तीन प्रश्न
पढ़ाई से दूर भागने वाली युवती को छोटी बहन के प्रश्नों से मिली प्रेरणा और उसने जारी की आगे की पढ़ाई...
बारहवीं की पढ़ाई के बाद समझ नहीं आ रहा था कि क्या करना है और क्यों करना है। मन में बहुत से सवाल घूम रहे थे। घर में पढ़ने के लिए कहा जाता और मैं थी कि किताब ही नहीं उठाती थी। पापा ने कई बार डांटते हुए कहा भी था कि पढ़ाई के नाम पर इंसान को कम से कम स्नातक तो होना ही चाहिए। मैं हमेशा इसी उधेड़बुन में खोई रहती कि क्या पापा के सपनों को पूरा कर पाऊंगी? आगे पढ़ाई करूं तो उसका क्या फायदा मिलेगा? हालत यह थी कि मैं न तो घर में किसी से ज्यादा बात करती थी और न ही सबके साथ बैठती थी। बस अकेले कमरे में बैठकर सोच में डूबी रहती थी।
एक दिन मैं सोफे पर बैठी गहरे ध्यान में डूबी थी और मन में वही सवाल चल रहे थी कि आगे की पढ़ाई करूं तो क्यों करूं? मैं अपने उन दिनों को याद कर रही थी जब मैं हंसती-खेलती और सबको हंसाने वाली लड़की हुआ करती थी। इसी बीच कोई कमरे में आया। वह मेरी बहन सोनाली थी। अगले दिन से उसकी परीक्षाएं शुरू होने वाली थीं। उसने कहा कि दीदी मुझे पढ़ा दो। यह सुनकर मेरा पारा हाई हो गया। मैं उस पर चिल्ला उठी कि ‘जा तू पढ़ ले और पढ़-लिखकर डिप्टी कलेक्टर बन जा।’ उस दिन पता नहीं क्या हुआ कि सोनाली ने गुस्सा करते हुए कहा कि मैं
यहां से नहीं जाऊंगी और तुम्हें मुझे पढ़ाना होगा। तुम्हें नहीं पता कि पढ़ाई से जी चुराने वाले लोगों के जीवन का क्या हाल होता है।
सोनाली को पता था कि मुझे गुस्सा आ रहा है और अब मैं उस पर ज्यादा गुस्सा करने वाली हूं लेकिन वह फिर
भी वहां से नहीं हिली। मैं गुस्से से उसको मारने के लिए हाथ उठाने लगी तो वह जोर से चीखी कि न आप पढ़ो और न मुझे पढ़ाओ लेकिन मेरे तीन प्रश्नों के उत्तर दे दो। उसके मुंह से यह बात सुनकर मैं सहम गई। इसके बाद सोनाली ने मुझसे लगातार तीन प्रश्न किए। वह बोली कि नौकरी भले ही न की जाए लेकिन बिना पढ़े लोगों की समाज में क्या इमेज होती है आपको पता है? अगर मां पढ़ी होती तो शायद अपने घर में पढ़ाई का माहौल क्या ऐसा ही होता? आप इंटरमीडियट तक पढ़ी हैं और ऐसे में कौन लड़का आपके साथ शादी करने को तैयार होगा? सोनाली के इन तीन प्रश्नों ने मुझे अंदर तक हिला दिया। मैं निरुत्तर थी। जो बात मम्मी-पापा मुझे रोज समझाया करते थे, वह बात मुझे सोनाली के तीन प्रश्नों ने समझा दी थी। उसके प्रश्नों ने मेरे गुस्से को काफूर कर दिया था।
अब सोनाली ने मेरे गुस्से पर जीत दर्ज कर ली थी। मैंने समझ लिया था कि शिक्षा से बड़ी कोई दूसरी चीज नहीं। बस उसी दिन से मैंने ठान लिया कि मुझे मन लगाकर पढ़ना है। कुछ दिनों बाद नया सत्र शुरू हुआ और मैंने बीएससी में एडमीशन ले लिया। मेहनत से पढ़ाई की और नतीजा शानदार रहा। मैं कॉलेज में बीएससी टॉपर बनी और अब आगे की पढ़ाई उत्साह के साथ जारी है।
आज मुझे लगता है कि मेरी बहन ने अगर मुझसे वो तीन प्रश्न न किए होते तो शायद मेरी पढ़ाई अधूरी रह जाती। सच है कि सीख सिर्फ बड़ों की बातों में ही नहीं, छोटों की बातों में भी होती है।
आरती पोखरियाल, नैनीताल (उत्तराखंड)