लगन से मिला लक्ष्य
लोगों के ताने सुनकर भी एक युवक ने किया पुलिस में जाने का सपना साकार.. गांव का एक युवक था। मेरा बचपन से ही पुलिस में भर्ती होने का ख्वाब था। बचपन तो गांव में ही बीता लेकिन प्राथमिक परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद मैं आगे की पढ़ाई के लिए पिता जी के साथ दिल्ली आ गया। य्
लोगों के ताने सुनकर भी एक युवक ने किया पुलिस में जाने का सपना साकार..
गांव का एक युवक था। मेरा बचपन से ही पुलिस में भर्ती होने का ख्वाब था। बचपन तो गांव में ही बीता लेकिन प्राथमिक परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद मैं आगे की पढ़ाई के लिए पिता जी के साथ दिल्ली आ गया। यहां मेरा एडमिशन सर्वोदय बाल विद्यालय में हो गया। यहां मैंने दसवीं, बारहवीं और फिर ग्रेजुएशन की परीक्षा पास कर ली।
मैं पैसे से जरूर गरीब था लेकिन आत्मविश्वास के मामले में धनी था। जो भी ठान लेता, उसे पूरा करके रहता। मैंने जीवन में किसी भी मामले में हार नहीं मानी। ग्रेजुएशन करने के बाद मैं नौकरी पाने के लिए प्रतियोगिताओं में बैठने लगा लेकिन कहीं भी बात नहीं बनी। मैंने दिल्ली पुलिस, सीआईएसएफ, बीएसएफ, विभिन्न राज्यों की पुलिस में नौकरी के लिए सब जगह ट्राई किया। परंतु मुझे कोई न कोई कमी बताकर नहीं लिया गया।
इन प्रयासों में कई साल निकल गए। मेरे साथी और जानने वाले मेरा मजाक उड़ाने लगे। वे कहते, अब बुढ़ापे में तुझे कौन पुलिस में नौकरी देगा। अब दौड़ लगाना छोड़ दे और किसी प्राइवेट कंपनी में नौकरी ज्वाइन कर ले। उनके ताने सुनकर मैं निराश नहीं हुआ, बल्कि हर बार और भी मजबूत हुआ। जब भी कोई मजाक उड़ाता, पुलिस में जाने का मेरा निश्चय और भी दृढ़ हो जाता। मैंने हार नहीं मानी और परिश्रम पर भरोसा करते हुए आगे बढ़ता रहा।
आखिरकार, मेरा चयन गोरखपुर रेलवे में आरपीएफ कॉन्सटेबल के रूप में हो गया। जो लोग मुझपर हंसते थे, आज मेरी मिसाल देते हैं। इस बात से मैं लोगों को यह संदेश देना चाहता हूं कि अपने लक्ष्य पर केंद्रित रहना चाहिए और उसे पाने के लिए प्रयास करते रहना चाहिए। खुद पर भरोसा बहुत जरूरी है। यदि कोई मजाक उड़ाए, तो उससे हतोत्साहित न होकर प्रयास को और तेज कर देना चाहिए। काम के प्रति आपकी लगन और ईमानदारी देखकर ईश्वर खुद ही मंजिल तक पहुंचा देता है।
अरविंद कुमार, उत्तम नगर (नई दिल्ली)