अगस्त : हेल्थवॉच
अमेरिका के टेनेसी स्थित वैंडरविल्ड यूनिवर्सिटी के नेफ्रोलॉजिस्ट ने पहली बार ऐसी माइक्रोचिप बनाने का दावा किया है, जिसके जरिये किडनी फेल होने पर डायलिसिस की जरूरत नहीं पड़ेगी।
By Edited By: Published: Fri, 12 Aug 2016 12:31 PM (IST)Updated: Fri, 12 Aug 2016 12:31 PM (IST)
माइक्रोचिप से डायलिसिस की जरूरत नहीं पडेगी अमेरिका के टेनेसी स्थित वैंडरविल्ड यूनिवर्सिटी के नेफ्रोलॉजिस्ट ने पहली बार ऐसी माइक्रोचिप बनाने का दावा किया है, जिसके जरिये किडनी फेल होने पर डायलिसिस की जरूरत नहीं पडेगी। यह चिप मरीज के खुद के दिल की एनर्जी से चलेगी। चिप नैनो टेक्नोलॉजी से बनाई गई है। यह चिप नॉर्मल किडनी की तरह ही काम करेगी। यूनिवर्सिटी के नेफ्रोलॉजिस्ट और एसोसिएट प्रोफेसर ऑफ मेडिसन डॉक्टर विलियम एच. फिसेल कहते हैं, हमारी टीम ने बायो हाइब्रिड डिवाइस बनाई है, जो नॉर्मल किडनी की तरह ही काम करेगी। यह खराब पदार्थों, नमक और पानी को फिल्टर कर लेगी। इससे मरीज को डायलिसिस की जरूरत नहीं पडेगी। फिसेल ने बताया कि हमारा मकसद काफी छोटे साइज की चिप बनाने का था ताकि इसे मरीज के शरीर में आसानी से ट्रांसप्लांट किया जा सके। इस चिप को सिलिकॉन नैनो टेक्नोलॉजी का नाम दिया गया है। इसको बनाने के लिए कम्प्यूटर में इस्तेमाल होने वाली माइक्रो टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जा रहा है। चिप की कीमत क्या होगी, फिलहाल इसे तय नहीं किया गया है। टीम का कहना है कि इस चिप का ह्यूमन ट्रायल अगले साल से शुरू किए जाने की संभावना है। अभी इसका थ्री-डी डिजाइन तैयार किया जा रहा है। 12 साल के बच्चों को नौ घंटे सोना जरूरी किशोरों के लिए 6 से 12 घंटे और बच्चों को 9 घंटे की नींद संबंधी ये नई सिफारिशें अमेरिकन अकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक के निद्रा विशेषज्ञों ने जारी की हैं। इसके लिए 13 निद्रा विशेषज्ञों ने 864 अध्ययनों का विश्लेषण किया। ये सभी अध्ययन बच्चों की नींद और सेहत संबंधित थे। शोध में पाया गया कि स्कूल के दबाव और देर तक जागने की आदत से बच्चे मानकों से काफी कम घंटे तक सो पा रहे हैं। जब बच्चे कम सोते हैं तो युवा होने पर उन्हें अवसाद और दिल की बीमारियों की आशंका बढ जाती है। लंबी उम्र के लिए साबुत अनाज खाएं भोजन में अधिक मात्रा में साबुत अनाज को शामिल करने से असमय मौत का जोखिम कम हो सकता है। अमेरिका के हार्वर्ड टी.एच.चान स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के शोधकर्ताओं ने एक शोध में पाया कि साबुत अनाजों में विभिन्न तरह के जैव-सक्रिय यौगिक होते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए कई तरह से लाभदायक होते हैं। साबुत अनाज में चोकरयुक्त आटा और विभिन्न अनाजों का दलिया शामिल है। जिन लोगों के दैनिक आहार में कम से कम 70 ग्राम साबुत अनाज शामिल रहता है, उन्हें असमय मौत का खतरा 22 फीसदी कम होता है। ऐसे लोगों को दिल की बीमारियों से मौत का खतरा भी दूसरों के मुकाबले 23 फीसदी कम होता है।, रेडियो तरंगों से उच्च रक्तचाप का इलाज ध्वनि तरंगों की मदद से उच्च रक्तचाप को ठीक किया जा सकता है। जापान के शोधकर्ताओं ने रक्तचाप के इलाज के लिए एक नया उपकरण तैयार किया है। यह एक अल्ट्रासाउंड मशीन की तरह काम करने वाला उपकरण है, जो मरीज की कलाई में लगाने से कंपन पैदा करेगा। अल्ट्रासाउंड तरंगों से कलाई में होने वाला कंपन स्नायु तंत्र से सीधे ह्रदय तक पहुंचेगा, जिससे व्यक्ति का रक्तचाप नियंत्रित होगा। वैज्ञानिकों की मानें तो यह तकनीक लकवे के मामलों में भी तुरंत असर दिखाती है। इस तकनीक को अपनाने से उच्च रक्तचाप की दवा से भी छुटकारा मिलेगा। शोधकर्ताओं के मुताबिक अल्ट्रासाउंड उपकरण में मौजूद रेडियो तरंगें किडनी से रेनल नसों को खत्म करती हैं। विशेष कैप्सूल से मधुमेह का इलाज वैज्ञानिकों ने एक विशेष बैलून की मदद से मधुमेह के इलाज का एक नया तरीका विकसित किया है। यह बैलून सिलिकॉन से बना होगा और इसका आकार चावल के दाने के बराबर होगा। यह सूक्ष्म सिलिकॉन बैलून टाइप-2 मधुमेह से पीडित मरीजों की आंत में स्थापित किया जाएगा, जिससे उनके ब्लड शुगर को नियंत्रित किया जा सकेगा। डॉक्टर मरी के गले के रास्ते एक पतले ट्यूब के जरिये सिलिकॉन बैलून को उसकी आंत में स्थापित करेंगे। बैलून का गर्म आवरण आंत की उत्तकों की एक परत को पिघलाएगा, जो मधुमेह के मरीजों की शुगर को पचाने की ताकत में वृद्धि करेगा। सीधे ब्रेन ट्यूमर तक पहुंचेगी दवा ब्रेन ट्यूमर के इलाज की दिशा में वैज्ञानिकों को बडी सफलता मिली है। एक नई खोज के अनुसार लिपिड नैनो कैरियर सीधे ब्रेन ट्यूमर तक दवा पहुंचाएगा। इससे ट्यूमर के सटीक इलाज में मदद मिलेगी। यह नैनो कैरियर मस्तिष्क के रक्त अवरोधकों को आसानी से पार करने में सक्षम है। इस तकनीक में कीमोथेरेपी से होने वाले दुष्प्रभावों का खतरा भी नहीं होता है। जर्नल नैनो मेडिसिन-फ्यूचर मेडिसिन में प्रकाशित शोध के अनुसार नैनो कैरियर की मदद से भेजी गई कीमोथेरेपी की दवा ब्रेन ट्यूमर पर अधिक कारगर दिखी। फिलहाल, इस तकनीक से बच्चों और व्यस्कों के ब्रेन ट्यूमर का इलाज किया जाएगा। इसमें इलाज में लगने वाला समय और रोग कोशिकाओं के विविध प्रकार पर अध्ययन किया गया।
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