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सरहद की चौकियों पर नाच रहे मोर

थार के रेगिस्तान में देश की सीमा की सुरक्षा कर रहे सीमा सुरक्षा बल के जवानों ने मरुस्थल में जहां कई किलोमीटर तक पानी का प्रबंध नहीं होता, वहां राष्ट्रीय पक्षी मोर को नवजीवन दिया है। सीमा चौकियों पर मोरों को पाला जा रहा है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Mon, 30 May 2016 03:58 AM (IST)Updated: Mon, 30 May 2016 04:04 AM (IST)
सरहद की चौकियों पर नाच रहे मोर

जयपुर, जागरण संवाद केंद्र। थार के रेगिस्तान में देश की सीमा की सुरक्षा कर रहे सीमा सुरक्षा बल के जवानों ने मरुस्थल में जहां कई किलोमीटर तक पानी का प्रबंध नहीं होता, वहां राष्ट्रीय पक्षी मोर को नवजीवन दिया है। पानी और छाया का प्रबंध कर सीमा चौकियों पर मोरों को पाला जा रहा है। रेगिस्तान के धोरों पर सीमा सुरक्षा बल के प्रयासों से अब मोरों का कलरव सुनाई देती है।

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करीब 200 मोर विभिन्न चौकियों पर है। सीमा सुरक्षा बल के जवानों ने मुनाबाव, तामलोर, गडरारोड, मिठडाऊ, देवा, बीकेडी, केलनोर, स्वरूपे का तला, हुर्रो का तला पोस्ट पर मोरों के लिए अतिरिक्त व्यवस्था की हुई है। इनके लिए चुग्गे, छाया और पानी का प्रबंध किया हुआ है। इस कारण मोर इन चौकियों में बहुतायत में पाए जा रहे हैं।

मोरों को पालने वाले इन जवानों ने मोरों को भी मानों ट्रेनिंग दे दी है। पालने वाले जवान विशेष आवाज में बोलते हैं तो पारिवारिक सदस्य की तरह मोर चले आते हैं। इन मोरों को हाथ से भी दाना दे रहे हैं और वे बिना किसी भय के इसे चुग लेते हैं। रेगिस्तान में जहां दूर-दूर तक जवानों के लिए पक्षियों की चहचहाट सुनना मुश्किल हो रहा था, वहां ये मोर उनके आस-पास पहुंचकर पंख फैलाकर नाचते हैं तो सीमा सुरक्षा बल के अधिकारी और जवानों की खुशी का ठिकाना नहीं रहता।

बीएसएफ के महानिरीक्षक प्रतुल गौतम ने बताया कि जवानों की ओर से पक्षियों के प्रति अच्छे व्यवहार को अपनाया जा रहा है। लगभग हर चौकी पर मोर और चिडिय़ाएं हैं। यह पहल संदेश देती हैं कि हम इनका संरक्षण करना चाहें तो हो सकता है। मोर तो हमारे परिवार की तरह रहते हैं।


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