तभी आनंद की अवस्था में पहुंच पाएंगे...
भौतिक संसार एक सच है लेकिन उसके आगे भी बहुत कुछ है जो हमें जानना चाहिए।
एक छोटी कहानी से बात शुरू करते हैं। यह दो मेंढकों की कहानी है। इन दोनों मेंढकों ने अपनी पूरी जिंदगी एक कुएं में गुजारी थी और उनकी दुनिया बस उस कुएं तक ही सिमटी थी। एक दिन उनमें से एक मेंढक किसी तरह कुएं से बाहर निकल गया।
वह कई दिनों तक गायब रहा और फिर लौटकर आया। दूसरा मेंढक जो कुएं में ही रह गया था उसने पूछा कि इतने दिन कहां रहे। पहले मेंढक ने उसे उस दुनिया के बारे में बताना शुरू किया जो कुएं के बाहर थी। उसने बताया कि इसके बाहर एक बहुत ही सुंदर दुनिया है। उसने जो भी नजारे देखे थे उनके बारे में बताने लगा।
उन सभी चीजों के बारे में सुनकर दूसरा मेंढक दंग रह गया। काफी देर तक बातचीत सुनने के बाद वह बोला कि तुमने मुझे जितनी भी चीजों के बारे में बताया है वह सिर्फ तुम्हारी कल्पना है। इस दुनिया में इस कुएं से बेहतर जगह दूसरी नहीं है।
तुम मुझे जितनी भी चीजें बता रहे हो वैसा कुछ दुनिया में हो ही नहीं सकता है। अगर दुनिया इतनी सुंदर होती तो इस कुएं के अंदर भी वे दिखलाई देतीं। मैं तो ऐसा कुछ देख नहीं पा रहा हूं तो मुझे लगता है कि तुमने कोई सपना देखा है। पहले मेंढक ने जब यह सब सुना तो उसने सिर पीट लिया और वह कुएं से बाहर निकल आया।
अक्सर लोग दूसरे मेंढक की तरह ही बर्ताव करते हैं। वे सोचते हैं कि चूंकि उन्होंने दुनिया में ज्यादा चीजें नहीं देखी हैं तो दुनिया में ज्यादा चीजें हैं ही नहीं। कई मर्तबा लोग सोचते हैं कि दुनिया जितनी दिखाई पड़ती है उतनी ही है और वे उसे महसूस करना भूल जाते हैं। दूसरे मेंढक की तरह लोग अपने दिमाग के दरवाजे नई चीजों के लिए बंद कर लेते हैं।
हमारे भीतर खुद को जानने की गहरी प्यास होना चाहिए। जब हम अपने आत्म के विकास की इच्छा रखेंगे तभी आनंद की अवस्था में पहुंच भी पाएंगे। भौतिक संसार एक सच है लेकिन उसके आगे भी बहुत कुछ है जो हमें जानना चाहिए।