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...तो राजस्‍थान के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की हार और भाजपा की जीत के ये रहें प्रमुख कारण

राजस्‍थान के लोकसभा चुनाव परिणाम सीएम अशोक गहलोत के लिए बड़ा झटका है। सभी 25 सीटों पर तो कांग्रेस की हार हुई ही बेटे वैभव गहलोत की पराजय गहलोत के लिए बड़ा सियासी झटका है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Fri, 24 May 2019 01:53 PM (IST)Updated: Sat, 25 May 2019 05:47 AM (IST)
...तो राजस्‍थान के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की हार और भाजपा की जीत के ये रहें प्रमुख कारण
...तो राजस्‍थान के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की हार और भाजपा की जीत के ये रहें प्रमुख कारण

जयपुर, नरेन्द्र शर्मा। राजस्‍थान के लोकसभा चुनाव परिणाम सीएम अशोक गहलोत के लिए बड़ा झटका है। सभी 25 सीटों पर तो कांग्रेस की हार हुई ही बेटे वैभव गहलोत की पराजय गहलोत के लिए बड़ा सियासी झटका है। यह तय है कि राजनीतिक रूप से वे कमजोर हो गए। लेकिन उनके पास एक तर्क है कि पूरे देश में ही कांग्रेस का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है। यहां तक अमेठी में खुद राहुल गांधी चुनाव हार गए।

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विधानसभा चुनाव में जीत के बाद से ही गहलोत और उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच चल रहा सियासी संघर्ष अब और अधिक बढ़ सकता है। मतदाताओं का जनादेश वाकई हैरानी भरा है। करीब पांच माह पूर्व विधानसभा चुनाव में लोगों ने कांग्रेस को सत्ता तक पहुंचाया था। लेकिन पांच माह में ही स्थिति बदल गई । 25 लोकसभा सीटों में अपने चमकदार प्रदर्शन के बाद भाजपा का हौसला बढ़ा है,जबकि कांग्रेस पार्टी सकते की सी हालत में है।

विधानसभा चुनाव के दौरान एक नारा काफी चर्चित हुआ था-"मोदी से बैर नहीं, वसुंधरा तेरी खैर नहीं "। इस नारे में ही भाजपा के लोकसभा चुनाव के प्रदर्शन का सार छिपा हुआ है। उस समय मतदाताओं की नाराजगी केंद्र की मोदी सरकार से नहीं, बल्कि राज्‍य की वसुंधरा राजे सरकार को लेकर थी ।

मतदाताओं का मानना था कि वसुंधरा राजे कुछ खास लोगों तक ही सीमित किए है और इस कारण आम लोगों की बात उन तक नहीं पहुंच पाती है। ऐसे में उन्‍होंने वसुंधरा को तो बाहर का रास्‍ता दिखा दिया, लेकिन जब लोकसभा चुनाव की बारी आई तो नरेंद्र मोदी को खुलकर समर्थन दिया।

कांग्रेस की हार और भाजपा की जीत के प्रमुख कारण-

1. पीएम नरेंद्र मोदी का नाम

भाजपा ने पीएम नरेंद्र मोदी के नाम पर चुनाव लड़ा। चुनाव में भाजपा की जीत की एकमात्र वजह पीएम नरेंद्र मोदी माने जा रहे है। यहां के लोगों ने तय करके मोदी को वोट दिया। भाजपा प्रत्याशी तो केवल नाम के थे। वहीं कांग्रेस के पास ऐसा कोई चेहरा नहीं था,जिसके नाम पर लोग वोट दे सके। कांग्रेस का चुनाव प्रबंधन भी काफी लचर रहा,जबकि भाजपा का चुनाव प्रबंधन काफी मजबूत था।

2. अलवर सामूहिक दुष्कर्म मामला कांग्रेस को भारी पड़ा

लोकसभा चुनाव के दौरान ही अलवर में दलित महिला के साथ सामूहिक दुष्कर्म मामले ने हर किसी का ध्‍यान अपनी ओर खींचा। इस मामले में गहलोत सरकार को तीखी आलोचना का शिकार होना पड़ा। आरोप यहां तक लगे कि चुनाव के दौरान में यह मामला उछल न पाए, इसलिए कुछ दिन तक एफआईआर भी दर्ज नहीं की गई। भाजपा ने इस मुद्दे को खूब उछाला। इस मामले ने भी कांग्रेस को काफी नुकसान पहुंचाया।

3.गहलोत और पायलट की आपसी खींचतान

राज्‍य में कांग्रेस के सत्‍ता में आने के बाद सीएम पद के लिए अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच काफी रस्‍साकशी देखने को मिली थी। लंबे विवाद के बाद आलाकमान ने गहलोत के पक्ष में निर्णय दिया था। पायलट को उपमुख्यमंत्री बनकर ही संतोष करना पड़ा था। इस निर्णय के बाद पायलट के समर्थकों में निराशा थी। उन्‍होंने फैसले को भारी मन से स्‍वीकार किया था।गहलोत और पायलट के खेमों में पांच माह से खींचतान चल रही थी। दोनों खेमों की आपसी खींचतान भी कांग्रेस के लिए भारी पड़ी। राज्‍य में लोकसभा चुनाव गहलोत के सीएम रहते लड़े गए, ऐसे में खराब प्रदर्शन का ठीकरा भी उनके सिर ही फूटेगा।

4. जातिगत समीकरण

प्रदेश की सियासत जाति समीकरण के मामले में काफी उलझी हुई है। कहा जाता है कि जिस पार्टी ने जाति समीकरण को अच्‍छी तरह से साध लिया, सत्‍ता उसी के पक्ष में आती है। कांग्रेस की तुलना में भाजपा ने जाट,मीणा और गुर्जर समुदाय को बेहतर तरीके से साधा। हनुमान बेनीवाल,किरोड़ी लाल मीणा और किरोड़ी सिंह बैंसला का साथ आना भाजपा के लिए फायदेमंद रहा। वहीं कांग्रेस टिकट तय करने से लेकर चुनाव अभियान तक जातिगत समीकरण नहीं साध सकी।  

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