त्योहार सावन की बूंदों के
सावन के महीने में बरखा की बूंदों का आनंद दोगुना कर देते हैं, इस महीने में आने वाले रंगीले त्योहार। अपने देश के हर हिस्से में सावन और त्योहारों की जुगलबंदी को देखने का अपना अलग ही मज़ा है।
सावन के महीने में बरखा की बूंदों का आनंद दोगुना कर देते हैं, इस महीने में आने वाले रंगीले त्योहार। अपने देश के हर हिस्से में सावन और त्योहारों की जुगलबंदी को देखने का अपना अलग ही मजा है।
भारत एक ऐसा देश है जहां का हर रंग निराला है। तीज-त्योहार के रंग हों या फिर मौसम के बदलते अंदाज।
यहां तो बस ख्ाुशियों को मनाने का बहाना चाहिए। बारिश की बूंदों से भीगता सावन का महीना ऐसे ही निराले रंगों को साथ लेकर आता हैै। सावन की इन्हीं बूंदों और त्योहारों का आनंद उठाने न जाने कितने ही विदेशी इस मौसम में भारत भ्रमण पर निकलते हैं। देश
के अलग-अलग इलाकों में इन त्योहारों की धूम और परंपराएं एक-दूसरे से भिन्न होती हैं। आइए चलते हैं भारत के कुछ ख्ाास त्योहारों का
हिस्सा बनने।
तीज के रंग
तीज का त्योहार महिलाओं के बीच खासा लोकप्रिय है। भारत के हर हिस्से में इसे हरियाली तीज के रुप में मनाया जाता है। मूलत: यूपी-बिहार का यह त्योहार और भी राज्यों में काफी मशहूर है। इस त्योहार को सावन के आगमन की ख्ाुशी में मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं सजती-संवरती हैं और शिव जी की पूजा करती हैं। बाग-बगीचों में हिलोरे लेते झूले और हाथों में रची मेहंदी इस त्योहार का खास आकर्षण होते हैं। तरह-तरह के व्यंजनों की खुशबू इस त्योहार की मिठास को और बढा देती है।
कहां- राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, बिहार
और यूपी
कब-17-18 अगस्त, 2015
नेहरू ट्राफी स्नेक बोट रेस
पंडित जवाहर लाल नेहरू के नाम पर इस प्रतियोगिता का नाम पडा, जो अब देश के साथ ही साथ विदेशों में भी बहुत प्रसिद्घ हो चुकी है। हर साल अगस्त महीने के दूसरे शनिवार को होने वाली इस प्रतियोगिता को देखने के लिए पुन्नामडा झील, ऐल्लीपे के किनारे लगभग दो लाख लोग जमा होते हैं। विदेशी पर्यटक भी इस रेस को देखने के लिए भारी संख्या में केरल पहुंचते हैं। यह बोट रेस अब त्योहार का रूप ले चुकी है। जिसका इंतजार हर किसी को बेसब्री से होता है।
कहां- केरल
कब- 8 अगस्त 2015
झापन मेला
पश्चिम बंगाल अपनी धनी सभ्यता और उसमें मिले अनूठेपन के लिए जाना जाता है। यहां पर हर मौसम से जुडे त्योहारों का ख्ाजाना है। झापन इसी ख्ाजाने का एक बहुत बडा नगीना है। यह त्योहार मनसा देवी को समर्पित है, जो भगवान शिव की बेटी हैं और सांपों की देवी हैं। बंकुरा जिले के विष्णुपुर में इसे बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन सांपों की भी पूजा की जाती है। यहां के लोगों का मानना है कि ऐसा करने से देवी प्रसन्न होती हैं और वे अच्छी वर्षा और संपन्नता का आशीर्वाद प्रदान करती हैं।
कहां- विष्णुपुर, वेस्ट बंगाल
कब-18 अगस्त, 2015
नाग पंचमी
नाग पंचमी का त्योहार पूरे भारत में अलग-अलग तरह से मनाया जाता है। सावन महीने का यह त्योहार भगवान शिव के कंठहार सांपों को समर्पित है। शिव मंदिरों में सारा दिन भीड देखी जा सकती है। गली-मोहल्लों में सपेरे भी आते हैं जो सांपों के दर्शन कराते हैं। ऐसा माना जाता है कि अगर सांपों की पूजा की जाए तो वो कभी भी किसी को हानि नहीं पहुंचाते। हिंदू धर्म में ना जाने कितनी ही कथा-कहानियां हैं जो भगवान और मनुष्य को जोडऩे का काम करती हैं। भगवान कृष्ण की कालिया नाग पर विजय को भी इसी दिन से जोडकर देखा जाता है। इस पावन अवसर पर लोग पतंग उडाते हैं, लडकियां मेहंदी लगाती हैं और घरों में झूले डाले जाते हैं।
कहां- पूरे भारतवर्ष में
कब-19 अगस्त, 2015
ओणम
ओनम केरल का सबसे बडा त्योहार है, जैसे दीपावली उत्तर भारत में प्रमुख है। इसे राजा महाबली की घर वापसी की ख्ाुशी में और मलयाली कैलेंडर चिंगम के हिसाब से मनाया जाता है। इस दिन घरों में महिलाएं फूलों और रंगों की रंगोली बनाती हैं। दस दिनों तक चलने वाले इस त्योहार का मुख्य आकर्षण घरों की सजावट और खाना होता है। गायन-वादन और नृत्य के लिए मशहूर केरल के इस ख्ाास त्योहार को कलीकोट्टीकली डांस और भी ख्ाूबसूरत बना देता है।
कहां- केरल
कब-28 अगस्त, 2015
अथाचमयम
केरल के टेम्पल टाउन के नाम से मशहूर एरनाकुलम जिले में तिरुपुनिथुरा अपनी शान-ओ-शौकत के लिए जाना जाता है। ओनम से पहले आने वाले इस त्योहार को ओनम की तैयारी के रूप में मनाया जाता है। इसकी शुरुआत होती है एक शानदार परेड से जिसमें सजे-धजे हाथियों को उतारा जाता है। रंग-बिरंगे रथ, कथकली और मोहिनीट्टम नृत्य करते कलाकार, पारंपरिक वेशभूषा में थेययम की प्रस्तुति आदि इस परेड का अहम हिस्सा होते हैं। ओनम के स्वागत में इस तैयारी को भी अब त्योहार के रूप में ही मनाया जाता है।
कहां- तिरुपुनिथुरा, एरनाकुलम
कब-19 अगस्त, 2015
अरनामूला बोट रेस
केरल बोट महोत्सव के रूप में मशहूर अरनामूला बोट रेस केरल का पारंपरिक हिस्सा बन चुकी है। विदेशी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनती जा रही यह बोट रेस हर साल पर्यटकों की संख्या में इजाफा कर रही है। पानी की लहरों पर हिलोरे मारती ये नावें ओनम के त्योहार का मजा दोगुना कर देती हैं। अरनामूला बोट रेस अरनामूला के रिवाज का एक हिस्सा है, जिसे पैल्लीयोदमस भी कहते हैं।
कहां- पम्पा नदी के पास अरनामूला, केरल
कब-31 अगस्त, 2015