हेल्थवॉच
ब्रेन ट्यूमरएक ऐसी गंभीर बीमारी है, जिसके खिला़फ पूरी दुनिया के वैज्ञानिक एकजुट होकर लड़ रहे हैं। इस संबंध में एक अच्छी खबर यह है कि जर्मनी के वैज्ञानिकों को इस दिशा में एक बड़ी सफलता हासिल हुई है।
ब्रेन ट्यूमर से बचाव के लिए बनेगी नई वैक्सीन
ब्रेन ट्यूमरएक ऐसी गंभीर बीमारी है, जिसके खिलाफ पूरी दुनिया के वैज्ञानिक एकजुट होकर लड रहे हैं। इस संबंध में एक अच्छी खबर यह है कि जर्मनी के वैज्ञानिकों को इस दिशा में एक बडी सफलता हासिल हुई है। उन्होंने ब्रेन ट्यूमर से बचाव के लिए वैक्सीन तैयार करने का दावा किया है। उनका यह प्रयोग चूहों पर सफल रहा है। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि अगले साल तक जर्मनी में इसका क्लिनिकल ट्रायल शुरू हो जाएगा। जर्मनी के हेडेलबर्ग स्थित नेशनल सेंटर ऑफ ट्यूमर डिजीज की टीम ने इस वैक्सीन का आविष्कार किया है। शोधकर्ताओं के मुताबिक हमारे शरीर के प्रतिरोधी तंत्र में कैंसर कोशिकाओं से लडने की प्राकृतिक क्षमता होती है, लेकिन कुछ लोगों का इम्यून सिस्टम इतना शक्तिशाली नहीं हो पाता कि वह ट्यूमर को बढने से रोक सके। ऐसे में वैक्सीन के जरिये इसकी प्राकृतिक शक्ति को और मजबूत बनाया जा सकता है। इस शोध में शामिल वैज्ञानिक डॉ.एमा स्मिथ के अनुसार ब्रेन ट्यूमर तेजी से फैलने वाला कैंसर ही है और इस प्रयोग की सफलता ब्रेन ट्यूमर के मरीजों के लिए वरदान साबित होगी।
अब जल्द भरेगा सर्जरी का जख्म
सर्जरी के बाद जख्म भरने के लिए अब मरीजों को ज्यादा इंतजार नहीं करना पडेगा। अमेरिका की एरिजोना यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने एक ऐसी जैविक पट्टी का आविष्कार किया है, जिससे सर्जरी का जख्म तेजी से भर जाता है। यह पट्टी नवजात शिशु के गर्भनाल से तैयार होती है। ओपन हार्ट सर्जरी कराने वाले मरीजों पर इसका इस्तेमाल कारगर साबित हो रहा है। इससे सर्जरी के बाद होने वाली समस्याएं भी कम हो रही है। गर्भनाल के आंतरिक हिस्से में मौजूद एमनियोटिक झिल्ली में ऐसी कोशिकाएं होती हैं, जो बहुत तेजी से बढती हैं। जब पट्टी के रूप में इन कोशिकाओं का इस्तेमाल किया जाता है तो ये तेजी से विकसित होकर सर्जरी के घाव को भर देती हैं।
गाजर है कैंसर में कारगर
कैंसर का खतरा घटाने में गाजर खास तौर पर मददगार साबित हो सकती है, क्योंकि इसमें मौजूद पॉलीएसिटिलीन नामक तत्व में कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने की क्षमता होती है। ब्रिटेन स्थित न्यू कैसल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के मुताबिक पॉलीएसिटिलीन कीटाणुओं से गाजर की रक्षा करता है। चूहों पर हुए एक अध्ययन में देखा गया है कि यह कैंसर की रोकथाम में भी अहम भूमिका निभा सकती है। इससे बीमारी के इलाज के लिए असरदार दवाएं बनाने पर भी विचार किया जा रहा है। इतना ही नहीं ब्रिटेन के द जर्नल ऑफ क्लिनिकल इन्वेस्टिगेशन में हाल ही में प्रकाशित एक रिसर्च रिपोर्ट में मिर्च में मौजूद कैप्सेसिन नामक तत्व को पेट और आंतों के कैंसर से बचाव में कारगर पाया गया है। इसलिए आज ही से अपने भोजन में गाजर और मिर्च को प्रमुखता से शामिल कर लें।
अंग प्रत्यारोपण होगा आसान
अमेरिकी वैज्ञानिकों ने मानव अंग प्रत्यारोपण को आसान बनाने के लिए नई तकनीक विकसित की है। इसकी मदद से शरीर से बाहर आने पर भी दिल धडकता है और फेफडे जीवित रहते हैं। इससे दोनों अंग आठ घंटे से भी ज्यादा समय तक सुरक्षित रहते हैं, जिससे चिकित्सकों को प्रत्यारोपण के लिए ज्यादा समय मिल जाता है। वैज्ञानिकों ने इस तकनीक को हार्ट इन बॉक्स का नाम दिया है। अब तक प्रचलित तकनीक में दानकर्ता के अंगों को एक कूल बॉक्स में रखा जाता था, ताकि प्रत्यारोपण से पहले वे खराब न हों। इसमें मानव अंग अधिकतम तीन घंटे तक ही सुरक्षित रह पाते थे, लेकिन इस नई तकनीक के जरिये वे ज्यादा समय तक सुरक्षित रहेंगे और चिकित्सकों को उनकी जांच कराने के लिए भी पर्याप्त समय मिल जाएगा। ऐसे अंगों को मशीन जीवित शरीर जैसी ही परिस्थिति में ही रखती है।
दिल के लिए फायदेमंद है रक्तदान
अकसर लोग दूसरों की मदद के लिए रक्तदान करते हैं, पर यह रक्तदान करने वाले की सेहत के लिए भी फायदेमंद होता है। अमेरिका स्थित कैंजस मेडिकल सेंटर के वैज्ञानिकों ने पाया कि शिफ्ट ड्यूटी करने वाले लोगों में पुरानी लाल रक्त कोशिकाओं की बडी संख्या मौजूद थी, जो रक्तवाहिका नसों में जम गई थीं। पुरानी कोशिकाएं कम लचीली होती हैं। फिर ये रक्तवाहिका नलिकाओं व लिवर की दीवारों से चिपक जाती हैं। इससे खून का थक्का जमने का खतरा बना रहता है और हार्ट अटैक भी हो सकता है। शिफ्ट ड्यूटी में काम करने वाले लोगों को दिल की बीमारियों का खतरा ज्यादा रहता है। रक्तदान से इन प्रभावों को कम किया जा सकता है क्योंकि रक्तदान के बाद नया रक्त बनता है, जो सेहत के लिए ज्यादा फायदेमंद होता है और इससे हृदय रोग की आशंका भी दूर हो जाती है।
नींद भी हो संतुलित
अकसर हमें संतुलित आहार और भरपूर नींद लेने की सलाह दी जाती है, लेकिन खाने की तरह ज्यादा सोना भी सेहत के लिए नुकसानदेह साबित होता है। नींद पर आधारित एक अध्ययन की रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि आठ घंटे से ज्यादा सोने वाले लोगों की याद्दाश्त पर बुरा असर पडता है। ऐसे लोगों में सही और गलत के बीच अंतर पहचानने और तत्काल निर्णय लेने की क्षमता भी बेहद कमजोर हो जाती है। अमेरिका स्थित एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी समेत चार अन्य संस्थाओं के शोधकर्ताओं ने साथ मिलकर इस शोध को अंजाम दिया। उन्होंने 50 से 64 वर्ष के नौ हजार लोगों की नींद के पैटर्न का गहन अध्ययन किया। उन्होंने अपने शोध में पाया कि सात घंटे की नींद पर्याप्त होती है। इस अवधि से ज्यादा या कम कम नींद लेने वालों को स्वास्थ्य संबंधित कई समस्याओं का सामना करना पडता है। शोधकर्ताओं ने बताया कि एक समय में बहुत सारे काम करने की वजह से स्त्रियों को ज्यादा नींद की जरूरत होती है।