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अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंकवाद निरोध नीति बने : राष्ट्रपति

राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने आतंकवाद को दुनिया के लिए अभिशाप बताते हुए कहा कि इससे हर स्तर पर निपटना होगा और इसके लिए लोगों को मानसिक रूप से तैयार कर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आपसी सहयोग से एक केन्द्रित आतंकवाद निरोधी नीति बनानी होगी।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Wed, 03 Feb 2016 02:06 AM (IST)Updated: Wed, 03 Feb 2016 02:15 AM (IST)
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंकवाद निरोध नीति बने : राष्ट्रपति

जयपुर [नरेन्द्र शर्मा]। आतंकवाद के मुद्दे पर राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने आतंकवाद को दुनिया के लिए अभिशाप बताते हुए कहा कि इससे हर स्तर पर निपटना होगा और इसके लिए लोगों को मानसिक रूप से तैयार कर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आपसी सहयोग से एक केन्द्रित आतंकवाद निरोधी नीति बनानी होगी। उन्होंने कहा कि विश्व में बढ़ते आतंकवाद से निपटने के लिए काउंटर टेरेरिज्म भी जरूरी है, हालांकि काउंटर टेरेरिज्म में भी जनहानि होती है, लेकिन आतंकवाद को रोकने के लिए ऐसा करना जरूरी है। आतंकवाद पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा राष्टï्रपति ने कहा कि जो देश अपनी राष्टï्रीय नीति के तहत आतंकवाद का समर्थन करते हैं या इसे प्रायोजित करते हैं, उन देशों की लगाम कसी जानी चाहिए। उन्होंने इस बात की आवश्यकता जताई कि पूरी दुनिया एक स्वर में आतंकवाद के किसी भी तरीके को अस्वीकार करे।

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मुखर्जी ने कहा कि आतंकवाद के बढ़ते प्रभाव ने पूरे विश्व को हिलाकर रख दिया, दक्षिण एशिया पिछले एक दशक से अलग-अलग तरह के आतंकवाद को सहन कर रहा है, जिसमें भारत भी शामिल है।

जयपुर में मंगलवार को इंडिया फाउंडेशन और राजस्थान सरकार की ओर से जयपुर में काउंटर टेरेरिज्म पर आयोजित दो दिवसीय सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि आतंकवाद के राजनीतिक प्रबंधन की जरूरत है। इसके लिए इस विचारधारा से जुड़े मुद्दों को देखना होगा और इसका समर्थन या इसे प्रायोजित करने वाले देशों से राजनीतिक ढंग से निपटना होगा।

राष्ट्रपति ने कहा कि आतंकवाद से निपटने के लिए हमारे प्रयास ज्यादा केन्द्रित, परिणामदायक और पेशेवर होने चाहिए। हो सकता है कि इससे हम किसी के व्यक्तिगत और स्वतंत्रता या मानवाधिकारों का उल्लंघन करें, इसलिए हमें लोगों की स्वतंत्रता और प्रजातांत्रिक अधिकारी की रक्षा के लिए सोच समझ कर काम करना होगा।

मुखर्जी ने कहा कि आतंकवाद पूरी मानवता के लिए इस समय सबसे बड़ा खतरा है और कोई भी देश इससे अछूता नहीं हैं। हम आतंकवाद के किसी भी स्वरूप का, किसी भी कारण और कभी भी समर्थन नहीं कर सकते। ऐसे में यह जरूरी है कि पूरी दुनिया इसके खिलाफ काम एकजुट हो कर काम करे। राष्ट्रपति ने कहा कि अमेरिका के आतंकवादी हमले ने पूरी दुनिया में इससे एकजुट हो कर लडऩे के विचार को मजबूत किया था।

उन्होंने कहा कि भारत इतनी विविधताओं वाला देश है, इसलिए बावजूद एक संविधान से यह देश चलता है और इसका एकमात्र कारण है कि हमने हर विचारधारा को हमारे यहां स्थान दिया है। यह बहुत महत्वपूर्ण है और हमेशा ऐसा रहना चाहिए। समाज को एकजुट रखने की जरूरत है। इसे बांटने से संघर्ष और बढ़ेगा।

इस मौके पर अफगानिस्तान सरकार के मुख्य कार्यकारी डॉ. अब्दुल्ला अब्दुल्ला ने अपने मुख्य संबोधन में कहा कि आज सभी मानते हैं आतंकवाद से लड़ाई जरूरी है। हर देश की अपनी आतंकवाद विरोधी नीति भी है और हर देश इससे परेशान भी है, लेकिन दुर्भाग्य है कि फिर भी हम इससे लडऩे के लिए एकजुट नहीं हो पाते। उन्होंने कहा कि शीत युद्ध के बाद दुनिया के देशों में क्षेत्रीय स्तर पर शीत युद्ध शुरू हो गए। अपने देशों की सुरक्षा के नाम पर प्रॉक्सीवार की स्थितियां बनने लगीं और इसी ने आतंकवाद को जड़े जमाने का मौका दिया। अब हमें ऐसा मैकेनेज्मि बनाने की जरूरत है जो आतंकवाद के खिलाफ पूरी दुनिया को एकजुट कर सके।

उन्होंने कहा कि हम तालिबान और आईएसआईएस के बीच कोई फर्क नहीं करते। हम अपना काम कर रहे हैं और पड़ोसी देशों को आमंत्रित करते हैं कि हमारी चुनौतियों का सामना करने में हमारी मदद करें।

रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने इस मौके पर कहा कि आतंकवाद एक वैश्विक समस्या है और सभी को इससे मिल कर लडऩा होगा।

राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने कहा कि आतंकवाद से लड़ाई में जितना पैसा खर्च हो रहा है, उसे विकास के कई काम हो सकते हैं। इस मौके पर राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवाल, भाजपा के राष्टï्रीय महासचिव राम माधव और पूर्व सेना प्रमुख जनरल बी.पी. मलिक भी मौजूद थे।


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