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राजस्थान सरकार को झटका, कोर्ट ने कहा-राजमहल को जैसा था वैसा लौटाओ

सरकार को कोर्ट ने झटका दिया। जयपुर एडीजे कोर्ट ने राजमहल पैलेस के सभी गेटों के सील खोलने ओर तोड़े गए ढांचों को एक महीने के अंदर वापस बनाकर लौटाने के आदेश दिए है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Wed, 07 Sep 2016 05:22 AM (IST)Updated: Wed, 07 Sep 2016 05:35 AM (IST)
राजस्थान सरकार को झटका, कोर्ट ने कहा-राजमहल को जैसा था वैसा लौटाओ

जयपुर, जागरण संवाद केंद्र। जयपुर राजपरिवार की सम्पत्ति राजमहल पैलेस की जमीन पर कब्जा करने और गेट सील करने के मामले में राजस्थान सरकार को कोर्ट ने झटका दिया है। कोर्ट ने जयपुर विकास प्राधिकरण की कार्रवाई पर नाराजगी जताई है। जयपुर एडीजे कोर्ट ने राजमहल पैलेस के सभी गेटों के सील खोलने ओर तोड़े गए ढांचों को एक महीने के अंदर वापस बनाकर लौटाने के आदेश दिए है।

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कोर्ट ने मंगलवार को सुनवाई के दौरान सरकार से पूछा कि जब राजमहल मामले में कोर्ट की डिक्री राजघराने के पक्ष में थी, तो सरकार कब्जा लेने इतनी जल्दी में क्यों थी? इससे पहले केन्द्रीय नेतृत्व के हस्तक्षेप के बाद राजमहल के मुख्य द्वार खोलने पड़े थे। हालांकि पार्टी नेतृत्व ने यह माना कि सीएम वसुंधरा राजे की भूटान यात्रा के दौरान पीछे से जेडीए ने यह कार्रवाई की। इस मामले को लेकर दो दिन तक जयपुर में रहे भाजपा के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री सौदान सिंह ने सीएम राजे के शासन में हुए विकास कार्यों की तो तारीफ की, लेकिन सरकारी अधिकारियों के रवैये पर नाराजगी जताई।

राजघराने के वकील रमेश चन्द्र अग्रवाल ने बताया कि कोर्ट ने कहा है कि 24 अगस्त की सुबह से पहले की स्थिति में पूरी जगह को लाई जाए। जेडीए की कार्रवाई गलत थी। राजघराने के सदस्य नरेन्द्र सिंह ने कहा कि हमें कोर्ट पर पूरा भरोसा था।

उल्लेखनीय है कि 24 अगस्त की सुबह 6 बजे बड़ी संख्या में पुलिसबल के साथ जयपुर विकास प्राधिकरण के अधिकारियों ने राजमहल के गेट सील करने के बाद तोड़ फोड़ करना शुरू किया था।

इस घटना से सियासी महकमे में भी हलचल मच गई कि अचानक ऐसा क्या हो गया जो जयपुर राजघराने पर इस तरह की कार्रवाई की गई।

जयपुर के पूर्व राजघराने की राजकुमारी और बीजेपी की विधायक दीया सिंह कागजों का पुलिंदा लेकर तोडफ़ोड़ कर रहे अधिकारियों के पास भी पहुंची थी लेकिन उनकी एक नहीं सुनी गई। इस पूरे प्रकरण में जेडीए कमिश्नर शिखर अग्रवाल को जिम्मेदार माना गया। राजपूत समाज ने भी राजमाता पद्मिनी देवी के साथ जयपुर में प्रदर्शन किया था।


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