राजकीय सम्मान के साथ शहीद सुभाषचंद्र का अंतिम संस्कार
सिक्किम में युद्धाभ्यास के दौरान शहीद हुए सुभाषचंद्र सुंडा का कूदन गांव में राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया। पत्नी ने तिरंगे को सीने से लगाए रखा। शहीद सुभाष चंद्र सुंडा के चार साल बेटे आर्यन ने मुखाग्नि दी।
जयपुर, जागरण संवाद केंद्र। सिक्किम में 14 हजार फीट की ऊंचाई पर बर्फबारी और तूफान के बीच युद्धाभ्यास के दौरान शहीद हुए सुभाषचंद्र सुंडा का पार्थिव शरीर रविवार को उनके गांव पहुंचा। राजस्थान के सीकर जिले के कूदन गांव में राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया। उनकी अंतिम यात्रा में आधा दर्जन गांवों के लोग शामिल हुए। शहीद को अंतिम विदाई देने उनकी पत्नी गीता देवी भी मोक्ष धाम पहुंची। सुभाष की रेजीमेंट के देवकरणसिंह बिजारणियां एवं बाजौर ने शहीद की पत्नी को तिरंगा सौंपा। जैसे ही पत्नी को शहीद की निशानी मिली तो उन्होंने इस अमूल्य सम्मान को माथे से लगा लिया। फिर अंतिम संस्कार होने तक पत्नी ने तिरंगे को सीने से लगाए रखा। शहीद सुभाष चंद्र सुंडा के चार साल बेटे आर्यन ने मुखाग्नि दी।
शहीद के बड़े भाई बजरंगलाल ने बताया कि युद्धाभ्यास पूरा होने के बाद सुभाष पांच जून को छुट्टी लेकर घर आने वाले थे। अब यादें ही रह गई हैं।
सुभाष के साथी अशोक और अरविन्द ने बताया कि वे कभी हिम्मत नहीं हारने वाले जवान थे। उन्होंने बताया कि भारी बर्फबारी में तबीयत खराब होने पर सुभाष खुद अस्पताल तक नीचे आए थे।
शहीद सुभाषचंद्र सुंडा 25 मई को सिक्किम में युद्धाभ्यास के दौरान सिर दर्द होने की शिकायत हुई थी। इलाज के दौरान छह मई को सुबह 2.15 बजे वीरगति को प्राप्त हुए थे।