राजस्थान में फिर सूखे के हालात
सामान्य से कम बारिश होने के कारण पांच साल बाद राजस्थान के करीब आधे जिलों में सूखे के हालात बनते नजर आ रहे हैं। लम्बे समय से बारिश नहीं होने से फसलें खराब हो चुकी हैं।
जयपुर, जागरण संवाद केंद्र। सामान्य से कम बारिश होने के कारण पांच साल बाद राजस्थान के करीब आधे जिलों में सूखे के हालात बनते नजर आ रहे हैं। लम्बे समय से बारिश नहीं होने से फसलें खराब हो चुकी हैं। बारिश की इस कमी से रबी की फसल पर भी संकट खड़ा हो गया है। इन हालात के बावजूद राज्य सरकार ने अभी तक सूखे के आंकलन की प्रक्रिया शुरू नहीं की है।
कृषि विभाग के अधिकारियों के मुताबिक प्रदेश के 16 से ज्यादा जिलों में बरसात नहीं होने और तेज गर्मी के कारण फसलें जल चुकी हैं।
किसानों का कहना है कि कम बारिश होने का असर रबी की फसल पर भी पड़ेगा। सतही जल खेती के लिए उपलब्ध नहीं होने से पैदावार में कमी आएगी। हालांकि राज्य सरकार पिछले दिनों 35 फीसदी तक फसल खराबे की बात स्वीकार कर चुकी है, लेकिन यह आंकड़ा गिरदावरी रिपोर्ट में काफी बढ़ेगा। आशंका जताई जा रही है कि इन हालात में महंगाई बड़ेगी और पश्चिमी राजस्थान के गांवों से ग्रामीण का पलायन होगा।
प्रदेश में इस बार एक जून से 26 सितंबर तक 505 एमएम बरसात हुई, जबकि वर्षा का औसत 508 एमएम है। बरसात की अवधि भी पंद्रह दिन रही है। राज्य के भरतपुर, धौलपुर, सवाई माधोपुर, करौली, जयपुर, अलवर, दौसा, झुंझुनूं, अजमेर, भीलवाड़ा और टोंक जिलों में औसत से कम बरसात हुई है, अधिकांश फसलें सूख चुकी है। रबी में सिंचाई के लिए सभी किसानों के सामने संकट है। जोधपुर, जैसलमेर, बाड़मेर, जालोर और सिरोही में बरसात तो औसत से अधिक हुई है, लेकिन इन जिलों में बरसात का दौर पन्द्रह दिन लगातार चला। इससे फसलों को फायदा नहीं मिल सका। अब ये फसलें पानी की कमी से सूख रही है। प्रदेश में इस बार शुरूआत में अच्छी बरसात होने के कारण करीब डेढ़ करोड़ हैक्टेयर में बम्पर बुआई हुई।
कृषि विभाग के विशेषज्ञों का अनुमान था कि सवा करोड़ टन उत्पादन होगा। अब बरसात के कारण ये फसले सूख रही है तो आधी पैदावार पर भी संशय है।
मुख्य सांख्यिकी अधिकारी एलएन बैरवा ने बताया कि गिरदावरी रिपोर्ट के बाद ही वास्तविक आंकड़े सामने आएंगे, लेकिन इस बार कई जिलों में कम बरसात हुई। दूसरे दौर की बरसात नहीं होने से फसलों की स्थिति ठीक नहीं है।