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लघुकथा: पेड़ की जड़ें

दादी ने कहा 'बेटा पेड़ों की जड़ों ने रोटी रखने से या पोंछ देने से पेड़ नहीं बढ़ते वो तो इतने शक्तिशाली होते है कि धरती से अपने आप पोषण ले लेते है हमें बस उनकी जड़ों में पानी डालना होता है।

By Babita KashyapEdited By: Published: Sat, 11 Feb 2017 08:59 AM (IST)Updated: Sat, 11 Feb 2017 09:05 AM (IST)
लघुकथा: पेड़ की जड़ें
लघुकथा: पेड़ की जड़ें

एक गाँव में एक आठ साल का बच्चा अपनी दादी के साथ रहता था। उनके पास एक बगीचा था जिनकी दादी देखभाल किया करती थी। एक बार दादी बीमार पड़ गयी और चलने फिरने में भी असमर्थ हो गयी तो उन्होंने अपने लाडले पोते को बुलाकर कहा बेटा 'तुम बगीचे के पेड़ पौधों का ख्याल रखना' पोते ने अपनी दादी से वादा किया कि पेड़ पौधों का ख्याल रखेगा।

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कुछ समय बाद जब दादी स्वस्थ हो गयी तो उसके बाद जब बगीचे में जाकर उसने देखा तो पता चला बहुत से पौधे खत्म हो चुके थे और बहुत पौधे सूख गये थे इस पर उन्होंने अपने पोते से प्यार भरी नाराजगी जताते हुए कहा बेटा तुमने अपना वादा सही से नहीं निभाया तुमने तो कहा था तुम पौधों का ध्यान रखोगे जबकि ये तो सूख गये है। लड़के ने रोते हुए कहा दादी मैं तो रोज देखभाल करता था और रोज पत्तियों को पोंछा करता था और रोटी के टुकड़े पौधों पर रख दिया करता था। फिर भी वे सूख गये।

दादी ने कहा 'बेटा पेड़ों की जड़ों ने रोटी रखने से या पोंछ देने से पेड़ नहीं बढ़ते वो तो इतने शक्तिशाली होते है कि धरती से अपने आप पोषण ले लेते है हमें बस उनकी जड़ों में पानी डालना होता है।' इसलिए तुम्हें इनकी जड़ों में पानी डालना चाहिए था। लड़का सोच में पड़ गया और उसने पूछा दादी मनुष्य की जड़ें कहां होती हैं? इस पर दादी ने कहा कि मनुष्य की जड़ें उसके साहस व भुजाओं में होती है इसलिए यदि इनको रोजाना पोषण नहीं मिलेगा तो हम कभी ताकतवर नहीं बन पाते।

साभार: Guide2India

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