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सफलता की भाषा

करियर में सफलता पाने के लिए अब तक अंगजी को महत्वपूर्ण माना जाता था, पर आज अर्थव्यवस्था के विस्तार के दौर में यह काफी नहीं है। आज कई क्षेत्रों में करियर बनाने के लिए विदेशी भाषाओं का ज्ञान अनिवार्य हो गया है। इस बारे में जानकारी दे रहे हैं शारदा यूनिवर्सिटी के डीन ऑफ फॉरेन लैंग्वेजेज पी. के. मित्रा।

By Edited By: Published: Mon, 03 Nov 2014 03:30 PM (IST)Updated: Mon, 03 Nov 2014 03:30 PM (IST)
सफलता की भाषा

हाल ही में भारत का चीन और जापान के साथ बाइलैटरल एग्रीमेंट हुआ। इसके तहत यह तय हुआ कि ये दोनों देश भारत में 35 और 20 बिलियन डॉलर का निवेश करेंगे। यह निवेश होने के बाद नौकरियों में इन भाषाओं के जानकारों की मांग कई गुना बढ जाएगी। विभिन्न वैश्विक गतिविधियों के चलते करियर के विभिन्न सेक्टर्स में विदेशी भाषाओं में दक्ष युवाओं की मांग बढी है। भारतीय छात्रों के लिए कौन सी भाषाओं का ज्ञान उपयोगी है और किन कॅरियर फील्ड्स में उनकी मांग है, आइए जानते हैं।

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जापानी: भारत और जापान के बीच बेहद अच्छे व्यापारिक संबंध हैं। इस देश की हालिया घोषणाओं को देखते हुए यह साफ है कि आने वाले समय में भारत में कई नई जापानी मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट्स लगाई जाएंगी। जाहिर है इससे भारतीयों के लिए इन यूनिट्स में और जापान में रोजगार के अवसर बढेंगे। इस देश में बहुत कम लोग अंगजी जानते हैं। यही वजह है कि यहां करियर बनाने के इच्छुक युवाओं के लिए जापानी भाषा का ज्ञान होना जरूरी है। वर्तमान में भी भारत में कई प्रमुख जापानी कंपनियों के ऑफिस और फैक्ट्रियां हैं। उन्हें जापानी भाषा के जानकारों की बडे पैमाने पर जरूरत पडती रहती है।

चीनी: चीन विश्व का सबसे बडा उत्पादक और निर्यातक देश है। चीनी भाषा दुनिया की सबसे कठिन भाषाओं में से एक है, लेकिन इसका ज्ञान करियर के विकास में बहुत सहायक होता है। विशेष तौर पर उन छात्रों के लिए जो चीन की कंपनियों के साथ व्यापार या भारत स्थित चीनी कंपनी में रोजगार की संभावनाएं तलाश रहे हैं।

फ्रेंच: भारत और फ्रांस के बीच अच्छे व्यापारिक संबंध हैं। फ्रंास में लिट्रेचर, फाइन आटर््स और फैशन डिजाइनिंग की कई टॉप यूनिवर्सिटीजहैं। इनमें दाखिले के लिए फ्रेंच भाषा का ज्ञान होना आवश्यक है। इससे फ्रांस में नौकरी पाने के अवसर भी खुल जाते हैं।

रशियन: रूस तकनीकी रूप से बेहद समृद्ध देश है। यहां एरोनॉटिक्स, एविएशन और स्पेस रिसर्च जैसेक्षेत्रों में बहुत अच्छा काम हो रहा है। रूस जाकर इन क्षेत्रों में रिसर्च करने के इच्छुक युवाओं को रशियन भाषा सीखनी चाहिए। रूस इंजीनियरिंग और मेडिकल के क्षेत्र में बहुत आगे है। भारत के कई युवा मेडिकल की पढाई के लिए रूस जाने का सपना देखते हैं। ऐसे युवाओं के लिए रशियन भाषा का ज्ञान जरूरी है। जर्मन: जर्मनी की अर्थव्यवस्था बेहद तेजी से विकास कर रही है। ज्यादातर प्रमुख फार्मास्युटिकल और ऑटोमोबाइल कंपनियां जर्मनी की हैं। इन क्षेत्रों से जुडे शोध कार्य में रुचि रखने वाले युवाओं के लिए जर्मन भाषा का ज्ञान होना बेहद जरूरी है।

स्पैनिश: यह स्पेन, मेक्सिको और अर्जेटीना की राष्ट्रभाषा है। यह अफ्रीका के कुछ भागों में भी बोली जाती है। इस भाषा के जानकारों के लिए इन देशों में रोजगार के अच्छे अवसर हैं। इन देशों में उच्च शिक्षा के लिए जाने वाले छात्रों के लिए भी इस भाषा का ज्ञान जरूरी है।

अरबी: इस्लामिक या उर्दू साहित्य के अध्ययन में रुचि रखने वाले युवाओं के लिए अरबी भाषा का ज्ञान जरूरी है। मिडिल ईस्ट देशों में बडी संख्या में भारतीय मैनेजर, प्रोफेसर, आर्किटेक्ट के रूप में काम करते हैं। इन देशों में स्थित निर्माण कंपनियों में काम करने भी कई भारतीय जाते हैं। इन देशों में जाकर रोजगार की संभावना तलाशने वालों के लिए भी अरबी भाषा का ज्ञान जरूरी है।

प्रमुख संस्थान

जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी- चाइनीज, जर्मन, रूसी, पर्शियन, अरबी

जामिया मिलिया इस्लामिया- फ्रेंच, पर्शियन, स्पैनिश, पॉर्चुगीज, अरबी, इटैलियन

दिल्ली यूनिवर्सिटी- फ्रेंच, जर्मन, रोमानियन, पॉर्चुगीज, इटैलियन

शारदा यूनविर्सिटी- जर्मन, फ्रेंच, स्पैनिश, चाइनीज

मैक्स म्यूलर भवन- जर्मन

अलियांस डी फ्रांसेस- फ्रेंच

इंस्टिट्यूटो सर्वेटिस- स्पैनिश

इन क्षेत्रों में है मांग

- अंतरराष्ट्रीय व्यापार

- टूरिज्म

- संयुक्त राष्ट्र संघ और भारतीय रिजर्व

बैंक जैसी राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं

- विदेशी कंपनियों के लिए अनुवाद

- रिसर्च एंड डेवलपमेंट

- एम्बेसीज

- एंटरटेनमेंट

- फॉरेन लैंग्वेज ट्रेनिंग

- पब्लिशिंग

लगन जरूरी

किसी भी भाषा में दक्षता हासिल करना किसी खेल में दक्षता हासिल करने जैसा है। जो व्यक्ति जितनी कम उम्र में इसे सीखना शुरू करता है, वह उतना ही अधिक इसमें पारंगत होता है। जो भाषा आप सीख रहे हैं, उससे लगाव होना चाहिए। भारत के कई स्कूलों में विदेशी भाषाएं सिखाई जाती हैं। भाषा को बोलने और लिखने की ज्यादा से ज्यादा प्रैक्टिस करें। टीवी, रेडियो और यू-ट्यूब पर मौजूद उस भाषा के लेक्चर और कार्यक्रम सुनें। तभी आपको इसमें दक्षता हासिल हो पाएगी।

विशेष टिप्स

- कई विदेशी भाषाएं बेहद क्लिष्ट होती हैं। अपनी क्षमता के अनुरूप ही भाषा का चयन करें।

- अपने करियर की मांग को देखते हुए ही तय करें कि आपको कौन सी विदेशी भाषा सीखनी है।

- जिन देशों के भारत के साथ अच्छे व्यापारिक संबंध हैं, उनकी भाषा सीखना फायदेमंद रहता है।

- किसी देश में उच्च शिक्षा के लिए जाना चाहते हैं वहां की भाषा जरूर सीखें।

- किसी अन्य देश की कंपनी के साथ बिजनेस करने से पहले वहां की भाषा सीखें।

ज्योति द्विवेदी


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