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गीत: मौसम धानी है

देते हैं आवाज किनारे डूब गई थी कल जो ख्वाहिश

By Babita KashyapEdited By: Published: Mon, 03 Apr 2017 03:09 PM (IST)Updated: Wed, 05 Apr 2017 08:57 AM (IST)
गीत: मौसम धानी है
गीत: मौसम धानी है

यादों की कारस्तानी है!

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मन का मौसम फिर धानी है!

खुद आए हैं पास सहारे

देते हैं आवाज किनारे

डूब गई थी कल जो ख्वाहिश

आस बांधकर मुझे निहारे

क्या है ये सब? हैरानी है

कुछ खट्टे-मीठे से पल हैं

ये सब जीवन की हलचल है

हर क्षण के साथी हैं पल ये

कभी शुष्क हैं कभी गजल हैं

इन सब का कुछ तो मानी है

जो कुछ सोचा सब वैसा हो

जीवन अपने मन जैसा हो

अक्सर सोचा करते हैं ये

गर ऐसा हो तो कैसा हो

कितनी हममें नादानी है

यादों की कारस्तानी है

सोनरूपा विशाल

 (प्रतिभासंपन्न युवा कवयित्री। एक गजल संग्रह प्रकाशित)

‘नमन’, प्रोफेसर्स कालोनी, राजमहल

गार्डेन के सामने, बदायूं (उ.प्र.)

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