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श्रीकृष्ण की पटरानी हैं यमुना

सनातन धर्म में भगवान श्रीकृष्ण को सर्वेश्वर माना गया है। हिंदू धर्मग्रंथों में उनकी जिन आठ पटरानियों का उल्लेख है। भगवती यमुना भी उनमें से एक हैं। पुराणों के अनुसार यमुना जी भगवान सूर्य की पुत्री होने के साथ यमराज एवं शनिदेव की बहन भी हैं।

By Edited By: Published: Tue, 01 Apr 2014 05:58 PM (IST)Updated: Tue, 01 Apr 2014 05:58 PM (IST)
श्रीकृष्ण की पटरानी हैं यमुना

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सनातन धर्म में भगवान श्रीकृष्ण को सर्वेश्वर माना गया है। हिंदू धर्मग्रंथों में उनकी जिन आठ पटरानियों का उल्लेख है। भगवती यमुना भी उनमें से एक हैं। पुराणों के अनुसार यमुना जी भगवान सूर्य की पुत्री होने के साथ यमराज एवं शनिदेव की बहन भी हैं।

कैसे हुआ यमुना का जन्म

द्वापर युग में भगवती यमुना का आविर्भाव चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी के दिन हुआ था। अत: यह पावन तिथि यमुना जयंती के नाम से प्रसिद्ध हो गई। ब्रज मंडल में प्रतिवर्ष यह महोत्सव बडे धूमधाम से मनाया जाता है। मार्कण्डेय पुराण के मतानुसार गंगा-यमुना सगी बहनें हैं। जिस तरह गंगा का उद्गम गंगोत्री के समीप स्थित गोमुख से हुआ है। उसी तरह यमुना जी जब भूलोक में पधारीं, तब उनका उद्गम यमुनोत्री के समीप कालिंदगिरि से हुआ।

प्रचलित पौराणिक कथा

द्वापर युग में श्रीकृष्ण लीला के समय सर्वेश्वर श्रीकृष्ण एवं यमुना जी के पुनर्मिलन का वृत्तांत कुछ इस प्रकार है-एक बार श्रीकृष्ण अर्जुन को साथ लेकर घूमने गए। यमुनातट पर एक वृक्ष के नीचे दोनों विश्राम कर रहे थे। श्रीकृष्ण को ध्यान मग्न देखकर अर्जुन टहलते हुए यमुना के किनारे कुछ दूर निकल गए। वहां उन्होंने देखा कि यमुना नदी के भीतर स्वर्ण एवं रत्नों से सुसज्जित भवन में एक अतीव सुंदर स्त्री तप कर रही है। अर्जुन ने जब उससे परिचय पूछा तो उसने कहा, मैं सूर्यदेव की पुत्री कालिंदी हूं। भगवान श्रीकृष्ण के लिए मेरे मन में अपार श्रद्धा है और मैं उन्हीं को पाने के लिए तप कर रही हूं। मुझे पूर्ण विश्वास है कि मेरी मनोकामना अवश्य पूर्ण होगी। अर्जुन ने वापस लौटकर यह वृत्तांत श्रीकृष्ण को सुनाया तो श्यामसुंदर ने कालिंदी के पास जाकर उन्हें दर्शन दिया और उनके अनुरोध को स्वीकार कर लिया। इसके बाद श्रीकृष्ण ने सूर्यदेव के समक्ष उनकी पुत्री कालिंदी (यमुना) से विवाह का प्रस्ताव रखा तो उन्होंने श्रीकृष्ण के साथ कालिंदी का विवाह कर दिया। इस प्रकार वह द्वारकाधीश श्रीकृष्ण की पटरानी बन गई।

ब्रजमंडल की आराध्या

भगवान श्रीकृष्ण की प्रिया यमुना ब्रजमंडल की आराध्या हैं। ब्रजवासी इन्हें नदी नहीं, बल्कि साक्षात देवी ही मानते हैं। मथुरा के विश्राम घाट तथा वृंदावन के केशी घाट पर प्रतिदिन होने वाली यमुना जी की आरती में अंसख्य श्रद्धालु भाग लेते हैं। ब्रज में आने वाला हर तीर्थयात्री यमुना जी का पूजन करके उन्हें दीपदान अवश्य करता है। मनोरथ पूर्ण होने पर भक्तगण अनेक साडियों को जोडकर यमुना जी को चुनरी चढाते हैं। ब्रजमंडल में ठाकुर जी का स्नान तथा उनके भोग की तैयारी यमुना जल से ही होती है। श्रीनाथ जी का श्रीविग्रह ब्रज से मेवाड भले ही पहुंच गया हो, पर उनकी सेवाओं में केवल यमुनाजल का ही प्रयोग होता है। आज भी मथुरा से नित्य यमुनाजल सुरक्षित पात्रों में भरकर श्रीनाथद्वारा भेजा जाता है। यमुनाजी का वाहन कछुआ है।

आदिवाराह पुराण के अनुसार यमुनाजी में स्नान करने से जन्मान्तर के पाप भस्म हो जाते हैं। इतना ही नहीं जो व्यक्ति दूर रहकर भी भक्ति भावना के साथ यमुनाजी का स्मरण करता है वह भी पवित्र हो जाता है, लेकिन अफसोस की बात यह है कि आज हमने यमुना जी को प्रदूषित कर दिया है। अत: उन्हें प्रदूषण से मुक्त कराने के लिए हमें सार्थक प्रयास करना होगा। तभी हमारा यमुना पूजन सफल होगा।

संध्या टंडन


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