व्याख्याताओं ने पिता और पत्नी से जंचवा दी 5000 कॉपियां
राजस्थान यूनिवर्सिटी की चार से पांच हजार उत्तर पुस्तिकाएं अयोग्य व्यक्तियों से जंचवाने का मामला सामने आने के बाद कॉपी जांचने वाले लोगों की सूचियों पर प्रश्न चिह्न लग गया है।
जयपुर, जागरण संवाद केंद्र। विश्वविद्यालयों में उत्तर पुस्तिकाओं की जांच का स्तर कैसा है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि हमारे लेक्चररों ने उत्तर पुस्तिकाएं हाउस वाइफ से लेकर रिटायर्ड वयोवृद्ध पिता तक से जंचवाई है, जो सम्बन्धित विषय के एक्सपर्ट नहीं है।
राजस्थान यूनिवर्सिटी की चार से पांच हजार उत्तर पुस्तिकाएं अयोग्य व्यक्तियों से जंचवाने का मामला सामने आने के बाद कॉपी जांचने वाले लोगों की सूचियों पर प्रश्न चिह्न लग गया है। इन्हीं के नाम से भुगतान भी उठाएं जा चुके है। बीए प्रथम वर्ष, द्वितीय वर्ष और फाइनल इसके अलावा बीकॉम और एमकॉम की करीब पांच हजार उत्तर पुस्तिकाएं जांचने की पुष्टिï हुई है। शेष की जांच जारी है। ये कॉपियां राजस्थान यूनिवर्सिटी की वर्ष 2015 में हुई परीक्षा से संबंधित है। इस मामले में राजभवन, उच्च शिक्षा विभाग से लेकर राजस्थान यूनिवर्सिटी तक में शिकायत हो चुकी है। हालांकि अभी तक संबंधित अफसर या किसी शिक्षक के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं हो सकी है। कॉपी जांच के नियम अनुसार ये कॉपियां अयोग्य लोगों ने जांची है।
नियम अनुसार कॉपी जांचने वाला व्यक्ति किसी सरकारी या प्राइवेट संस्था से जुड़ा होना चाहिए या रिटायर्ड हो तो सब्जेक्ट एक्सपर्ट होना चाहिए। इन्हीं नियमों का वॉयलेशन हुआ है। राजस्थान विवि.में परीक्षा हैड महेश चंद्र शर्मा ने बताया कि शिकायत के बाद समन्वयक गुलजारी लाल को पद से हटाया गया है।
सरकारी कॉलेज के ईएएफएम के लेक्चरर गुलजारी लाल को राजस्थान यूनिवर्सिटी ने उत्तर पुस्तिकाओं की जांच के लिए समन्वयक बनाया था। गुलजारी लाल ने अपनी पत्नी रेनू से बीए फस्र्ट ईयर से लेकर फाइनल की दो से तीन हजार कॉपियां जंचवाई थी। रेनू गृहिणी है। वहीं अजमेर जिले के सरकारी कॉलेज में केमेस्ट्री डिपार्टमेंट में तैनात सीपी पोखरना के पिता डॉ. के.एल. पोखरना 77 वर्ष के है। उनके पिता मेडिकल डिपार्टमेंट से रिटायर्ड है।
उन्होंने बीए सोशयोलॉजी की उत्तर पुस्तिकाएं जांची थी। नियम अनुसार जांचकर्ता किसी कॉलेज में शिक्षक होना चाहिए। अगर वह रिटायर्ड है तो सब्जेक्ट एक्सपर्ट हो। डॉ. पोखरना द्वारा जांची गई उत्तर पुस्तिकाओं पर आपत्ति का केस बनता है।