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चुनाव के लिए अनिवार्य किया, तो बने दस लाख शौचालय

राजस्थान में पंचायत चुनाव लडऩे के लिए घर में शौचालय बनाने की अनिवार्यता लागू की गई, तो दस लाख शौचालय बन गए और शैक्षणिक अनिवार्यता लागू की तो 35 वर्ष तक [यानि युवा] के 68 फीसद पंच-सरपंच चुनकर आ गए। पिछले चुनाव में यह प्रतिशत सिर्फ 39 था। यह खुलासा शुक्रवार

By Rajesh NiranjanEdited By: Published: Sat, 28 Mar 2015 05:39 AM (IST)Updated: Sat, 28 Mar 2015 05:45 AM (IST)
चुनाव के लिए अनिवार्य किया, तो बने दस लाख शौचालय

जयपुर। राजस्थान में पंचायत चुनाव लडऩे के लिए घर में शौचालय बनाने की अनिवार्यता लागू की गई, तो दस लाख शौचालय बन गए और शैक्षणिक अनिवार्यता लागू की तो 35 वर्ष तक [यानि युवा] के 68 फीसद पंच-सरपंच चुनकर आ गए। पिछले चुनाव में यह प्रतिशत सिर्फ 39 था।

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यह खुलासा शुक्रवार को हुआ, जब राजस्थान विधानसभा ने इस संबंध में बने कानून को पारित कर दिया। दरअसल, राजस्थान में पंचायतराज चुनाव लडऩे के लिए शैक्षणिक योग्यता और शौचालय की अनिवार्यता लागू की गई थी। इसके लिए अध्यादेश जारी किया गया था। तब इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई, लेकिन चुनाव प्रक्रिया जारी होने से कोर्ट ने रोक लगाने से इंकार कर दिया था। अब इसे विधेयक के रूप में विधानसभा में पेश किया गया और विधानसभा ने इसे पारित भी कर दिया।

दोनों विधेयक के विरोध का जवाब देते हुए गृहमंत्री गुलाब चंद कटारिया ने कहा कि दोनों अनिवार्यताएं समय की जरूरत है। उन्होंने इस तर्क को भी गलत बताया कि शैक्षणिक योग्यता का नियम सांसद व विधायक के लिए लागू नहीं है, तो पंचायतों के लिए क्यों हो। उन्होंने कहा कि सरपंच और प्रधान को कई कागजों पर हस्ताक्षर करने होते हैं। चेक साइन करने पड़ते हैं। यह सब काम विधायक को नहीं करना पड़ता। नए नियम से पंचायतों से वंशवाद खत्म हुआ है और भ्रष्टाचार भी खत्म होगा।

ऊंट मारने पर अब सजा

अब राजस्थान में ऊंटों को मारने और उनके निर्यात भी कानूनी रूप से रोक लग गई है। विधानसभा ने इसके लिए कानून पारित कर दिया है। ऊंट का किसी भी रूप में वध करने पर बीस हजार रुपये तक जुर्माना और एक से पांच वर्ष तक की सजा हो सकेगी। ऊंट का मांस या इससे बने उत्पादों को बेचने पर भी प्रतिबंध रहेगा। ऐसा करने पर छह से तीन वषर्ष तक की सजा और पांच हजार रुपये तक जुर्माना हो सकेगा।


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