हेल्थ वॉच
ऑस्ट्रेलिया स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ एडिलेड के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक अध्ययन की रिपोर्ट के अनुसार जो स्त्रियां कंसीव करने से पहले जंक फूड और सॉफ्ट ड्रिंक्स का सेवन अधिक मात्रा में करती हैं, उनमें प्रीमेच्योर डिलिवरी का खतरा पौष्टिक आहार लेने वाली स्त्रियों की तुलना में 50 प्रतिशत अधिक होता है।
कंसीव करने से पहले जंक फूड से बनाएं दूरी
ऑस्ट्रेलिया स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ एडिलेड के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक अध्ययन की रिपोर्ट के अनुसार जो स्त्रियां कंसीव करने से पहले जंक फूड और सॉफ्ट ड्रिंक्स का सेवन अधिक मात्रा में करती हैं, उनमें प्रीमेच्योर डिलिवरी का खतरा पौष्टिक आहार लेने वाली स्त्रियों की तुलना में 50 प्रतिशत अधिक होता है।
शोध में यह पाया गया कि जिन स्त्रियों के खाने में फैट और शुगर की मात्रा ज्यादा थी, उनकी प्रीमेच्योर डिलिवरी हुई। शोधकर्ताओं ने स्त्रियों को सलाह दी कि कंसीव करने से पहले उन्हें फल, सब्जियां, दलिया, ओट्स, मछली और चिकेन का सेवन पर्याप्त मात्रा में करना चाहिए, लेकिन उन्हें पिज्जा-बर्गर, चॉकलेट, पेस्ट्री, वेफर्स और कोल्ड ड्रिंक्स से दूर रहने की कोशिश करनी चाहिए।
दिल के लिए फायदेमंद सरसों का तेल
पारंपरिक भारतीय रसोई में सरसों के तेल को प्रमुखता से शामिल किया जाता है। प्राचीनकाल से ही इसे सेहत के लिए फायदेमंद माना जाता रहा है और अब तो विज्ञान ने भी इस पर अपनी सहमति की मुहर लगा दी है। जर्नल ऑफ प्रिवेंटिव कार्डियोलॉजी में प्रकाशित एक शोध के अनुसार इसमें मौजूद ओमेगा-3 और ओमेगा-6 फैटी एसिड बैड कोलेस्ट्राल एलडीएल को घटाने के साथ, गुड कोलेस्ट्रॉल एचडीएल को बढाने का भी काम करता है। इसमें फैटी एसिड का संतुलित अनुपात हृदय रोग की आशंका को काफी हद तक कम कर देता है। यह मेटाबॉलिज्म की प्रक्रिया को भी दुरुस्त रखता है। इतना ही नहीं, इसमें कई ऐसे पोषक तत्व मौजूद हैं, जो मांसपेशियों, त्वचा और बालों के लिए फायदेमंद साबित होते हैं। यह बहुत अच्छे दर्द निवारक का काम करता है। इसीलिए पारंपरिक रूप से मालिश के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता रहा है।
ब्लड टेस्ट से संभव होगी आथ्र्राइटिस की जांच आथ्र्राइटिस हड्डियों और जोडों के दर्द से जुडी एक ऐसी समस्या है, जिससे ज्यादातर लोग परेशान रहते हैं। सबसे बडी दिक्कत तो यह है कि अब तक कोई ऐसी जांच उपलब्ध नहीं थी, जिससे पहले से ही इस बीमारी की आशंका के बारे में पता लगाया जा सके। इसी समस्या को दूर करने के लिए ब्रिटेन की ब्रिस्टल यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने एक नए ब्लड टेस्ट का ईजाद किया है, जिसके माध्यम से रक्त में मौजूद उन दो बायोमार्कर (वह तत्व जो किसी बीमारी की स्थिति को दर्शाता है) की पहचान मुमकिन होगी, जो आगे चलकर आथ्र्राइटिस का कारण बन सकते हैं। इससे बीमारी की आशंका होने पर, पहले से ही जीवनशैली और खानपान में सुधार लाकर इसके लक्षणों को पैदा होने से रोका जा सकता है।
जवां रहने के लिए कम खाएं नमक
नमक की अधिक मात्रा उच्च रक्तचाप और हृदय रोग के लिए तो जिम्मेदार है ही इसके अलावा हाल ही में कैंब्रिज विश्वविद्यालय में किए गए एक शोध से यह तथ्य सामने आया है कि नमक का अधिक सेवन असमय बुढापे के लिए भी जिम्मेदार है। शोध में शामिल वैज्ञानिकों का कहना है कि सोडियम की अधिक मात्रा लेने से हमारी कोशिकाएं नष्ट होने लगती हैं। जो बच्चे वेफर्स और जंक फूड के जरिये बहुत अधिक नमक खाते हैं, उनके शरीर में कोशिकाएं तेजी से कमजोर पडने लगती हैं। बडे होने के बाद ऐसे बच्चे हृदय रोग के शिकार हो सकते हैं। अध्ययन के बाद शोधकर्ता इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि खाने में नमक की अधिक मात्रा से शरीर की कोशिकाएं समय से पहले ही बूढी हो जाती हैं। खाने में नमक की कम मात्रा कोशिकाओं की एजिंग प्रॉसेस को धीमा कर देती है। यह तथ्य ऐसे लोगों के मामले में अधिक प्रभावी होता है, जिनका वजन ज्यादा होता है। यह बात पहले किए गए अध्ययनों से भी सही साबित हो चुकी है कि क्रोमोजोम्स के संरक्षात्मक छोरों को टेलोमेयर्स नाम से जाना जाता है। आयु के बढने के साथ-साथ ये टेलोमेयर्स छोटे हो जाते हैं। नमक के अधिक सेवन, स्मोकिंग और मोटापे की स्थिति में भी क्रोमोजोम्स का यह हिस्सा तेजी से सिकुडने लगता है। मानव शरीर कोशिकाओं से ही बना है और उनके साथ व्यक्ति की भी एजिंग प्रॉसेस तेज हो जाती है। इसलिए अगर आप लंबे समय तक जवां बने रहना चाहते हैं तो नमक का सेवन सीमित मात्रा में करें।
स्त्रियों के लिए जरूरी है चावल और आलू
ब्रिटेन स्थित कैंब्रिज यूनिवर्सिटी की आहार विशेषज्ञ डॉ. सारा के मुताबिक कार्बोहाइड्रेट और फैट युक्त खाद्य सामग्री हमारी डाइट का अहम हिस्सा है। इनके सेवन पर पाबंदी लगाने से कोशिकाओं को पर्याप्त मात्रा में ऊर्जा नहीं मिलती। इससे शरीर कमजोर होने लगता है और लोगों में चक्कर आने, सिरदर्द, सुस्ती और चिडचिडापन जैसे लक्षण नजर आते हैं। लंबे समय तक कार्बोहाइड्रेट और फैट से दूर रहने पर हमारा शरीर मांसपेशियों में संरक्षित प्रोटीन से ऊर्जा हासिल करने लगता है। इससे हाथ-पैरों से लेकर हृदय तक की मांसपेशियों में पोषण की कमी होने लगती है। कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन की कमी की वजह से स्त्रियों की ओवरी में एग्स बनने की प्रक्रिया धीमी पड जाती है, इससे उन्हें गर्भधारण में समस्या हो सकती है। इससे त्वचा, नाखून और बाल रुखे व बेजान होने लगते हैं। स्त्रियों में एनीमिया और माइग्रेन जैसी समस्याएं भी इसी वजह से होती हैं। इनसे बचने के लिए उन्हें अपने भोजन में चावल, आलू, केला, अंकुरित अनाज और दालों को संतुलित मात्रा में शामिल करना चाहिए।
दिमाग को आराम पहुंचाती है उबासी
किसी भी सार्वजनिक स्थल पर दूसरों के सामने उबासी लेने में अकसर लोगों को शर्मिदगी महसूस होती है, लेकिन यह जानकर आपको ताज्जुब होगा कि उबासी हमारे दिमाग के लिए फायदेमंद साबित होती है। न्यूयार्क स्थित स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता एंड्रिव गैलअप के अनुसार जब ब्रेन को ऑक्सीजन की कमी महसूस होती है तो उसे दूर करने के लिए स्वाभाविक रूप से हमें उबासी आती है। यह प्रक्रिया दिमाग और चेहरे के तापमान को संतुलित रखती है। उबासी लेते हुए अकसर लोग अपने शरीर को खींचते हैं। इससे उनकी मांसपेशियों को बहुत राहत मिलती है और वे दोबारा काम करने के लिए तैयार हो जाती हैं। हजारों लोगों के बीच उबासी की आवृत्ति का अध्ययन करने के बाद वैज्ञानिक इस निष्कर्ष पर पहुंचे। इसलिए अगली बार जब भी आपको उबासी आए तो इसके लिए खुद को दोषी न समझें, क्योंकि यह आपके शरीर की स्वाभाविक प्रक्रिया है।