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सबको आजाद ख्याल होना चाहिए-मृदुला गर्ग

हिंदी की सबसे लोकप्रिय लेखिकाओं में से एक हैं मृदुला गर्ग। उपन्यास, कहानी संग्रह, नाटक, निबंध संग्रह और यात्रा संस्मरण मिलाकर उन्होंने कई किताबों की रचना की है। मृदुला गर्ग का उपन्यास चित्तकोबरा काफी चर्चित और विवादास्पद रहा है। घर-गृहस्थी की जिम्मेदारियों को संभालते हुए उन्ह

By Edited By: Published: Mon, 31 Mar 2014 11:07 AM (IST)Updated: Mon, 31 Mar 2014 11:07 AM (IST)
सबको आजाद ख्याल होना चाहिए-मृदुला गर्ग

हिंदी की सबसे लोकप्रिय लेखिकाओं में से एक हैं मृदुला गर्ग। उपन्यास, कहानी संग्रह, नाटक, निबंध संग्रह और यात्रा संस्मरण मिलाकर उन्होंने कई किताबों की रचना की है। मृदुला गर्ग का उपन्यास चित्तकोबरा काफी चर्चित और विवादास्पद रहा है। घर-गृहस्थी की जिम्मेदारियों को संभालते हुए उन्होंने सशक्त लेखन भी किया है। उन्होंने सभी तरह का लेखन अर्थात ऐतिहासिक, राजनैतिक और सामाजिक सरोकारों पर भी लिखा है। उनसे हुई बातचीत के अंश

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आप लेखन के क्षेत्र में कैसे आईं? क्या यह एक महज संयोग है या आपका लक्ष्य था?

यह मुझे नहीं पता है कि मैं इस क्षेत्र में कैसे आई। बस, यूं समझिए कि आ गई। हमारे परिवार में सभी लोगों को साहित्य में बेहद दिलचस्पी थी। इसलिए घर में पढ़ने-लिखने का माहौल था तो स्वभाविक है कि मेरी भी रुचि हो गई। हम तीन बहने हैं और तीनों ही लिखते हैं। अभी एक नई किताब 'विषात' आई है। यह एक लघु उपन्यास है जिसमें हम तीनों बहनों की कहानियां हैं।

आपको सबसे विशिष्ट सम्मान 'साहित्य अकादमी पुरस्कार' से नवाजा गया है। अब आप कैसा महसूस करती हैं?

पुरस्कार मिलने पर अच्छा लगता है। इससे थोड़ी चर्चाएं हो जाती हैं। पाठकों पर भी थोड़ा सा फर्क पड़ता है।

आपने बहुत से उपन्यास लिखे हैं। उनमें से सबसे अधिक दिल के करीब कौन सा उपन्यास है और लिखने में सबसे अधिक श्रम किस किताब पर करना पड़ा था?

जो भी नया लिखती हूं, वही किताब सबसे अधिक मेरे दिल के करीब होती है। 'चित्तकोबरा' महज छब्बीस दिन में लिखा गया था। वह बहुत ही उत्कृष्टता के साथ लिखा गया था। अभी जो 'मिलजुल मन' उपन्यास है वो मेरे दिल के बहुत करीब है। उसमें बहुत उल्लास है। उस किताब में मैंने बचपन की तरफ मुड़कर देखा है। उसमें मेरी बहन मंजुल भगत की आंशिक जीवनी भी है। 'अनित्य' पर भी बहुत अधिक श्रम करना पड़ा था। इस किताब को लिखते समय मुझे डेढ़-दो सौ किताबें पढ़नी पड़ी थीं।

अपने किरदार का चुनाव कल्पना के आधार पर करती हैं या यथार्थ के द्वारा?

मैं अपने किरदार का चुनाव कल्पना और यथार्थ दोनों के आधार पर करती हूं।

इतना कुछ करने के बाद आगे क्या करने का इरादा है?

आगे कुछ कहानियां लिखना चाहती हूं।

लिखने-पढ़ने के लिए टाइम मैनेज कैसे करती हैं?

ज्यादातर मैं सुबह के समय लिखती हूं और रात में पढ़ने का काम करती हूं। जब बच्चे छोटे थे तो उनके स्कूल जाने के बाद ही लिखती थी। अब तो सब बड़े हो गए हैं। पहले मैं नियमित रूप से लेखन का कार्य करती थी।

क्या किसी उपन्यास या कहानी को गढ़ने से पहले ही उसकी रूप-रेखा तैयार कर लेती हैं?

सबसे पहले शीर्षक और पहली पंक्ति ही सूझती है मुझे। उसके बाद मैं लिखना शुरू कर देती हूं, लेकिन इसके लिए मैं कोई डायरी या खाका कुछ भी पहले से तैयार नहीं करती हूं। सब मेरे दिमाग में रहता है। जब लिखने बैठती हूं तो सारी बातें सामने आ जाती हैं।

नए लेखकों को या जो लिखने के बारे में सोच रहे हैं, उनको क्या संदेश देंगी?

अपनी हिसाब से लिखो। दूसरों की नकल करके मत लिखो, जो तुम्हें अंदर से ललकारता हो और इतना बेबस कर दे कि तुम्हें लिखना ही पड़े, तभी लिखो। अगर ऐसा कोई उत्कृष्ट भाव नहीं है तो मत लिखो।

आपके पसंदीदा लेखक कौन-कौन हैं और आपको अपनी कौन सी किताब सबसे अधिक प्रिय है?

मनोहर श्याम जोशी मेरे पसंदीदा लेखक हैं। वैसे मुझे रूसी राइटर बहुत पसंद हैं, जैसे चेखव, टॉलस्टॉय आदि। कुछ दूसरे भी रचनाकार हैं जिनकी किताबें पढ़ना अच्छा लगता है, जैसे टोनी मॉरिसन, डॉरिस लेसिंग, फ्रांज काफ्का आदि। आजकल मेरी सबसे प्रिय पुस्तक 'मिलजुल मन' है।

लेखन के अलावा किस काम में सबसे अधिक आनंद आता है?

मुझे बागवानी का बहुत शौक है। हालांकि जगह की कमी की वजह से अभी एक छोटा सा ही बगीचा बनाया है। इसके अलावा ड्रिफ्ट वुड से चीजें बनाने में भी बेहद दिलचस्पी थी, लेकिन बचपन से ही सबसे अधिक शौक पढ़ने का ही रहा है।

अगर आप लेखिका नहीं होंती तो क्या होतीं?

तब मैं अर्थशास्त्री होती, क्योंकि मैं अर्थशास्त्र की लेक्चरर थी।

अपने को मेंटेन रखने के लिए क्या करती हैं?

वैसे तो कुछ विशेष नहीं करती हूं। बस, थोड़ा खाने-पीने पर ही ध्यान देती हूं। इसके साथ ही नियमित रूप से योगा और एक्सरसाइज करती हूं।

क्या आप फिल्में देखना पसंद करती हैं? आपके मनपसंद अभिनेता कौन-कौन से हैं?

हां, अच्छी फिल्में देखना पसंद करती हूं। मेरे पसंदीदा अभिनेता नसीरूद्दीन शाह, फरहान अख्तर और अभिनेत्रियों में विद्या बालन हैं। मुझे स्व. स्मिता पाटिल भी बहुत पसंद थीं।

जीने के लिए सबसे अहमियत किस चीज की होती है?

हमारे देश में सफाई की बहुत जरूरत है। इसके लिए सिर्फ सरकार को ही नहीं, बल्कि हमें भी जिम्मेदारी लेनी होगी। इसके अलावा हर आदमी को आजाद ख्याल का होना चाहिए, जो अपने लिए सोचें और दूसरे को भी सोचने के लिए छूट दे सके। आपका दिल इतना बड़ा होना चाहिए कि जो लोग आपके विचारों से असहमत हैं उनसे भी प्यार कर सकें। यदि वह असहमति ईष्र्या के कारण है तब तो नहीं, यदि विचारों के कारण है तब तो उसका स्वागत करना चाहिए।


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