेहत पर नकारात्मक प्रभाव पडता है। पहले लोग शारीरिक रूप से सक्रिय रहते थे, इसलिए ऑयली खाना उन्हें पचता था। मगर अब ज्यादातर लोग डेस्क जॉब में हैं और घंटों बैठे रहना उनकी मजबूरी है। ऐसे में यदि खानपान की आदतें न बदली जाएं तो एक उम्र के बाद स्वास्थ्य समस्याएं पैदा होने लगती हैं। इसलिए जरूरी है कि डाइट में कुछ नियमों का पालन किया जाए-

डाइट टिप्स

1. नए दिन की बेहतर शुरुआत करनी हो तो 1-2 ग्लास गुनगुने पानी में नीबू-शहद डालकर पिएं।

2. अपनी रोटी को सेहतमंद बनाएं। गेहूं में रागी, चना, जौ जैसे अनाज मिला कर पीसें। इसे थोडा मोटा पिसाएं ताकि आटे में पर्याप्त चोकर रहे।

3. भरपूर सैलेड खाएं या फिर दही में ढेर सारी सब्जियां डाल लें।

4. वनस्पति या रिफाइंड ऑयल का प्रयोग कम से कम करें। इसके बजाय वे सब्जियां ज्यादा बनाएं, जिनमें घी कम प्रयुक्त हो। कुकर का प्रयोग अधिक करें, ताकि स्वाद और सेहत दोनों बरकरार रहे।

5. बाहर से खाना ऑर्डर कर रहे हों तो एक प्रोटीनयुक्त और एक वेजटेबल डिश मंगाएं, ताकि सैच्युरेटेड फैट और कैलरीज को कम किया जा सके।

6. दो मील के बीच कुछ हलका-फुलका खाने का मन हो तो समोसे या चिप्स के बजाय रोस्टेड चना या मुरमुरे खाएं।

7. तेल में तली गई पकौडे के बजाय स्टिर फ्राई सब्जियां खाएं।

8. मसालेदार मटर-पनीर के बजाय पनीर-मटर और सोया नगेट्स वाला पुलाव खाएं।

9. फ्राइड और स्टफ्ड ब्रेड के बजाय स्टीम्ड राइस, चपाती या प्लेन नान सही है।

10. फैटयुक्त दूध के बजाय स्किम्ड मिल्क, छांछ और दही का सेवन करें।

11. सप्ताह में कम से कम 4 दिन वेजटेबल दलिया बनाएं। ब्रेकफस्ट में पूडी-सब्जी, परांठा, बटर-चीज सैंडविच के बजाय दलिया, पोहा, बेसन का चीला बनाएं।

12. महीने में कम से कम दो बार उपवास जरूर रखें, ताकि शरीर को डिटॉक्सीफाई कर सकें। उपवास में उबली सब्जियां, ताजे फल खाएं और तले-भुने आलू चिप्स जैसी चीजों से परहेज करें। पानी खूब पिएं।

सखी फीचर्स


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