सांसदों और विधायकों की सुनवाई नहीं करने वाले अफसरों की एसीआर होगी खराब
भाजपा सांसदों और विधायकों की बढ़ती नाराजगी को देखते हुए मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने राज्य के प्रशासनिक सुधार विभाग के माध्यम से ये आदेश जारी करवाए है।
जयपुर, जागरण संवाददाता। सांसदों और विधायकों की सिफारिशें नहीं मानने वाले सरकारी अधिकारियों के खिलाफ राजस्थान की वसुंधरा राजे सरकार सख्त कार्रवाई करेगी। सांसदों और विधायकों के टेलिफोन एवं पत्रों का जवाब नहीं देने वाले जिला कलेक्टरों,पुलिस अधीक्षकों सहित सभी आईएएस,आईपीएस एवं आरएएस अधिकारियों के विरूद्ध उनके (वार्षिक मूल्यांकन प्रतिवेदन) एसीआर में प्रतिकूल टिप्पणी दर्ज की जाएगी,यदि शिकायत गंभीर हुई तो अधिकारियों का निलम्बन तक हो सकता है।
भाजपा सांसदों और विधायकों की बढ़ती नाराजगी को देखते हुए मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने राज्य के प्रशासनिक सुधार विभाग के माध्यम से ये आदेश जारी करवाए है। सांसद और विधायक हमेशा ही यह शिकायत करते रहे है कि जिलों में जिला कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक और जयपुर में सचिवालय में बैठे आला अधिकारी ना तो उनके पत्रों का जवाब देते और ना ही टेलिफोन रिसीव करते है।
पिछले विधानसभा सत्र के दौरान भाजपा विधायक दल की बैठक में कुछ विधायकों ने तो मुख्यमंत्री के समक्ष अधिकारियों के रवैये पर नाराजगी जताते हुए यहां तक कह दिया था कि यदि ऐसा ही चलता रहा तो हमारी सत्ता में वापसी मुश्किल होगी। प्रशासनिक सुधार विभाग की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि सांसदों एवं विधायकों के पत्रों और सिफारिशों का लिखित में जवाब देने के साथ ही एक प्रति मुख्यमंत्री कार्यालय में भी भेजें। अधिकारियों से कहा गया है कि जनप्रतिनिधियों के फोन रिसीव करें और यदि किसी कारणवश तत्काल फोन रिसीव करने में असमर्थ है तो फिर कॉल बैक करें।
जिला कलेक्टरों से कहा गया है कि आम आदमी की ओर से मिल रही रही शिकायतों का प्राथमिकता के आधार पर निस्तारण करें। कलेक्टर जिला स्तर पर क्षमतावान और टैलेंटेड अधिकारियों की पहचान कर उनका बेहतर इस्तेमाल करें,जिससे सरकारी योजनाओं का सही ढंग से क्रियान्वयन हो सके। हालांकि ये आदेश सभी सांसद और विधायकों के लिए निकाला गया है,लेकिन मूल रूप से भाजपा के जनप्रतिनिधियों का खुश करने का मुख्य साधन माना जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि इससे पहले भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा सत्ता में सुनवाई नहीं होने की शिकायत पर मुख्यमंत्री ने मंत्रियों का जिलों में दौरे पर जाते समय भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ अलग से बैठक करने के निर्देश दिए थे। भाजपा कार्यालय में होने वाली जन सुनवाई में भी मंत्रियों को नियमित रूप से उपस्थित होने के लिए कहा गया था।