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पापा का कोट

मुझे वो खुद अब एक कोट की तरह दिखते हैं

By Babita KashyapEdited By: Published: Mon, 20 Feb 2017 03:38 PM (IST)Updated: Mon, 20 Feb 2017 03:40 PM (IST)
पापा का कोट
पापा का कोट

पापा का
पुराना कोट

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कहीं गुम हो गया

घर के

एक कोने में

लगी खूंटी से

टंगा रहता था चुपचाप

या कभी-कभी वह भी

आकार पा लेता था

पापा के देह में ही

उन्हीं के देह जैसा,

सालों गुजर गए

उस कोट को

इतिहास में तब्दील हुए

मुझे तो ठीक-ठाक याद भी नहीं

कि वो चिथड़े-चिथड़े हो फटा

या फिर

दे दिया गया

किसी जरूरतमंद को।

वैसे पापा अब

कोट नहीं पहनते

मुझे वो खुद

अब एक कोट की तरह दिखते हैं

ठीक उसी की तरह

घर के

एक कोने में

समय की खूंटी पर

टंगे हुए चुपचाप।

(कविता का सुपरिचित नाम)

पारस तियरा अपार्टमेंट्स टॉवर नं. 4, डोर नं.

503 फिफ्थ फ्लोर सेक्टर 137, नोएडा,

उ. प्र.-201305

श्रीधर कुमार दुब


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