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हंसाने का हुनर

आपकी एंट्री होते ही हर महफिल में ठहाके गूंज उठते हैं तो आपमें अच्छा कमेडियन बनने के गुण हैं। आज बहुत सारे युवा स्टैंडअप कमेडियन बन कर अपनी किस्मत चमकाना चाहते हैं। हालांकि बढ़ती प्रतिस्पर्धा के इस दौर में यह इतना आसान नहीं रहा। इस क्षेत्र की बारी़िकयों के बारे में जानिये सखी से।

By Edited By: Published: Mon, 01 Sep 2014 04:27 PM (IST)Updated: Mon, 01 Sep 2014 04:27 PM (IST)
हंसाने का हुनर

हंसने-हंसाने के शौकीनों ने शायद ही कभी सोचा होगा कि यह गुर एक दिन प्रोफेशन का रूप ले लेगा। स्ट्रेस और डिप्रेशन से भरे इस दौर में कमेडियंस लोगों को खुशी के चंद पल मुहैया कराते हैं। शायद यही वजह है कि उनकी उपयोगिता दिन-पर-दिन बढती जा रही है। विभिन्न इवेंट्स में लोगों के रोजमर्रा जीवन से जुडी बातें रोचक अंदाज में बताने वाले ये हंसी के फनकार सबको लुभाते हैं। स्टैंडअप कॉमेडी का यह चलन भारत में पश्चिमी देशों की तर्ज पर आया है। भारत में टीवी कार्यक्रम मूवर्स एंड शेकर्स के साथ इस चलन की शुरुआत हुई थी और अब इसका वर्चस्व बढता ही जा रहा है। आइए जानते हैं इस क्षेत्र की बारीकियों के बारे में।

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अवसरों की भरमार

टीवी पर कॉमेडी के रिअलिटी शोज की बाढ आने से बडी संख्या में युवा इस क्षेत्र की ओर आकर्षित हुए हैं। देहरादून स्थित मानव दिशा मीडिया एक्टिंग ग्रुप के ओनर महावीर सिंह तोमर बताते हैं कि उनके पास ऐसे कई युवा आते हैं जो किसी कॉमेडी रिअलिटी शो में हिस्सा लेने के लिए ट्रेनिंग लेना चाहते हैं। ऐसे युवाओं के लिए भारत के कई संस्थानों में तीन या छह माह के शॉर्ट टर्म कोर्स उपलब्ध हैं। हालांकि ज्यादातर संस्थानों में कॉमेडी एक्टिंग कोर्स का ही एक हिस्सा होती है। इस क्षेत्र में आने के इच्छुक युवाओं को शुरुआत में स्थानीय कॉमेडी इवेंट्स में हिस्सा लेना चाहिए। संभव हो तो किसी प्रोफेशनल कमेडियन के साथ काम करना चाहिए। टीवी शोज के अलावा भी इस क्षेत्र में कई अवसर हैं। आजकल लगभग सभी कॉरपोरेट कंपनियां अपने इवेंट्स, डीलर मीट्स और गाला नाइट्स में कॉमेडी शो का स्लॉट रखती हैं। इसके अलावा शिक्षण संस्थानों के इवेंट्स में भी कमेडियंस की भारी मांग होती है।

रिहर्सल है जरूरी

अगर आप किसी इवेंट में अपनी बात को कॉमिक अंदाज में कहने की प्लानिंग कर रहे हैं तो पहले उसे अपने परिवार या दोस्तों के सामने सुनाएं। यह एक तरह से आपका रिहर्सल होगा। अगर उन्हें आपकी बात सुनकर हंसी आती है तो समझिए कि उसे बडे प्लैटफॉर्म पर भी पसंद किया जाएगा। वहीं अगर आपकी कॉमेडी से अपने घर या कार्यस्थल के सीमित दर्शकों का मनोरंजन नहीं होता है तो आप यह अंदाजा लगा सकते हैं कि दर्शकों की भीड के सामने भी आपका पंच प्रभावी नहीं होगा।

विवादों से बचें

एक अच्छे कमेडियन को हमेशा द्विअर्थी और अश्लील हास्य से बचना चाहिए। स्टैंडअप कॉमेडी में आप दर्शकों के ठीक सामने होते हैं। किसी जाति विशेष, धर्म, महिलाओं पर आधारित या किसी को आहत करने वाले जोक्स नहीं सुनाने चाहिए। इससे आप विवादों के घेरे में आ सकते हैं और आपकी राह में मुश्किलें खडी हो सकती हैं। एक बार छवि खराब होने पर उसे दोबारा सहेजना बहुत मुश्किल होता है। इसलिए जोक्स का चयन बेहद सतर्कता के साथ करें।

अपनी स्टाइल विकसित करें

आप दुनिया के किसी भी अच्छे कमेडियन का करियर देख लें, यही पाएंगे कि उनका अंदाज दूसरों से अलग है। दर्शकों पर अपनी छाप छोडने में मेकअप नहीं, बल्कि टैलेंट काम आता है। सीनियर कमेडियंस के लाइव शोज ज्यादा से ज्यादा देखें पर उनकी कॉपी करने की कोशिश न करें। अपने परफॉर्मेस से अपनी छाप छोडें। कोई पंच या लाइन दिमाग में आए तो उसे अपने अंदाज में पेश करने की प्रैक्टिस करें। तभी आपकी अलग पहचान बनेगी।

चैलेंज है स्तरीय जोक्स बनाना

आजकल लगभग सभी कमेडियंस को लोकप्रिय होने के लिए टीवी कार्यक्रमों का सहारा लेना पडता है। टीवी चैनलों पर कॉमेडी शो इतनी बार रिपीट टेलीकास्ट किए जाते हैं कि वे बासी हो जाते हैं। उन्हें स्टेज शोज में नहीं सुनाया जा सकता। हर बार कम समय में अच्छा कॉमेडी प्रस्तुतीकरण तैयार करना बडा चैलेंज है। आज कमेडियंस तो बहुत हैं पर अच्छे कमेडियंस गिने-चुने ही हैं।

लाउड कॉमेडी सटायर पर हावी

एक समय था जब भारत में सटायर स्टाइल कॉमेडी बहुत पसंद की जाती थी। जसपाल भट्टी, शेखर सुमन आदि के कार्यक्रम बेहद चर्चित रहे हैं। अशिक्षा, महंगाई, गरीबी, भ्रष्टाचार आदि कॉमेडी के विषय हुआ करते थे। वहीं आजकल लाउड कॉमेडी हावी है। अब अधिकतर शोज में दर्शकों को हर कीमत पर हंसाने पर जोर रहता है।

मजाक उडाना कॉमेडी नहीं

किसी की मजबूरी का कभी मजाक नहीं उडाना चाहिए। अगर आपकी बात से दस लोग हंसते हैं और एक व्यक्ति दुखी होता है तो आप कमेडियन नहीं हैं।

मुश्किल था परिवार को समझाना

मेरे करियर के शुरुआती दिनों में बहुत संघर्ष रहा। परिवार के सदस्य मुझे लेकर बहुत चिंतित रहते थे। उन्हें यह यकीन दिलाने में बहुत वक्त लगा कि कॉमेडी का क्षेत्र मेरे लिए सर्वश्रेष्ठ साबित होगा। यह क्षेत्र मेरा पहला प्यार था और मुझे इसके सिवा और कुछ नहीं करना था। मैंने कॉमेडी को गंभीरता से लिया। लोगों ने मेरे कॉमिक स्टाइल को पसंद किया। पंजाब में उस वक्त पार्टनर के साथ स्टैंडअप कॉमेडी करने का चलन था। अकेले स्टैंडअप कॉमेडी करने की शुरुआत करने वाला मैं पहला व्यक्ति था।

बर्थडे पार्टीज से इंटरनेशनल शोज तक

मुझे बचपन से ही लोगों को हंसाने का शौक था। अकसर लोग अपने बच्चों की बर्थडे पार्टी पर बुला लेते थे। वहां 10-20 बच्चों को हंसाता था तो सब तारीफ करते थे। बडा हुआ तो कॉलेज के इवेंट्स में कॉमेडी प्रस्तुत करने लगा। आज विभिन्न शहरों में होने वाले शोज में लाखों लोगों की भीड के सामने स्टैंडअप कॉमेडी प्रेजेंट करता हूं तो यह एक सपने की तरह लगता है।

आसान नहीं था सफर

कॉमेडी की दुनिया में कानपुर से मुंबई तक का मेरा सफर आसान नहीं था। मुझे खुद को साबित करने में काफी वक्त लगा। बचपन में कहता था कमेडियन बनूंगा तो लोग हंसते थे। आज जब कमेडियन बन चुका हूं तो भी लोग हंसते हैं। उस हंसी और इस हंसी में फर्क ही मेरा सफर है।

गहन अध्ययन जरूरी

एक अच्छे कमेडियन को सभी समसामयिक विषयों की जानकारी होनी चाहिए। आज के दर्शक हाथी-चींटी जोक्स पर नहीं हंसते। उन्हें हर बार कुछ नया चाहिए। यह सुनिश्चित करने के लिए कमेडियन को गहन अध्ययन करना पडता है। मैं भी खुद को अपडेट रखने के लिए रोज चार अखबार पढता हूं।

खास टिप्स

-भारत में स्टैंडअप कॉमेडी में सफल होने के लिए हिंदी, अंग्रेजी और उर्दू का ज्ञान होना जरूरी है। आपका उच्चारण भी अच्छा होना चाहिए।

-कमेडियंस की लिखी हुई अच्छी किताबें पढने की आदत डालें।

-कॉमेडी शोज के विडियो नियमित तौर पर देखें।

-भारत में कॉमेडी के बेहद सीमित (सर्टिफिकेट) कोर्स ही उपलब्ध हैं। इनमें प्रवेश के लिए कोई विशेष शैक्षिक या उम्र संबंधी आर्हता नहीं है। इनमें प्रैक्टिकल के साथ थ्योरी भी पढाई जाती है।

ज्योति द्विवेदी


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