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कोर्ट की सख्ती के बाद राज्यपाल ने देर रात ओबीसी आयोग के अध्यादेश पर लगाई मुहर

राजस्थान हाईकोर्ट द्वारा अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग (ओबीसी) भंग किए जाने के मामले में राज्य सरकार अब अध्यादेश लाई है। राज्यपाल कल्याण सिंह ने इस पर मुहर लगा दी।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sun, 23 Oct 2016 06:09 AM (IST)Updated: Sun, 23 Oct 2016 06:19 AM (IST)
कोर्ट की सख्ती के बाद राज्यपाल ने देर रात ओबीसी आयोग के अध्यादेश पर लगाई मुहर

जयपुर, जागरण संवाद केन्द्र। राजस्थान हाईकोर्ट द्वारा अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग (ओबीसी) भंग किए जाने के मामले में राज्य सरकार अब अध्यादेश लाई है। शुक्रवार देर रात राज्यपाल कल्याण सिंह ने इस पर मुहर लगा दी। भरतपुर-धौलपुर के जाट समाज की बड़ी नाराजगी के बाद सरकार ने तत्काल ये कदम उठाया है। इसकी पुष्टि बीसूका के उपाध्यक्ष डॉ. दिगंबर सिंह एवं सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डॉ. अरुण चतुर्वेदी ने की है।

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पिछले वर्ष हाईकोर्ट में काफी लंबे समय से लंबित जाट आरक्षण को चुनौती देने वाली रिट याचिका में सरकार ने पैरवी की। जिससे जाट आरक्षण से संबंधित प्रावधान को हाईकोर्ट ने भरतपुर, धौलपुर के जाटों को छोड़कर बहाल रखा और राज्य पिछड़ा वर्ग को गठित करने के आदेश दिए गए, जिससे राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग 13 जुलाई, 2015 को गठित किया गया था।

उल्लेखनीय है कि अब अध्यादेश मंजूरी के बाद अयोग पहले की तरह काम करता रहेगा। राजस्थान में जाट आंदोलन के दौरान सरकार की ओर से पक्षकार रहे बीस सूत्री कार्यक्रम क्रियान्वयन समिति के अध्यक्ष डॉ. दिगंबर सिंह ने कहा कि राज्य ओबीसी आयोग के गठन संबंधित अधिनियम बनाए जाने की संवैधानिक बाध्यता नहीं है। इसके बावजूद सरकार ने हाईकोर्ट के सुझाव पर विचार करते हुए इससे संबंधित अधिनियम को मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट से पारित कर 1 सितंबर को ये बिल विधानसभा को भेजा जा चुका है। अब किसी के साथ अन्याय नहीं होगा।

उल्लेखनीय है कि कोर्ट ने 10 अगस्त को समता आंदोलन ने कोर्ट में रिट लगाई थी कि ओबीसी कमीशन को वैधानिक रूप से गठित किया जाए, ताकि असल पिछड़ों की ईमानदारी से पहचान हो सके और जरूरतमंदों को ही आरक्षण का फायदा हो। इस पर कोर्ट ने चार माह में स्थाई ओबीसी आयोग गठित करने का फैसला सुनाया और मौजूदा आयोग को भंग कर दिया।

कोर्ट के आदेश के बावजूद सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग ने स्थाई कमीशन का गठन नहीं किया, बल्कि एग्जीक्यूटिव आदेश के जरिए अस्थाई आयोग बना दिया। लंबे समय से बने इस कमीशन ने अभी तक अपनी रिपोर्ट भी पेश नहीं की है। तय समय पर रिपोर्ट नहीं आने का जिम्मेदार भी ओबीसी आयोग ही माना जा रहा है।

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