पीरियड्स में देरी जरूरी है जानकारी
मेंस्ट्रुअल सायकल पूरी होने के बावजूद पीरियड्स न आने पर स्त्रियों को तरह-तरह की आशंकाएं घेरने लगती हैं। पीरियड्स में विलंब के कई कारण हैं जिन्हें लेकर जागरूकता की कमी है। इस बारे में बता रही है सखी।
पीरियड्स डिले होने पर अकसर स्त्रियों को विभिन्न आशंकाएं होने लगती हैं जिनमें अनचाही प्रेग्नेंसी प्रमुख है। ऐसी कई वजहें हैं जिनके चलते माहवारी शुरू होने में देरी हो सकती है। अकसर स्त्रियां इन अन्य कारणों से अंजान होती हैं और ऐसी स्थिति में वे बेवजह तनावग्रस्त हो जाती हैं। आइए इसबारे में जानते हैं।
1. दिनचर्या में बदलाव
नई नौकरी जॉइन करने, सोने-उठने के समय में बदलाव करने, छुट्टियों पर कहीं घूमने जाने जैसे बदलाव भी पीरियड्स के डिले होने का कारण हो सकते हैं। खास तौर पर तब जब यह बदलाव उस समय पर हो जब आपके शरीर में ओव्यूलेशन हो रहा हो। शरीर को बदली हुई दिनचर्या के हिसाब से ढलने में समय लगता है और इसी वजह से मासिक चक्र भी अनियमित हो जाता है।
2. तनाव
कई बार तीव्र भावनात्मक आवेग के चलते भी पीरियड्स डिले हो जाते हैं। विशेष रूप से अगर आप किसी बात को लेकर चिंतित हैं तो इससे आपकी मेंस्ट्रुअल सायकल की नियमितता प्रभावित होती है। अगर आप पीरियड्स डिले होने को लेकर चिंतित हैं तो इस चिंता के चलते और भी देरी हो सकती है।
3. हेवी वर्कआउट
अगर आपने अचानक ही हेवी वर्क आउट करना शुरू कर दिया है, तो यह भी देरी का कारण हो सकता है। वर्कआउट करने से मेटाबॉलिज्म रेट बढता है जिसके चलते मेंस्ट्रुअल सायकल अनियमित हो जाती है। अचानक वजन घटने या बढने से भी शरीर में हॉर्मोनल बदलाव आते हैं और पीरियड्स डिले हो सकते हैं।
4. अन्य कारण
शरीर में ओव्यूलेशन होने के वक्त बीमार होने से भी ऐसा हो सकता है। इसके अलावा गर्भाशय की टीबी होने पर, थायरॉयड से हुए हॉर्मोनल असंतुलन या प्रोलैक्टिन हॉर्मोन की अधिकता के चलते भी पीरियड्स में विलंब हो सकता है।
ई-पिल्स खतरनाक
कई स्त्रियां नियमित रूप से कॉट्रासेप्टिव पिल्स नहीं लेना चाहती हैं। इसकी जगह वो हमेशा अनप्रोटेक्टेड इंटरकार्स के बाद ई-पिल्स ले लेती हैं जो कि खतरनाक है। ये पिल्स शरीर का हॉर्मोनल बैलेंस बिगाड देती हैं।
अनवॉन्टेड प्रेग्नेंसी होने पर क्या करें
अगर अनवॉन्टेड प्रेग्नेंसी हो जाए तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं। ऐसी स्थिति में पिल्स खाने पर एक्टोपिक प्रेग्नेंसी का खतरा रहता है।
(आइएलएस हॉस्पिटल्स, कोलकाता की कंसल्टेंट गायनिकोलॉजिस्ट डॉ. अरुणा तांतिया से बात पर आधारित।)