ट्रेडमिल पर दौड़ रहे हैं?
बढ़ते प्रदूषण के कारण आजकल लोग आउटडोर ऐक्टिविटीज के बजाय घर या जिम में वर्कआउट करना ज्य़ादा पसंद करने लगे हैं।
बढते प्रदूषण के कारण आजकल लोग आउटडोर ऐक्टिविटीज के बजाय घर या जिम में वर्कआउट करना ज्य़ादा पसंद करने लगे हैं। जिम में ट्रेडमिल रनिंग काफी लोकप्रिय है लेकिन इसे करते हुए कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है ताकि शरीर को इसका पूरा लाभ मिल सके।
सर्दियों में ठंड और कोहरे के कारण आउटडोर ऐक्टिविटीज कम हो जाती हैं। आजकल जगह-जगह जिम खुल गए हैं और लोग इक्विपमेंट्स के जरिये फिटनेस रिजीम हासिल करना चाहते हैं। ट्रेडमिल एक ऐसा ही पॉपुलर इक्विपमेंट है। वजन घटाने के लिए भी लोग इसे आजमा रहे हैं, साथ ही कार्डियो वर्कआउट के लिए भी यह काफी प्रभावशाली तरीका है। ट्रेडमिल वर्कआउट से पहले कुछ बातों का ध्यान रखें।
कंफर्टेबल और अच्छी क्वॉलिटी के रनिंग शूज खरीदें। ध्यान दें कि ये अच्छी फिटिंग वाले और लाइट वेट हों, साथ ही हील्स, एंकल और एडी को पूरा सपोर्ट करें। अपने साथ हार्ट मॉनिटर, हैंड टॉवल और पानी की बॉटल जरूर रखें। यदि सप्ताह में पांच दिन 30 मिनट ट्रेडमिल करते हैं तो चार-पांच महीने में शूज बदल लें।
वॉर्मअप और कूल डाउन का ध्यान रखें। स्पीड बढाते हैं तो शरीर फास्ट मोड में रहता है। इसमें जरूरत होती है इंटरवल ट्रेनिंग (फास्ट-स्लो, फास्ट-स्लो) वर्कआउट की। ट्रेडमिल पर सही उम्र, जेंडर या वजन फीड करने के बाद भी खर्च की गई कैलरी के लिए पूरी तरह इक्विपमेंट पर भरोसा न रखें क्योंकि इससे सिर्फ रफ आइडिया मिलता है।
ट्रेडमिल की स्पीड इतनी हो कि दिल की धडकन बढे लेकिन इतनी अधिक न हो कि सांस फूलने लगे और बोलने में कठिनाई हो। शुरुआत धीमी गति से करें, धीरे-धीरे स्पीड बढाएं। निर्देशों को ध्यान से पढें। अगर जिम में हैं तो इंस्ट्रक्टर की बातों पर ध्यान दें। बोरियत से बचने के लिए हेडफोन पर म्यूजिक सुन सकते हैं। टीवी देखना चाहते हैं तो ध्यान रखें कि उसकी स्क्रीन आपके ठीक सामने की दिशा में हो।
शरीर को हाइड्रेट रखें। पानी पीते रहें। अगर वजन कम करना चाहते हैं तो ट्रेडमिल वर्कआउट के साथ कार्डियो और स्ट्रेंथ ट्रेनिंग भी करें। अलग-अलग तरह की स्ट्रेंथ ट्रेनिंग एक्सरसाइज अलग-अलग मसल्स को फायदा पहुंचाती हैं।
किसी शारीरिक समस्या से जूझ रहे हैं तो पहले डॉक्टर की सलाह लें। रनिंग करते हुए पैरों की ओर न देखें, इससे संतुलन बिगड सकता है और गर्दन, पीठ और घुटनों को चोट पहुंच सकती है।
रोज एक जैसा व्यायाम करना आसान तो है लेकिन शरीर पर इसका असर कम होता है। इसलिए रूटीन बदलते रहना जरूरी है। मसल्स में दर्द हो, धडकन सामान्य न हो, हर वर्कआउट के बाद शरीर में दर्द होता हो तो इसका अर्थ है कि वर्कआउट ज्यादा कर रहे हैं। कुछ दिन ब्रेक लें, फिर शुरू करें।