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राजस्‍थान: हिंगोनिया गोशाला में भूख और गंदगी के कारण गायों की मौत

जयपुर के सरकार द्वारा संचालित हिंगोनिया गोशाला में दस दिनों के भीतर 100 गायों की मौत पर हाई कोर्ट ने गहरी चिंता जताई और इस मामले में सरकार से रिपोर्ट मांगा है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Fri, 05 Aug 2016 05:05 AM (IST)Updated: Fri, 05 Aug 2016 01:31 PM (IST)
राजस्‍थान: हिंगोनिया गोशाला में भूख और गंदगी के कारण गायों की मौत

जयपुर (एएनआई)। राजस्थान की राजधानी जयपुर में सरकार द्वारा संचालित हिंगोनिया गोशाला में दस दिनों की अवधि में ही 100 गायों की मौत हो गयी। इस मामले पर हाई कोर्ट ने गहरी चिंता जताई और सरकार से रिपोर्ट तलब की। यहां कार्यरत सभी कर्मियों के हड़ताल पर चले जाने के कारण उचित देख-भाल नहीं हो पा रही है और यहां भूख और गंदगी के कारण गायों की मौत हो रही है।

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राजस्था्न के मंत्री, राजेंद्र राठौड़ ने कहा, ‘हिंगोनिया गोशाला पर मुख्यमंत्री ने रिपोर्ट मांगी। हम वहां की परिस्थति को बेहतर बनाने के लिए एक्शन प्लान बना रहे हैं।‘

जस्टिस महेश चंद्र शर्मा की अदालत ने कहा कि आखिर दो सप्ताह में कैसे इतने गायों की मौत हो गई? जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई हो रही है? कोर्ट ने कहा कि अधिकारियों की इच्छाशक्ति के बगैर हालात नहीं सुधर सकते हैं।

जयपुर में हिंगोनिया गोशाला सबसे बड़ी गोशाला है और इसका प्रबंधन जयपुर नगर निगम के पास है, लेकिन यहां के हालात बहुत खराब हैं। पिछले महीने 21 जुलाई से गोशाला के कर्मचारी हड़ताल पर चले गए। तब से यहां के हालात खराब चल रहे हैं। कर्मचारियों को 3 महीने से तनख्वाह नहीं मिली तो उनका काम छोड़ हड़ताल पर जाना गायों पर भारी पड़ा़ा। इसी बीच बारिश हुई और गोशाला में कीचड़ बढ़ता गया। तब से यहां चारा तो है लेकिन कीचड़ के चलते गायें खा नहीं पा रहीं और भूख से दम तोड़ने लगी हैं।

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इसके अलावा गोशाला में घुटनों तक जमा कीचड़ गायों के लिए जानलेवा दल-दल बना हुआ है और कई दिनों से गायें यहां बैठ भी नहीं पा रही हैं और जो बैठ गई हैं वो दल-दल में बुरी तरह फंस गई। कइयों की इसमें जान चली गई है और कुछ को गुरुवार दोपहर तक रस्सियों से बांधकर बाहर निकालने का काम शुरू किया गया।

15 करोड़ रुपए सलाना मिलते हैं

गोशाला के ये हालात तब हैं जब सरकार 15 करोड़ रुपए सलाना गोशाला के लिए देती है। इनमें से 10 करोड़ रुपए चारा-पानी पर खर्च हो जाते हैं। गोशाला में 17 पशु चिकित्सक और 40 से अधिक नर्सिंग कर्मचारी तैनात हैं फिर भी यहां के हालात में सुधार नहीं आता।


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