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संथारा पर जैन समाज पहुंचा सुप्रीम कोर्ट

संथारा मामले में जैन समाज सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। राजस्थान हाईकोर्ट ने जैन समाज की धार्मिक आस्था संथारा प्रथा को आत्महत्या की श्रेणी में मानते हुए इस पर रोक लगा दी थी। इसके बाद जैन समाज का आक्रोश सड़कों पर फूट पड़ा था।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Wed, 26 Aug 2015 05:01 AM (IST)Updated: Wed, 26 Aug 2015 05:04 AM (IST)
संथारा पर जैन समाज पहुंचा सुप्रीम कोर्ट

जयपुर, जागरण संवाद केंद्र। संथारा मामले में जैन समाज सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। राजस्थान हाईकोर्ट ने जैन समाज की धार्मिक आस्था संथारा प्रथा को आत्महत्या की श्रेणी में मानते हुए इस पर रोक लगा दी थी। इसके बाद जैन समाज का आक्रोश सड़कों पर फूट पड़ा था। अब जैन समाज ने हाईकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। इसमें कहा गया है कि संथारा को आत्महत्या की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता। जो भी फैसला किया गया है, उस पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए। इसे लेकर सोमवार को ही सकल जैन समाज ने जयपुर के आव्हान पर पूरे देशभर में मौन जुलूस निकाले और कोर्ट के फैसले के खिलाफ आक्रोश व्यक्त किया था।

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यह दिया था हाईकोर्ट ने आदेश

राजस्थान हाईकोर्ट ने 10 अगस्त को संथारा प्रथा पर रोक लगा दी थी। जैन समाज की बड़ी प्रथा पर रोक के बाद जैन समाज का कोई भी व्यक्ति संथारा नहीं ले सकता।

हाईकोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस सुनील अंबवानी की खंडपीठ ने यह फैसला सुनाया था। इस फैसले के साथ ही सकल जैन समाज ने विरोध शुरू कर दिया था। कोर्ट की ओर से कहा गया था कि संथारा पूरी तरह आत्महत्या की तरह है। इसे लेकर भी जैन समाज की बेहद आपत्ति है।

कोर्ट ने निखिल सोनी की याचिका पर यह फैसला दिया था। यह मामला वर्ष 2006 में कोर्ट में लाया गया था। इसके बाद कोर्ट ने यह फैसला दिया।

फैसले के अनुसार संथारा प्रथा के तहत देह त्यागने को आईपीसी की धारा 306 और 309 के तहत गैर कानूनी बताया गया। यदि कोई संथारा प्रक्रिया से गुजरने की कोशिश करेगा तो उसके खिलाफ कार्रवाई होगी।


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