वसुंधरा राजे के लिए सिरदर्द बने भाजपा के विधायक और नेता
इनकी बयानबाजी से सत्ता और संगठन की आम जनता में नकारा छवि जा रही है।
जयपुर,[ नरेन्द्र शर्मा]। राजस्थान भाजपा के चार विधायक और आधा दर्जन पार्टी नेता मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के लिए सिरदर्द बन गए है। अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए इन विधायक और नेताओं की वसुंधरा राजे से अदावत पार्टी के लिए मुश्किल पैदा करती जा रही है। वैसे तो इन विधायक और नेताओं का अपना कोई जनाधार नहीं है।
ये सभी पिछला विधानसभा चुनाव मोदी लहर और वसुंधरा राजे की चुनावी रणनीति के बल पर जीते थे ,लेकिन इनकी बयानबाजी से सत्ता और संगठन की आम जनता में नकारा छवि जा रही है। खुद मुख्यमंत्री और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अशोक परनामी इस बात से परेशान है कि इन विधायक और नेताओं को कई बार समझाने का प्रयास किया,लेकिन वे नहीं मानने को तैयार नहीं है। इनमें से एक वरिष्ठ विधायक और पूर्व मंत्री घनश्याम तिवाड़ी के खिलाफ कार्रवाई को लेकर तो प्रदेश नेतृत्व ने केन्द्रीय अनुशासन समिति को सिफारिश की।
केन्द्रीय अनुशासन समिति ने तिवाड़ी को नोटिस भी जारी किया,लेकिन तिवाड़ी ने इस नोटिस के जवाब में मुख्यमंत्री और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अशोक परनामी पर गंभीर आरोप लगाए। यही नहीं तिवाड़ी ने नोटिस का जवाब मीडिया में सार्वजनिक भी कर दिया। वसुंधरा राजे पर जयपुर की सिविल लाइंस में दो हजार करोड़ रूपए की कीमत का सरकारी बंगला हड़पने का कई बार सार्वजनिक रूप से आरोप लगा चुके तिवाड़ी के बारे में राज्य के केबिनेट मंत्रियों युनुस खान और प्रभूलाल सैनी ने बयान दिया तो तिवाड़ी ने नोटिस भेजकर अपने बयानों के लिए माफी मांगने के लिए कहा। तिवाड़ी ने इन मंत्रियों को कानूनी नोटिस भेजने के साथ ही राज्य सरकार को चमचों का दरबार और माफियाओं का अड्डा बताया।
एक अन्य विधायक ज्ञानदेव आहूजा से भी मुख्यमंत्री और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अशोक परनामी काफी परेशान है। आहूजा ने कई बार अपनी ही सरकार और पार्टी को मुसीबत में डालने का प्रयास किया है। पिछले दिनों उन्होंने अपनी ही सरकार के खिलाफ धरना दे दिया। उन्होंने अलवर जिला पुलिस पर माफियाओं को संरक्षण देने का आरोप लगाते हुए कहा कि यहां के पुलिस अधिकारियों के तार राजधानी तक जुड़े हुए है। आहूजा ने पुलिस पर अवैध खनन,लव जेहाद,पशु तस्करी सहित कई गलत कामों में शामिल होने का आरोप लगाया।
उन्होंने राज्य के गृहमंत्री गुलाब चंद कटारिया को असहाय तक बता दिया। इस तरह दोअन्य विधायक भवानी सिंह राजावत एवं कैलाश चौधरी अपनी बयानबाजी के कारण सरकार के लिए कई बार परेशानी का कारण बन चुके है। राजावत ने कई बार विधानसभा और अपने गृह नगर कोटा में मंत्रियों एवं अधिकारियों के खिलाफ बयानबाजी करते हुए भ्रष्टाचार तक के आरोप लगाए। कैलाश चौधरी भी अपने बयानों को लेकर हमेशा चर्चा में रहते है।
हालांकि राजावत और चौधरी ने कभी वसुंधरा राजे के खिलाफ काई बयान नहीं दिया,लेकिन ये अप्रत्यक्ष रूप से सरकार पर हमला करते रहे है। दोनों ही मंत्री बनने के दावेदार थे,लेकिन इन्हे अवसर नहीं मिला। इन विधायकों के अतिरिक्त भाजपा के आधा दर्जन ऐसे नेता है जो कभी मंत्री,विधायक और पार्टी में पदाधिकारी रहे है,लेकिन अब अवसर नहीं मिलने से नाराज चल रहे है। इनमें देवी सिंह भाटी,महावीर प्रसाद जैन,मदन दिलावर,भंवर सिंह राजपुरोहित,प्रमिला कुंडारा और नारायण राम बेड़ा शामिल है। कुंडारा और बेडा को तो पिछले सप्ताह पार्टी की सदस्यता से बर्खास्त कर दिया गया।