अजमेर दरगाह विस्फोट मामले में स्वामी असीमानंद बरी, 3 दोषी करार
अजमेर ख्वाजा साहब की दरगाह में 10 वर्ष पूर्व हुए बम धमाकों के मामले में चर्चित आरोपी असीमानंद को सीबीआई की विशेष कोर्ट ने बरी कर दिया।
जयपुर, जागरण संवाद केन्द्र। अजमेर ख्वाजा साहब की दरगाह में 10 वर्ष पूर्व हुए बम धमाकों के मामले में तीन आरोपियों को दोषी माना गया है। जयपुर एनआईए एवं सीबीआई की विशेष कोर्ट ने इस मामले में भावेश पटेल, सुनील जोशी एवं देवेन्द्र गुप्ता को दोषी ठहराया है। इनमें सुनील जोशी का मर्डर हो चुका वहीं गुप्ता एवं पटेल जेल में बंद है। इसके अलावा सबसे ज्यादा चर्चित आरोपी असीमानंद एवं चन्द्रशेखर, लोकेश शर्मा, मुकेश वसानी, हर्षद, भरतेश्वर, मेहुल को बरी कर दिया।
न्यायाधीश देवेन्द्र गुप्ता ने बुधवार को मामले का फैसला सुनाते हुए दोषी तीनों आरोपियों को सजा का ऐलान कोर्ट 16 मार्च को करने की बात कही। एनआईए ने बम ब्लास्ट मामले में करीब 14 लोगों के खिलाफ चार्जशीट पेश की गई थी। इनमें से सुनील जोशी की मौत हो गई थी। वहीं तीन आरोपी अभी भी फरार हैं।
चार्जशीट के अनुसार 11 अक्टूबर 2007 को रमजान के माह में शाम 6:15 बजे रोजा इफ्तार के समय दरगाह परिसर में एक शक्तिशाली बम विस्फोट हुआ जिसमें तीन लोगों की मौत हो गई थी तथा 15 लोग घायल हो गए थे। पुलिस को घटनास्थल से एक बैग मिला था जिसमें जिंदा बम था जिसे पुलिस ने निष्क्रिय किया था। यहीं से दो सिम कार्ड भी मिले थे। इनमें से एक झारखंड और दूसरा पश्चिमी बंगाल से लाया गया था। दोनों सिम काड्र्स को टाइमर डिवाइस के तौर पर इस्तेमाल किया गया था। बम विस्फोट का उद्देश्य रमजान माह में सांप्रदायिक सौहार्द्र बिगाडऩे के लिए किया गया था।
राजस्थान एटीएस ने 20 अक्टूबर 2010 को अजमेर में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष तीन आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट पेश की थी। बाद में एक अप्रेल 2011 को एनआईए ने एटीएस से यह केस ले लिया था। जांच में यह भी सामने आ था कि साल 2002 में अमरनाथ यात्रा और जम्मू में रघुनाथ मंदिर पर किए गए हमलों के जवाब में दरगाह में विस्फोट किए गए थे। उल्लेखनीय है कि बम विस्फोट में हैदराबाद निवासी सैयद सलीम, मो.शोएब की मोके पर ही मौत हो गई थी, वहीं डॉ. बद्रीउल हसन की जयपुर में इलाज के दौरान मौत हो गई थी।
सीबीआई ने एनआईए पर लगा आरोप
इस मामले में कुल 184 लोगों के बयान दर्ज किए गए थे जिसमें 26 महत्वपूर्ण गवाह अपने बयानों से मुकर गए थे। मुकरने वाले गवाहों में झारखंड के मंत्री रणधीर सिंह भी शामिल थे। मामले की जांच के बाद कुछ लोगों को गिरफ्तार किया गया था, जिनमें कुछ आरोपियों ने मजिस्ट्रेट के सामने बम ब्लास्ट के आरोप कबूल भी किए थे। बाद में सभी आरोपियों और गवाहों ने सीबीआई और एनआईए पर डरा-धमकाकर बयान दर्ज करवाने का आरोप लगाया। इस मामले में यह विशेष बात है कि चार्जशीट में संघ के वरिष्ठ प्रचारक इन्द्रेश कुमार का नाम भी सामने आया था। चार्जशीट के अनुसार इन्द्रेश कुमार जयपुर के गुजराती भवन में बैठकर ब्लास्ट की प्लानिंग कर रहे थे। वहीं एनआईए ने इन्द्रेश कुमार को आरोपी नहीं बनाया था।
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