छात्रसंघ चुनावों में बागियों से जूझ रहे राजनीतिक दल
निकाय चुनावों में बागियों ने राजनीतिक दलों की नाक में दम कर दिया। इसका खामियाजा राजनीतिक दलों को भुगतना पड़ा था। अब राजस्थान विश्वविद्यालय में सक्रिय बागी राजनैतिक संगठनों की हवा निकाल रहे हैं।
जयपुर। निकाय चुनावों में बागियों ने राजनीतिक दलों की नाक में दम कर दिया। इसका खामियाजा राजनीतिक दलों को भुगतना पड़ा था। अब राजस्थान विश्वविद्यालय में सक्रिय बागी राजनैतिक संगठनों की हवा निकाल रहे हैं। इसमें एनएसयूआई से बाहर हुए बागी इस संगठन के लिए नासूर बने हुए हैं। 20 अगस्त को हुए नामांकन के बाद से ही संगठन बागियों की मान मनौव्वल में जुटे हुए हैं।
शनिवार सुबह 10 बजे से शुरू हुए नामांकन वापसी के दौर में सबकी निगाहें बागियों पर टिकी हुई हैं। अब देखते हैं कितने बागी संगठन की बातों को मानकर नाम वापसी कर लेते हैं। लोगों का मानना है कि एनएसयूआई पैनल से अध्यक्ष पद के उम्मीदवार सतवीर चौधरी की सबसे बड़ी समस्या संगठन के बागी छात्रनेता अजय कंस्वा से है। यदि अजय ने नाम वापस नहीं लिया तो इसका फायदा एबीवीपी के राजकुमार बिवाल को मिल सकता है। ध्यान देने वाली बात है कि दोपहर एक बजे तक नामांकन वापसी होनी है।
अध्यक्ष पद पर 13 दावेदार
फिलहाल अध्यक्ष पद के लिए 13 लोगों ने नामांकन किया है जबकि महासचिव पद पर 12 पर्चे दाखिल हुए हैं। यूनिवर्सिटी में कुल 24 हजार 10 वोटर हैं। इनमें अकेली महारानी कॉलेज में 6617 वोटर हैं। यूनिवर्सिटी के 55 विभागों के सेंटरों में महिला वोटरों की संख्या डेढ़ हजार से अधिक है। ऐसे में कुल मिलाकर गर्ल्स की संख्या 35 प्रतिशत और लड़कों की संख्या 65 प्रतिशत है। माना जा रहा है कि गर्ल्स ही उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करेंगी।