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किताबघर- रिश्तों का आईना

नि:संदेह कहानियां मानव जीवन और सामाजिक सरोकारों से जुड़ी होती हैं। जब अनुभव, छोटी-छोटी घटनाएं शब्दों में गुंथते हैं तो गढ़ जाती है कहानी। लगभग डेढ़ दशक से विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में लेखन कर रहीं लेखिका लाडो कटारिया का पहला कहानी संग्रह है

By ChandanEdited By: Published: Wed, 19 Nov 2014 12:30 PM (IST)Updated: Wed, 19 Nov 2014 01:33 PM (IST)
किताबघर- रिश्तों का आईना

नि:संदेह कहानियां मानव जीवन और सामाजिक सरोकारों से जुड़ी होती हैं। जब अनुभव, छोटी-छोटी घटनाएं शब्दों में गुंथते हैं तो गढ़ जाती है कहानी। लगभग डेढ़ दशक से विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में लेखन कर रहीं लेखिका लाडो कटारिया का पहला कहानी संग्रह है 'आईना' लेकिन इसकी हर कहानी भ्रष्टाचार, सामाजिक असमानता, अन्याय और शोषण पर बहुत तीखी चुभन देती है। इससे भी अच्छी बात संग्रह की यह है कि इसकी हर कहानी किसी भी मुद्दे पर सिर्फ सवाल ही खड़े नहीं करती, बल्कि उनके निदान का भी रास्ता दिखाती है।

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इसके अधिकतर पात्र जीवन के झंझावातों से जूझते नजर आते हैं, लेकिन अंतत: वे अपनी कर्मठता से उतार-चढ़ावों से उबर भी जाते हैं। रिश्तों को छूती 'मां' और 'ओ री चिरैया' कहानी मां-बेटी के संबंधों पर प्रकाश डालती है तो 'गुलमोहर' तथा 'पेड़ों वाली टीचर' प्रकृति का मानवीकरण करती प्रतीत होती है। सूर्य भारती प्रकाशन, दिल्ली द्वारा प्रकाशित इस संग्रह की हर कहानी समापन पर गहरा प्रभाव छोड़ती है और पाठकों को मनोरंजन के साथ ही चिंतन का भी मौका देती है!


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