राजस्थान के शिक्षा विभाग ने सरकारी स्कूलों में एक अजीब आदेश जारी किया है
इन दान पात्रों पर 'शिक्षा का दान,सरस्वती का सम्मान ' नारा लिखा हुआ होगा।
जयपुर, जागरण संवाददाता। राजस्थान के शिक्षा विभाग ने एक अजीब आदेश जारी किया है। इस आदेश में कहा गया है कि स्कूलों में भी मंदिरों की तरह 'दान पात्र ' रखे जाएंगे। दान पात्र में मिलने वाली राशि का उपयोग स्कूलों के विकास पर किया जाएगा। आदेशानुसार प्रत्येक सरकारी स्कूल के प्रधानाध्यापक को नया शिक्षा सत्र प्रारम्भ होते ही दान पात्र रखवाने होंगे। इन दान पात्रों पर 'शिक्षा का दान,सरस्वती का सम्मान ' नारा लिखा हुआ होगा।
स्कूल में आने वाले भामाशाह और विघार्थियों के परिजन इस दान पात्र में यदि कोई राशि डालेंगे तो इसका उपयोग स्कूलों के विकास पर खर्च होगा। इन दान पात्रों को माह में एक बार अनिवार्य रूप से खोला जाएगा। शिक्षामंत्री वासुदेव देवनानी का कहना है कि यह आदेश भामाशाह योजना के तहत जारी किया गया है,क्योंकि राज्य सरकार हर वर्ष विकास कायरें के लिए दान देने वाले दान दाताओं का सम्मान करती है।
लेकिन इसमें विशेष बात यह है कि दान दाता द्वारा दी जाने वाली राशि केवल खास स्कूल के लिए ही दी जाती है,ऐसे कई जरूरतमंद स्कूलों में विकास कार्य नहीं हो पाते,इसलिए यह दान पात्र रखवाए गए है। हालांकि सरकार तो अपने वित्तीय संसाधनों के अनुसार विकास कायरें में पैसा खर्च करती ही है।