मिथकों का क्या है मकसद
हिंदुओं के लगभग सभी पौराणिक ग्रंथ छोटे-छोटे कथानकों और बड़े-बड़े रोचक घटनाक्रमों से गुंथे हैं। इन सबमें समाहित हैं जीवन-मृत्यु, सत्य-असत्य और रीति-रिवाज के तर्क-वितर्क। समय के साथ इन पौराणिक कथाओं की नई-नई व्याख्याएं आती गई और जन्म हुआ तरह-तरह के
हिंदुओं के लगभग सभी पौराणिक ग्रंथ छोटे-छोटे कथानकों और बड़े-बड़े रोचक घटनाक्रमों से गुंथे हैं। इन सबमें समाहित हैं जीवन-मृत्यु, सत्य-असत्य और रीति-रिवाज के तर्क-वितर्क। समय के साथ इन पौराणिक कथाओं की नई-नई व्याख्याएं आती गई और जन्म हुआ तरह-तरह के मिथकों का। आधुनिक संदर्भ में इन मिथकों की व्याख्या करने वाले भारतीय लेखकों में डॉ. देवदत्त पटनायक का नाम सर्वोपरि है। वे कई पौराणिक ग्रंथों, पात्रों और इनसे जुड़े मिथकों पर कई बेस्टसेलर अंग्रेजी बुक्स और बेशुमार कॉलम्स लिख चुके हैं। हाल ही में पेंगुइन बुक्स ने एक अच्छी पहल करते हुए डॉ. पटनायक की दो पुस्तकें 'जया' और 'सीता' हिंदी में अनूदित करके प्रकाशित की थीं। 'मिथक=मिथ्या' इसी क्रम में उनकी हिंदी में प्रकाशित तीसरी पुस्तक है। अपनी टैगलाइन 'हिंदू मिथकों का विश्वकोश' के मुताबिक ही यह पुस्तक हिंदू रीति-रिवाजाें, प्रतीक चिथें और पौराणिक कथानकों की अनसुलझी गुत्थियों को सहज-सरल ढंग से सुलझाने का प्रयास करती है। पुण्य और पाप, पूर्वजन्म और पुर्नजन्म, देवताओं और दानवों को नए ढंग से परिभाषित करने वाली यह पुस्तक कई दिलचस्प सवालों जैसे 'सीता को त्यागने वाले राम मर्यादा पुरुषोत्तम क्यों हैं? पांडवों में युधिष्ठिर ही स्वर्ग क्यों गए? शिव ने ब्रह्मा का पांचवां सिर धड़ से क्यों अलग किया?' को भी बड़े सटीक ढंग से सामने रखती और अपने ढंग से इनका समाधान भी करती है। इस पुस्तक के अंत में प्रकाशित संदर्भ ग्रंथ सूची इसे हिंदू गाथाओं और मिथकों पर एक प्रामाणिक शोध की स्थिति में ले आती है!