200 न्यायाधीशों ने परिवार टूटने से बचाने को लेकर किया मंथन
परिवारों की खुशियां कायम करने को लेकर देश के 200 न्यायाधीशों ने जयपुर में शनिवार को मंथन किया।
जयपुर, जागरण संवाद केंद्र। पति-पत्नी में बढ़ती दरार और उससे भावी पीढ़ी पर होने वाले असर को ध्यान में रखते हुए परिवारों की खुशियां कायम करने को लेकर देश के 200 न्यायाधीशों ने जयपुर में शनिवार को मंथन किया। जयपुर में आयोजित पारिवारिक न्यायालयों के न्यायाधीशों की पहली कांफ्रेंस में पारिवारिक विवादों में कमी लाने और विवादों का निपटारा आपसी सहमति से कराने को लेकर चर्चा हुई।
कांफ्रेंस में राजस्थान, गुजरात, हरियाणा, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, उत्तराखण्ड़ और झारखंड के 43 हाईकोर्ट न्यायाधीश एवं देश के विभिन्न पारिवारिक न्यायालयों के 175 न्यायाधीशों ने पांच सत्रों में अपने विचार व्यक्त किए।
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश दीपक मिश्रा एवं राजस्थान उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश नवीन सिन्हा ने कोर्ट में काउंसलर्स एवं मध्यस्थ के प्रशिक्षित होने पर जोर देते हुए कहा कि इन पर परिवारों को जोडऩे की अधिक जिम्मेदारी होती है।
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के न्यायाधीश राजेन्द्र मेनन ने कहा कि पारिवारिक न्यायालय के जज को समझना चाहिए कि उसके निर्णय का क्या असर होगा। पहले समझौते पर जोर दिया जाना चाहिए।
पंजाब हाईकोर्ट की न्यायाधीश जया चौधरी ने कहा कि तलाक का गहरा प्रभाव होता है,यह प्रभाव पति-पत्नी के अतिरिक्त बच्चों पर अधिक होता है। निर्णय करते समय बच्चों की कस्टडी पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए।
मुंबई हाईकोर्ट की न्यायाधीश जया ने कहा कि पारिवारिक न्यायालय के सामने आने वाले मुकदमे अन्य मामलों से अलग होते है, इसलिए इन्हें गंभीरता से देखना चाहिए।