आज के यूथ की कहानी शुद्ध देसी रोमांस
पिछले वर्ष आई यशराज बैनर की फिल्म शुद्ध देसी रोमांस ने बॉक्स ऑफिस पर खूब वाहवाही बटोरी। यह छोटे शहरों में युवाओं के बदलते मिजाज की कहानी है। इसके पात्र ट्रडिशनल नहीं हैं, न ही स्त्री पात्र किसी इमेज में कैद हैं। ये असल जिंदगी के पात्रों जैसे ही हैं। फिल्म कैसे बनी, बता रहे हैं अजय ब्रह्मात्मज।
पिछले साल सितंबर में यशराज फिल्म्स की मनीष शर्मा निर्देशित फिल्म शुद्ध देसी रोमांस आई थी। जयपुर के प्रेमी युगल की यह फिल्म प्रेम और विवाह के नए संदर्भ पेश करती है। आज के प्रेमी रोमानी दुनिया में नहीं रहते। वे यथार्थवादी हैं और शादी के कमिटमेंट से परहेज करते हैं।
जयदीप साहनी की लिखी शुद्ध देसी रोमांस ने जयपुर जैसे अपेक्षाकृत छोटे और पारंपरिक शहर में आ रहे बदलाव को अच्छी तरह चित्रित किया था।
यथार्थवादी युवा की कहानी
रघु जयपुर शहर में गाइड का काम करता है। वह स्मार्ट, चालू और नए जमाने का युवक है। जयपुर घूमने आए लोगों को शहर और ऐतिहासिक स्थान दिखाने के अलावा वह अतिरिक्त कमाई के लिए नकली बाराती भी बन जाता है। गायत्री मां-बाप से दूर जयपुर में रहती है। वह आजीविका के लिए इंग्लिश स्पीकिंग कोर्स में पढाती है। जिंदगी अपनी शर्तो पर जी रही गायत्री ंिबंदास युवती है। इन दोनों से अलग सीधी-सादी तारा है। वह उन दोनों की जिंदगी में आती-जाती है। लेखक व निर्देशक ने तीनों किरदारों के जीवन और संबंधों के समीकरण को फिल्म का आधार बनाया है। कहा जाता है कि यश चोपडा को कहानी पसंद आई थी। उन्होंने लेखक जयदीप साहनी को प्रोत्साहित किया था। यशराज फिल्म्स की प्रेम कहानियों में सरसों के खेत, पंजाब और स्विट्जरलैंड के दृश्य आते हैं। मगर अब यह ढर्रा जरा बदला है।
रोमैंटिक कॉमेडी
जंगल, कंपनी, बंटी और बबली, खोसला का घोंसला, चक दे इंडिया, आजा नच ले और रॉकेट सिंह जैसी फिल्में लिख चुके जयदीप साहनी के लिए शुाद्ध देसी रोमांस का लेखन इतना आसान नहीं रहा। वह बताते हैं, मैंने रॉकेट सिंह लिखी थी। उस फिल्म के बाद कुछ ख्ालीपन आ गया था। नए किरदारों की तलाश जारी थी। सोच रहा था कि रोमैंटिक कॉमेडी लिखी जाए। हिंदी फिल्मों में रोमैंटिक कॉमेडी के नाम पर रोमैंस में कॉमेडी का तडका लगा दिया जाता है। न जाने क्यों दर्शकों को हंसाने की कोशिश की जाती है। सच कहूं तो हमें दूसरों के रोमैंस में कॉमेडी ही दिखती है। खुद प्रेम में रहते हैं तो सच्चाई समझ में आती है। वह स्पष्ट करते हैं, कंपनी लिखते समय मैं अंडरवर्ल्ड की गतिविधियों से ज्यादा वाकिफ नहीं था। मैंने रिसर्च किया और लिखा। चक दे इंडिया के समय स्पोर्ट्स की दुनिया के बारे में जाना और समझा। शुद्ध देसी रोमांस के लेखन में भी शोध व हिम्मत ने काम किया। असल सहयोग और सहारा किरदारों से मिलता है।
छोटे शहरों में आया बदलाव
शुद्ध देसी रोमांस में जयपुर के किरदार हैं। हिंदी फिल्मों में जयपुर की ऐतिहासिक छवि ही ज्यादा चित्रित की गई है। जयदीप साहनी कहते हैं, मैं कोशिश करता हूं कि हर फिल्म में परिवेश और भाषा नई हो। इस फिल्म में मारवाडी और मेवाडी भाषा का पुट है। शुद्ध देसी रोमांस में जयपुर की गलियों-मोहल्लों के किरदार हैं। उनके साथ रहते हुए मैंने महसूस किया कि वे काफी बदल गए हैं। हिंदी फिल्में अपने प्रचलित रूप में आज के युवाओं की सोच को नहीं ला पा रही हैं। मैं तो कहूंगा कि यूथ आगे बढ गए हैं और फिल्में पीछे छूट गई हैं। यूथ की चिंताओं और परेशानियों को हम फिल्मों में नहीं ला पा रहे हैं। इस फिल्म में उनकी दुविधा से हम दो-चार होते हैं। पुरानी पीढी की तरह आज के युवा भी लव और रोमैंस करते हैं, लेकिन शादी और कमिटमेंट के नाम पर उनके पसीने छूटते हैं। फिल्म में रघु और गायत्री की दुविधाएं आज के यूथ से मिलती-जुलती हैं। लोग कहते हैं कि लिव इन रिलेशन सिर्फ महानगरों में ही देखा-सुना जाता है। मार्केटिंग की भाषा में जयपुर को भले ही छोटा शहर माना जाता हो, मगर अपने रिसर्च में मैंने पाया कि ब्रॉडबैंड और इंटरनेट से जुडने के बाद वह भी सोच में ग्लोबल हो चुका है।
रीअल जिंदगी के किरदार
शुद्ध देसी रोमांस के नायक रघु की भूमिका सुशांत सिंह राजपूत ने निभाई थी। टीवी से फिल्मों में आए सुशांत के लिए यह बडा माका था। सुशांत कहते हैं, मेरा सपना था कि यशराज फिल्म्स की फिल्मों में माका मिले। फिल्म मिली तो मैंने आदित्य चोपडा को यह बात बताई थी। मैं यशराज फिल्म्स की एक अन्य फिल्म डिटेक्टिव व्योमकेश बख्शी भी कर रहा हूं, जिसे दिबाकर बनर्जी डायरेक्ट कर रहे हैं। शुद्ध देसी रोमांस के बारे में मनीष शर्मा और जयदीप साहनी से बातें हुई थीं। उन्होंने बताया था कि यह मनचला और दिलफेंक लडका है, जिंदगी के प्रति सीरियस नहीं है। रघु के लिए मुझे थोडी मेहनत करनी पडी, क्योंकि वह मेरे स्वभाव से मेल नहीं खाता। फिल्मों में कई बार ऐसा होता है, जहां अपने स्वभाव से अलग किरदारों को निभाने की चुनौती रहती है। जयदीप साहनी ने मुझे समझा दिया था और मनीष शर्मा साफथे कि उन्हें क्या चाहिए। सुशांत स्वीकार करते हैं कि उन्हें ऐसे रीअल किरदार निभाने में मजा आता है। बताते हैं, फिलहाल मैं रीअल लाइफ किरदार ही चुन रहा हूं। मसाला एंटरटेनमेंट के लिए जरूरी हुनर रखने के बावजूद मुझे अभी ऐसी फिल्में अच्छी लग रही हैं। इनसे मेरे अनुभव का भी विस्तार होता है। रघु आम किरदार है। उसके मन में जो आता है, बोल देता है। वह अपने दिल की सुनता है। रघु उन सभी को पसंद आया होगा, जो फिल्म देखते समय रिलेशनशिप या लिव इन रिलेशन में रहे होंगे। हालांकि मैं रघु की तरह कन्फ्यूज नहीं हूं और कमिटमेंट से भी नहीं डरता।
बोल्ड और बिंदास लडकियां
गायत्री के किरदार में छबीली और चुलबुली परिणीति चोपडा थीं। अपने अनुभवों के बारे में वह बताती हैं, गायत्री लडकों के रवैयों के बारे में जानती है, इसलिए रघु से साफ कहती है कि मेरा समय बर्बाद मत करो। प्यार-व्यार का नाटक मत करो। गायत्री ने कई रिलेशनशिप देखी हैं। वह रिश्तों को लेकर भावुक नहीं है। दुराव-छिपाव में उसका यकीन नहीं है। फिल्म में वह रघु पर हमेशा धौंस ही जमाती रहती है। मुझे गायत्री का किरदार अच्छा लगा। परिणीति फिर कहती हैं, जमाना बदल चुका है। लडकियां भी प्यार, रोमैंस और शादी के मामले में सजग हैं। भावनाओं में बह कर गलत फैसले नहीं लेतीं। उनके लिए अपनी जिंदगी अहम है। मुझे फिल्म का कॉन्सेप्ट अच्छा लगा। इसकी हीरोइन ट्रडिशनल सोच की नहीं है।
परिवेश की वास्तविकता के लिए शुद्ध देसी रोमांस की शूटिंग जयपुर और बीकानेर में की गई थी। फिल्म की भाषा और संवाद के लहजे पर विशेष ध्यान दिया गया था। यशराज फिल्म्स कुछ सालों से प्रस्तुति, शैली और विषयों में प्रयोग कर रहा है। मनीष शर्मा निर्देशित शुद्ध देसी रोमांस ऐसी ही फिल्म थी, जिसे दर्शकों ने भी पसंद किया।
अजय ब्रह्मात्मज