खूबसूरती को नज़र न लगे
गर्भावस्था के दौरान स्त्रियों के शरीर में हॉर्मोनल परिवर्तन होते हैं, जिससे कुछ स्त्रियों के चेहरे पर निखार आ जाता है तो कुछ की त्वचा संवेदनशील हो जाती है।
बनना एक सुखद एहसास है। हर स्त्री मातृत्व सुख का एहसास लेना चाहती है। अगर आप बेबी प्लैन कर रही हैं तो उससे पहले कुछ जरूरी बातों को जान लेना जरूरी है। गर्भावस्था के दौरान शरीर में कई तरह के महत्वपूर्ण परिवर्तन होते हैं। ये सभी बदलाव हॉर्मोंस के उतार-चढाव के कारण होते हैं। इन परिर्वतनों का प्रभाव स्त्रियों की त्वचा पर भी पडता है। सखी से जानें, त्वचा में होने वाले इन बदलावों और उनके उपचार के बारे में।
समस्या 1
मेलास्मा
मेलास्मा को 'मास्क ऑफ प्रेग्नेंसी या 'पिग्मेंटेशन भी कहा जाता है। यह गर्भावस्था के दौरान त्वचा की सबसे गंभीर समस्या है। इसमें त्वचा की रंगत एक समान नहीं रहती, हाथ-पैर के अलावा ब्रेस्ट और थाईज पर काले या भूरे रंग के धब्बे नजर आते हैं। प्रसव के बाद पिग्मेंटेशन कम हो जाता है लेकिन यह पूरी तरह कभी समाप्त नहीं होता है। इसलिए इस बारे में बहुत चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है।
रोकथाम
जितना हो सके, तेज धूप से बचें। जब भी घर से बाहर निकलें, एसपीएफ 30 सनस्क्रीन ारूर लगाएं। अगर प्रसव के बाद भी पिग्मेंटेशन की समस्या जारी हो तो इसके उपचार के लिए केमिकल पीलिंग एक कारगर उपाय है।
समस्या 2
लाइन्स नाइग्रा
गर्भावस्था में कुछ स्त्रियों के पेट में बीचों-बीच निचली हड्डी तक काले रंग की एक धारी सी बन जाती है। इसे लाइंस नाइग्रा कहते हैं। यह 1 सेंटीमीटर लंबी होती है। यह दूसरी तिमाही से स्त्रियों में एस्ट्रोजन, प्रोजेस्टेरोन और मेलेनिन आदि हॉर्मोंस के बढे हुए उत्पादन के कारण दिखाई देती है।
रोकथाम
लाइंस नाइग्रा, दरअसल बालों की एक रेखा होती है, जो शुरू में हलकी और बाद में गहरे रंग की हो जाती है। यह समस्या कुछ ही स्त्रियों में होती है। प्रसव के बाद यह धारी अपने आप हलकी पडऩे लगती है।
समस्या 3
स्टे्रच माक्र्स
बच्चे के विकास के साथ पेट की त्वचा में खिंचाव होता है, जिससे त्वचा की सतह के नीचे पाए जाने वाले इलास्टिक फाइबर टूट जाते हैं, जिसके परिणामस्वरूप स्टे्रच माक्र्स आ जाते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि गर्भावस्था में जिन स्त्रियों का वान ज्य़ादा बढ जाता है, उन्हें यह समस्या अधिक होती है। वजन का 11-12 किलो बढऩा सामान्य है लेकिन कुछ स्त्रियों का वजन 20 किलो तक बढ जाता है। इससे त्वचा में तेज खिंचाव होता है, जिससे स्ट्रेच माक्र्स होने की आशंका बढ जाती है। इसका कारण आनुवांशिक भी होता है। जिन स्त्रियों की मां को उनकी गर्भावस्था के समय स्ट्रेच माक्र्स हुए थे, उन्हें इनकी अधिक आशंका होती है। डॉक्टर्स के अनुसार, 10 में से 8 स्त्रियों को स्ट्रेच माक्र्स जैसी समस्या का सामना करना पडता है। यह इस पर निर्भर करता है कि आपकी त्वचा कैसी और कितनी मुलायम है। अगर कम समय में अधिक भार बढेगा तो स्ट्रेच माक्र्स ज्य़ादा
पडेंगे। कई स्त्रियों को ब्रेस्ट और थाईज पर भी स्ट्रेच माक्र्स आ जाते हैं। ये छठे या सातवें महीने में ज्य़ादा पडते हैं। प्रसव के बाद स्ट्रेच माक्र्स धीरे-धीरे हलके हो जाते हैं, लेकिन यह पूरी तरह गायब नहीं होते।
समस्या 4
पिंपल्स
स्त्रियों में मुंहासों की समस्या पहली तिमाही से विकसित होने लगती है। प्रोजेस्टेरॉन और एस्ट्रोजन के ज्य़ादा स्राव के कारण सीबम का उत्पादन बढ जाता है, जिससे त्वचा के रोमछिद्र बंद हो जाते हैं। गर्भावस्था के दौरान मुंहासे मुंह के आसापास और ठोडी पर निकलते हैं। कई स्त्रियों में तो ये पूरे चेहरे पर फैल जाते हैं। अगर इनका ठीक से उपचार न कराया जाए तो यह समस्या प्रसव के बाद तक रहती है। कई बार ये अपने पीछे निशान भी छोड जाते हैं। बिना डॉक्टर की सलाह लिए घर पर ही उपचार न करें। इनके उपचार के लिए एंटीबायोटिक दवाइयों का सेवन भी नहीं करना चाहिए।
समस्या 5
स्पाइडर वेन
इस दौरान रक्त प्रवाह में वृद्घि के कारण शरीर पर मकडे के जाले की तरह वेन पड जाती हैं। यह तरगिंत चिन्हों के कारण मकडिय़ों की तरह दिखती हैं, इसलिए इन्हें स्पाइडर वेन कहा जाता है। इससे भले ही कोई नुकसान न हो, लेकिन यह देखने में काफी बुरी लगती है।
समस्या 6
स्किन टैग
त्वचा पर मस्से, त्वचा की ही ऊपरी परत की कोशिकाओं में एक अतिरिक्त वृद्घि के कारण हो जाते हैं। यह समस्या त्वचा पर उस जगह होती है, जहां कपडों से रगड लगती हो। गर्दन, कमर, ब्रेस्ट के नीचे और अंडरआम्र्स आदि में। इससे नुकसान नहीं होता, सिर्फ देखने में यह बुरी लगती है। यह समस्या वजन बढऩे के साथ ज्य़ादा बढ जाती है। प्रसव के बाद यह स्वयं ही ठीक हो जाती है।
समस्या 7
इचिंग
गर्भावस्था में पेट फूलने के कारण मांसपेशियों में खिंचाव होता है, जिससे कई स्त्रियों को खुजली की समस्या हो जाती है। कैलेमाइन लोशन या अच्छी गुणवत्ता का मॉयस्चराइजर लगाएं। अगर ज्य़ादा खुजली हो तो डॉक्टर को दिखाएं। यह गर्भावस्था या लिवर की किसी गडबडी के कारण हो सकती है। इससे समय-पूर्व प्रसव का खतरा बढ सकता है।
डिस्क्लेमर : गर्भावस्था में 9 महीने आपके शरीर में तेजी से परिवर्तन होते हैं। इस दौरान शरीर एलर्जिक और संवेदनशील हो सकता है। इसलिए सौंदर्य उत्पादनों के इस्तेमाल से पहले एक पैच टेस्ट जरूर कर लें। द्य
गीतांजलि
(गंगा राम हॉस्पिटल, नई दिल्ली के डर्मेटोलॉजिस्ट डॉ. रोहित बत्रा से बातचीत पर आधारित)