राजस्थान के गांव-गांव में खुल रही हैं शराब की दुकानें
राजस्थान में शराब कारोबार के लिए लाइसेंस तो 7,660 दुकानों के लिए प्रतिवर्ष दिए जा रहे है, लेकिन अवैध शराब दुकानें 10 हजार से भी ज्यादा चल रही है। हालात यह है कि तहसील में लाइसेंस शुदा दुकान एक-दो स्वीकृत हैं।
जयपुर, जागरण संवाद केंद्र। राजस्थान में शराब कारोबार के लिए लाइसेंस तो 7,660 दुकानों के लिए प्रतिवर्ष दिए जा रहे है, लेकिन अवैध शराब दुकानें 10 हजार से भी ज्यादा चल रही है। हालात यह है कि तहसील में लाइसेंस शुदा दुकान एक-दो स्वीकृत हैं, लेकिन ठेकेदार अवैध रूप से गांव-गांव शराब की दुकान चला रहे है। ये दुकानें ब्रांच के नाम से प्रसिद्ध है। आबकारी विभा के अधिकारियों की मिलीभगत से चल रही इन दुकानों पर अवैध शराब भी बिक रही है।
सूत्र बताते है कि हाल ही अलवर में हुई दुखांतिका के पीछे भी ऐसी ही एक ब्रांच पर शराब में मिलावट करने की बातें जांच में सामने आ रही है। शराब बिक्री के लिए ब्रांच मुख्य रूप से देशी शराब के लिए खोली जा रही है। अंग्रेजी शराब दुकान शहरों में हैं और इनके शौकीन भी मुख्य रूप से शहरों में ही है। देशी शराब के शौकीन गांवों में होते है। हर देशी शराब दुकान की आड़ में दो-तीन ब्रांच चलाई जा रही है। राज्य में 6660 देशी शराब दुकानों के लाइसेंस हैं। जबकि दुकानों की ब्रांचों की संख्या 10 हजार से भी ज्यादा है।
राज्य में शराब दुकानों की संख्या में पूर्व कांग्रेस सरकार ने कमी की थी। इसको लेकर तत्कालीन राज्य सरकार ने खूब वाहवाही लूटी, लेकिन वास्तविकता में इनकी संख्या में और बढ़ोतरी हो गई। इन दुकानों (ब्रांचों) पर जांच की व्यवस्था भी नहीं होने से अवैध शराब भी बिक रही है। एक लाइसेंसी दुकान के क्षेत्राधिकार में गांव दर्जनभर से ज्यादा है। ठेकेदार अपने इलाके के गांव में पड़ोसी शराब ठेकेदार की बिक्री नहीं हो, इसके लिए दो-तीन गांवों के बीच एक ब्रांच खोलकर शराब की बिक्री करता है।
आदेश फाइलों में बंद
ब्रांचों को लेकर आबकारी आयुक्त ओ.पी. यादव ने पिछले माह ही एक आदेश जारी कर कहा था कि बांसवाड़ा, अलवर और अजमेर जिलों में कार्रवाई के दौरान ब्रांचों के रूप में दुकानें चलने की जानकारी सामने आई है। इसलिए इन जिलों सहित राज्यभर में ब्रांचों को बंद करने के लिए अभियान चलाया जाए। इन दुकानों पर दूसरे प्रदेशों की भी अवैध शराब बिक रही है। यह आदेश फाइलों में ही नजर आ रहा है।