स्कूलों में रामायण, महाभारत पढ़ाई जाए : शशि थरूर
पूर्व केन्द्रीय मंत्री शशि थरूर ने एक सत्र में कहा कि स्कूलों में रामायण और महाभारत पढ़ाई जानी चाहिए। दोनों ही हमारी सभ्यता से जुड़ी हुई है।
जयपुर, जागरण संवाद केन्द्र। साहित्य के महाकुंभ 'जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल' के चौथे दिन रविवार की शुरूआत कबीर वाणी से हुई और उसके बाद हुए अलग-अलग सत्रों में रामायण, महाभारत, गांधी, वेद और हवन जैसे मुद्दों पर चर्चा छिड़ गई। पूर्व केन्द्रीय मंत्री शशि थरूर ने एक सत्र में कहा कि स्कूलों में रामायण और महाभारत पढ़ाई जानी चाहिए। दोनों ही हमारी सभ्यता से जुड़ी हुई है, इनसे मिलने वाले ज्ञान का कोई मुकाबला नहीं हो सकता। यह एक विषय के रूप में होना चाहिए स्कूलों में।
सत्र 'रिमेम्बरिंग द राज' में माइकल डायर के साथ चर्चा करते हुए थरूर ने महाभारत और रामायण काल की जानकारी छात्र एवं युवा वर्ग तक पहुंचाने के लिए योजना की जरूरत भी बताई। राष्टï्रपिता महात्मा गांधी से जुड़े एक सवाल के जवाब में थरूर ने कहा कि गांधी को लेकर भाजपा केवल बातें करती है, लेकिन उन्होंने गांधी के सिद्धांतों का कभी पालन नहीं किया। भाजपाईयों के गांधी कभी आदर्श नहीं हो सकते।
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थरूर ने कहा भाजपा के लोग नाथू राम गोडसे की प्रतिमा लगाने की बात करते है, जबकि यह सर्वविदित है कि गांधी जी कि हत्या गोडसे ने की थी। इधर जेएलएफ के दौरान 'आर्डोर : ऑन द वेदस' सत्र में ग्रीक और भारतीय मैथोलॉली की किसी एक ही घटना के दो विपरीत वर्णन के बारे में चर्चा हुई। रॉबटो कैलसू और देवदत्त पटनायक ने यहां प्रजापति की घटना का जिक्र करते हुए बताया कि वह अपनी बेटी उषा के साथ था। रूद्र ने कुपित होकर बाण चलाया, जिससे प्रजापति के घाव हो गया।भारतीय अध्यात्म के अनुसार, इससे सृष्टिï में दर्द और कष्टï की उत्पत्ति हुई। जबकि ग्रीक में जो शिकार हुआ वहीं शिकारी है। यानी वहां प्रजापति शिकारी है। साहित्यकारों ने चर्चा में कहा कि 'अग्नि में हवन करना ही यज्ञ नहीं है। ये बहुत विस्तृत है। वेद ज्ञान है और ज्ञान वेद है। ब्राह्मïणान् संग्रह है सारे मंत्रों और सूत्रों का। हवन से शांति मिलती है।'