शराब बंदी को लेकर आमरण अनशन कर रहे पूर्व विधायक का निधन
राजस्थान में शराबबंदी के लिए पिछले 30 दिन से खाना-पीना छोड़ अनशन कर रहे पूर्व विधायक गुरुशरण छाबड़ा ने मंगलवार को तड़के दम तोड़ दिया। उनके निधन से कुछ घंटों पहले ही पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत उनसे मिलकर गए थे।
जयपुर, जागरण संवाद केंद्र। राजस्थान में शराबबंदी के लिए पिछले 30 दिन से खाना-पीना छोड़ अनशन कर रहे पूर्व विधायक गुरुशरण छाबड़ा ने मंगलवार को तड़के दम तोड़ दिया। उनके निधन से कुछ घंटों पहले ही पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत उनसे मिलकर गए थे और उनकी हालत पर चिंता जताई थी। सरकारी की ओर से भी उनके निधन पर दुख जताया गया है।
चिकित्सा मंत्री राजेन्द्र राठौड़ ने कहा, छाबड़ा का निधन लंग्स में डीप थ्रोम्बोसिस के कारण हुआ। छाबड़ा के परिवार ने उनके देह दान की घोषणा की। गुरुशरण छाबड़ा 69 वर्ष के थे। उनके निधन के बाद राजस्थान सरकार के कई मंत्री, नेता सहित बड़ी संख्या में लोग अस्पताल पहुंच गए और उन्हें श्रद्धांजलि दी।
उनके निधन पर मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पीसीसी अध्यक्ष सचिन पायलट, विधानसभा अध्यक्ष कैलाश मेघवाल, चिकित्सा मंत्री राजेन्द्र राठौड़, सामाजिक एवं अधिकारिता मंत्री अरुण चतुर्वेदी, विधायक किरोड़ीलाल मीणा समेत अनेक नेताओं ने शोक जताया है।
1977 में छाबड़ा जनता पार्टी के टिकट पर सूरतगढ़ से विधायक चुने गए थे। उन्होंने गोकुलभाई भट्ट के साथ मिलकर राजस्थान में संपूर्ण शराबबंदी को लेकर लम्बा आंदोलन भी चलाया था। छाबड़ा के परिवार ने उनके देह दान और नेत्रदान की घोषणा की।
चिकित्सा मंत्री राजेन्द्र राठौड़ ने कहा कि छाबड़ा की देखरेख के लिए सात डॉक्टरों का बोर्ड गठित किया गया था। उन्हें गुडगांव के वेदांता अस्पताल में शिफ्ट करने के बारे में भी निर्णय किया गया था, लेकिन उनकी हालत ज्यादा बिगड़ गई।
छाबड़ा की मौत के बाद कांग्रेस और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के राज्य सरकार और मुख्यमंत्री पर निशाना साधने के बाद भाजपा ने भी जोरदार पलटवार किया है। भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष अशोक परनामी ने पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर छाबड़ा की मौत के बाद राजनीति करने का आरोप लगाया है।
परनामी ने कहा कि जब स्व. छाबड़ा ने राज्य में शराबबंदी और लोकायुक्त को सशक्त बनाने के लिए गहलोत के कार्यकाल में दो बार अनशन किया था। यदि गहलोत उस वक्त ही उनकी मांगे मान लेते तो आज छाबड़ा की जान नहीं जाती। परनामी ने गहलोत और पूर्ववर्ती सरकार को छाबड़ा की मृत्यु के लिए जिम्मेदार ठहराया।