पुकारती हैं मंजिलें बढ़े चलो
जीवन के हर क्षेत्र में महिलाएं दस्तक दे रही हैं। अब वे शिक्षा, कॉरपोरेट सेक्टर और राजनीति में पुरुषों के बराबर खड़ी दिखती हैं। इस बदलाव की वजह कुछ सरकारी नीतियां (और शायद समय की मांग) हैं कि महिलाओं को शिक्षा, सुरक्षा और स्वास्थ्य के साथ ही आर्थिक जगत में भी बर
जीवन के हर क्षेत्र में महिलाएं दस्तक दे रही हैं। अब वे शिक्षा, कॉरपोरेट सेक्टर और राजनीति में पुरुषों के बराबर खड़ी दिखती हैं। इस बदलाव की वजह कुछ सरकारी नीतियां (और शायद समय की मांग) हैं कि महिलाओं को शिक्षा, सुरक्षा और स्वास्थ्य के साथ ही आर्थिक जगत में भी बराबरी का दर्जा मिल रहा है। बदले परिवेश में कहा जा सकता है कि नए दौर की महिलाएं नए भारत के निर्माण पर अग्रसर हैं। वे आशाओं से परिपूर्ण हैं और उनके सपने बड़े हैं। अच्छी बात यह है कि अब परिवार के लोग भी उनके सपनों को पंख लगाने की पुरजोर कोशिश कर रहे हैं।
मंजिल का हो चयन
बेशक आज के दौर में अवसरों के ढेरों विकल्प हैं लेकिन कुछ भी करने से पूर्व आपको पहले कार्य की रूपरेखा तैयार करनी होगी। हर अच्छा काम हमें आसान दिखता है और फायदे का सौदा लगता है तो इसका मतलब यह नहीं है कि वह आपके लिए भी अच्छा होगा। यह तो आपको ही तय करना होगा कि आप क्या चाहती हैं और आपके लिए क्या बेहतर है? जब आपका लक्ष्य निर्धारित हो जाएगा तो बाकी सब कुछ आपको धुंधला नजर आएगा। अपनी क्षमता को पहचानिए और उसी आधार पर नौकरी या व्यवसाय का चयन कीजिए। इस बात का हमेशा ख्याल रखें कि गलत निर्णय और गलत राह के चयन से मंजिल कभी नहीं मिलती। मंजिल का सफर सही रास्ते से होकर ही जाता है।
प्राथमिकताएं हों सुनिश्चित
किसी कार्य को करने से पूर्व अपनी प्राथमिकताएं सुनिश्चित करिए। क्या आपको किसी के सहयोग की जरूरत है? गाइडेंस चाहिए? क्या कार्य करने के लिए अनुभव की जरूरत है? यदि उपर्युक्त में से कोई समस्या है तो सबसे पहले इसका समाधान ढूंढि़ए। अपने भाषाई, तकनीकी, व्यापारिक, प्रबंधकीय ज्ञान को निखारने के साथ टीम वर्क और नेतृत्व कौशल को भी विकसित कीजिए। कार्यक्षेत्र में अपने सहयोगियों के साथ मधुर संबंध बनाने के लिए आपको मनोवैज्ञानिक तौर से भी कुशल होना होगा। इससे न सिर्फ आपके काम की राह आसान होगी, बल्कि आप मंजिल पाने में सफल होंगी।
क्षमता और समय का ध्यान
कुछ भी करने से पूर्व आपको अपनी क्षमता और संसाधनों को पहचानना होगा। कई बार हम इतने बड़े सपने देखने लगते हैं जो हमारी क्षमता और संसाधनों से मेल नहीं खाते। ऐसे में हम लक्ष्य से भटक जाते हैं। अगर आप महंगी पार्टियां, लंबी यात्राएं और बड़ा निवेश करने की स्थिति में नहीं हैं तो इनसे बचने में ही समझदारी है। इसके अलावा काम में इतना भी व्यस्त न हो जाएं कि वह आपको बोझ लगने लगे। काम को बीच में विराम दीजिए और फिर नई आशाओं व जोश के साथ उसे पूरा करने में जुट जाइए।
खुद के निर्णय पर भरोसा
सपनों को मूर्तरूप देने से पहले इन सवालों पर भी गौर करना जरूरी है कि क्या हमारे शहर, कंपनी या दोस्त बदलने से हम जल्दी सफल हो जाएंगे? या यह सिर्फ हमारी सोच है और इनसे हमें लक्ष्य हासिल करने में कोई फायदा या नुकसान नहीं है। कई बार हम थोड़ी सी परेशानी में बदलाव का निर्णय करने लगते हैं लेकिन यह हमेशा हमारे पक्ष में नहीं होता। हम तनाव में अपनी समस्या भी हर किसी को सुनाने लगते हैं, पर इससे आपकी समस्या का कोई सार्थक समाधान नहीं मिलता। हर समस्या के समाधान की पहल आपको स्वयं करनी होती है।
अपनों से कहें दिल की बात
कई बार हम अपने मन की उधेड़-बुन में फंसकर तनाव का शिकार बनते हैं। इससे बचने का आसान उपाय है कि जो हमारे प्रिय व शुभेच्छु हों उनसे हम अपने दिल की बात करें। कोई सपना स्वयं ही साकार नहीं होता, उसे पूरा होने में अपनों के उत्साहवर्धन की जरूरत होती है। ऐसे लोग हमारे कार्यक्षेत्र की टीम की तरह होते हैं। ये हमें मुश्किलों से बचाते हैं।
(विमला पाटिल)