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स्वामी असीमानंद के बरी होने के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी जाएगी

मुख्य आरोपी स्वामी असीमानंद के बरी होने के फैसले को चुनौती देने के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने की तैयारी।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Thu, 23 Mar 2017 03:23 AM (IST)Updated: Thu, 23 Mar 2017 03:34 AM (IST)
स्वामी असीमानंद के बरी होने के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी जाएगी
स्वामी असीमानंद के बरी होने के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी जाएगी

जयपुर, जागरण संवाद केन्द्र। करीब 10 वर्ष पुराने अजमेर दरगाह बम ब्लास्ट मामले में एनआईए की विशेष अदालत के फैसले को लेकर परिवादी खादिम सैयद सरवर चिश्ती नाखुश हैं। वे इस मामले में बनाए गए मुख्य आरोपी स्वामी असीमानंद के बरी होने के फैसले को चुनौती देने के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने की तैयारी कर रहे हैं। एनआईए की विशेष अदालत ने 8 मार्च, 2017 को असीमानंद को बरी कर दिया था।

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 अंजुमन सैयद जादगान के पूर्व सचिव एवं खादिम सैयद सरवर चिश्ती ने फैसले के बाद अजमेर दरगाह स्थित बड़ी देग में पत्रकारों से कहा कि उन्होंने वर्ष 2007 में दरगाह में हुए बम ब्लास्ट मामले की रिपोर्ट दर्ज करवाई थी। उन्होंने कहा कि फैसले से सभी खादिम समुदाय और मुस्लिम वर्ग व्यथित है। इस मामले में स्वामी असीमानंद सहित मुख्य आरोपियों को बरी कर दिया है, जबकि वर्ष 2011 तक उनके खिलाफ सभी सबूत सामने आए थे। चिश्ती ने कहा कि सत्ता बदलते ही एनआईए की जांच की दिशा भी बदल गई।

 उन्होंने कहा कि असीमानंद का नाम अजमेर ब्लास्ट, मालेगांव ब्लास्ट और समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट में भी आ चुका है। उन्होंने कहा कि जब याकूब मेनन को आतंकवादी होने के कारण फांसी की सजा दी जा सकती है, तो फिर जिन दो आरोपियों को दोषी करार दिया गया उन्हें आजीवन कारावास की सजा से ही क्यों दंडित किया गया। चिश्ती ने कहा कि उक्त मामले में अंजुमन हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाएगी।

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इस मामले में उम्र कैद की सजा सुनने के बाद देवेन्द्र गुप्ता के बुजुर्ग पिता सत्य प्रकाश गुप्ता बुरी तरह रोने लगे। पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि उनका बेटा निर्दोष है। उनके बेटे का धमाकों से कोई लेना-देना नहीं है। घटना को याद करते हुए देवेन्द्र के पिता ने कहा कि मेरी पत्नी को कैंसर हुआ था तब सिर्फ एक बार देवेन्द्र बीमार मां से मिलने आया था। उन्होंने बताया देवेन्द्र कम उम्र में ही स्वयं सेवक संघ का सदस्य बन गया था। उसने 1999 में इंदौर में संघ के संगठन सेवा भारती में अपना कार्य शुरू किया। 2001 में उसका संपर्क संघ के प्रचारक सुनील जोशी से हुआ जिसने उसे इंदौर में ही तहसील प्रचारक बना दिया। इसके बाद संघ के जिला प्रचारक के रूप में देवेन्द्र झारखंड के जामताड़ा इलाके की जिम्मेदारी मिली थी।

 धमाके के दूसरे दोषी भवेश पटेल के भाई का कहना है कि वह गुजरात में हाथीखाना बाजार भरुच का रहने वाला है। वो संघ के सदस्य के रूप में सुनील जोशी के संपर्क में आया था। सभी उसे सुनील जोशी के सेवक के तौर पर जानते थे। उसने बताया कि भवेश ने कोई बम नहीं रखा और उसे तो साजिश की जानकारी भी नहीं होगी। भवेश पटेल ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि वो निर्दोष है और उसे फंसाया गया है।

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