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किताबघर-कुछ बेगानी दास्तानें

हिंदी की सुप्रसिद्ध कथाकार मृदुला गर्ग इंसानी रिश्तों खासकर स्त्री-पुरुष संबंधों पर गहन अनुभूतियों और मनोवैज्ञानिकता के साथ लिखने के लिए जानी जाती हैं। हाल में ही राजपाल एंड संस द्वारा प्रकाशित कथा संकलन 'हर हाल बेगाने' में अपनी धरती से दूर रहने वाले भारतीय लोगों के आंतरिक द्वंद्व को

By ChandanEdited By: Published: Mon, 10 Nov 2014 01:37 PM (IST)Updated: Mon, 10 Nov 2014 02:46 PM (IST)
किताबघर-कुछ बेगानी दास्तानें

हिंदी की सुप्रसिद्ध कथाकार मृदुला गर्ग इंसानी रिश्तों खासकर स्त्री-पुरुष संबंधों पर गहन अनुभूतियों और मनोवैज्ञानिकता के साथ लिखने के लिए जानी जाती हैं। हाल में ही राजपाल एंड संस द्वारा प्रकाशित कथा संकलन 'हर हाल बेगाने' में अपनी धरती से दूर रहने वाले भारतीय लोगों के आंतरिक द्वंद्व को उन्होंने बहुत सूक्ष्मता से व्यक्त किया है। संग्रह में कुल जमा बारह कहानियां हैं, जो विगत चार दशक के दौरान विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। ये कहानियां आज के संदर्भों में इसलिए अधिक प्रासंगिक जान पड़ती हैं, क्योंकि हमारे समाज में 'एनआरआई' शब्द के प्रति एक खास तरह का आकर्षण देखने को मिलता है। इन कहानियों का कैनवास बहुत विस्तृत है। सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और भावनात्मक दबावों के बीच अपने आप को बचाती इंसानी जद्दो-जहद के स्वर इन कहानियों में साफतौर पर सुने जा सकते हैं। देशों की सीमाएं और दूरियां किस तरह से मानवीय भावनाओं को भी विभाजित कर देती हैं, इसे इन कहानियों में देखा जा सकता है। संग्रह की सभी कहानियां पठनीय ही नहीं, मन को छू लेने वाली हैं!

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