स्वस्थ तन-मन के लिए धूप की झप्पी
भारत के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में विटमिन डी की कमी से पीडि़त लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है। पर्याप्त मात्रा में धूप न लेना कई शारीरिक-मानसिक बीमारियों की वजह बन सकता है। ऐसा न हो, इसके लिए सही समय पर और सही अवधि के लिए धूप लेना जरूरी है। सखी का आलेख।
प्रइवेसी पाने की चाहत में हमने अपने घरों को फैंसी ब्लाइंड्स, कर्टेन्स और शटर्स के आवरण के भीतर छुपा लिया। शैंडेलियर्स और ग्लोब्स की कृत्रिम रोशनी ने हमारे घरों को रोशन तो किया लेकिन साथ ही उन्हें सूरज की रोशनी से महरूम भी कर दिया। विशेषज्ञों की नजर में यह स्थिति खतरनाक है। वे सूरज की रोशनी को स्वास्थ्य के लिए जरूरी मानते हैं। आइएलएस हॉस्पिटल के कन्सल्टेंट फिजिशियन एंड डायबेटोलॉजिस्ट डॉ. पिनाकी डे से जानिए धूप के स्वास्थ्य से संबंधित फायदे-नुकसान।
बढे हैं मामले
भारत में सूरज की रोशनी प्रचुर मात्रा में पाई जाती है। आम धारणा है कि यहां के लोगों के शरीर में धूप से मिलने वाले विटमिन डी की कमी नहीं हो सकती। लेकिन असल में ऐसा नहीं है। यहां बडी संख्या में लोग विटमिन डी की कमी से पीडित हैं। हाल ही में एक मेट्रो शहर में हुए शोध में वहां के 90 प्रतिशत डॉक्टर इस विटमिन की कमी से ग्रस्त पाए गए। भारत में इस कमी से पीडित लोगों में शहरी के साथ ही ग्रामीण लोग भी बडी संख्या में शामिल हैं। बच्चों और युवाओं में ऐसा कम पाया जाता है।
प्रमुख कारण
भारतीय लोगों में विटमिन डी की कमी के दो प्रमुख कारण हैं। पहला है पहनावा। शरीर को धूप का फायदा मिले इसके लिए शरीर के एक तिहाई हिस्से का एक्सपोजर जरूरी होता है। लेकिन प्रचलित भारतीय पहनावे में शरीर का अधिकांश हिस्सा ढंका रहता है। दूसरा प्रमुख कारण है सिटिंग जॉब का बढता प्रचलन। लोग एयरकंडिशंड कार में बैठ कर ऑफिस आते हैं, दिन भर बैठे-बैठे काम करते हैं और दिन ढले घर चले जाते हैं। इस लाइफस्टाइल में उन्हें धूप में बाहर निकलने का मौका ही नहीं मिलता, जिसके चलते वे धूप के स्वास्थ्य संबंधी लाभ भी नहीं उठा पाते। इसके अलावा विटमिन डी की कमी के कई अन्य कारण भी हैं जैसे डार्क स्किन कॉम्प्लेक्शन होना। डार्क स्किन में मेलेनिन की मात्रा अधिक होती है। मेलेनिन अल्ट्रावायलेट किरणों को त्वचा में समाने से रोकता है। इसी तरह एक्स्ट्रा सबक्यूटेनस फैट के चलते भी त्वचा को धूप से मिलने वाले फायदे कम हो जाते हैं।
बीमारियों से बचाव
अब तक धूप के फायदों को लेकर सबसे प्रचलित तथ्य यही था कि इसमें विटमिन डी होता है, जो हड्डियों व जोडों की मजबूती और विकास के लिए जरूरी है। इससे रिकेट्स और ऑस्टियो मलेशिया जैसी बीमारियों से बचाव होता है। लेकिन पिछले कुछ सालों में हुए नए शोधों में यह बात सामने आई है कि धूप हड्डियों व जोडों के अलावा अन्य अंगों के विकास के लिए भी जरूरी है। उदाहरण के तौर पर, धूप हमें कई बीमारियों से सुरक्षा प्रदान करती है। जैसे डायबिटीज, दिल का दौरा और कैंसर। हर दिन उचित मात्रा में धूप लेने से टीबी होने की आशंका भी कम होती है। धूप मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करती है। साथ ही इससे डिप्रेशन भी दूर होता है।
सही समय महत्वपूर्ण
सुबह 11 से दोपहर 2 बजे का समय धूप लेने के लिए सबसे मुफीद है। प्रतिदिन 15-20 मिनट तक धूप लेना पर्याप्त होता है। इससे ज्यादा एक्सपोजर होने पर त्वचा को नुकसान भी पहुंच सकता है। जिस दिन तापमान बहुत अधिक हो, उस दिन धूप में बाहर निकलने से बचना चाहिए, क्योंकि इससे सनबर्न से लेकर स्किन कैंसर जैसी समस्याएं हो सकती हैं। लू लगने का भी खतरा रहता है।
रोशनी को आने दो
घर के अंदर धूप न आने या कम आने से सैनिटेशन प्रभावित होता है। बैक्टीरिया, फंगल कंट्रोल में सूरज की रोशनी की अहम भूमिका है। अगर घर से बाहर निकलना संभव नहीं है तो खिडकी के पास खडे होकर भी धूप ली जा सकती है।
- खिडकियों के पर्दे और ब्लाइंड्स प्रतिदिन कुछ घंटों के लिए खुले छोड दें ताकि धूप और ताजी हवा घर के अंदर आ सके।
- कांच की खिडकियां हमेशा साफ रखें ताकि उनके जरिये धूप घर के अंदर आ सके। खिडकियों के कांच पर जमी धूल रोशनी के समुचित आगमन को रोकती हैं।
- सूरज की रोशनी का प्रभाव बढाने के लिए दीवारों पर हलके रंगों के पेंट का इस्तेमाल करें। ये पेंट सूरज की रोशनी को कमरे में बिखेरते हैं। जबकि गहरे रंगों के पेंट सूरज की रोशनी को सोखते हैं।
- सॉलिड कलर्ड ब्लाइंड्स की जगह रिफ्लेक्टिव ब्लाइंड्स का इस्तेमाल ज्यादा मुफीद रहता है। इन ब्लाइंड्स में बाहर से अंदर का नजारा नहीं दिखता है, जिससे आपकी प्राइवेसी बनी रहती है। लेकिन इनसे बाहर की रोशनी अंदर आती रहती है।
- खिडकी के सामने की दीवार पर बडे आकार का शीशा लगाएं। इससे कमरे में दाखिल होने वाली धूप रिफ्लेक्ट होकर बिखर जाएगी।
ज्योति द्विवेदी